tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post6721931402194381112..comments2023-10-18T16:07:47.488+05:30Comments on सचिन की दुनिया: राजनीति तो करनी ही पड़ेगी यारोंSachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-62199675347730943852009-01-15T22:32:00.000+05:302009-01-15T22:32:00.000+05:30आज की मलाईदार राजनीति में मुझे नहीं लगता कि कोई नह...आज की मलाईदार राजनीति में मुझे नहीं लगता कि कोई नहीं जाना चाहता हो । बस रास्ता नहीं सूझता । आपने बताया कि मंत्री पुत्रों का दौर रहा है । समाजसेवियों ,पत्रकारों और उद्योगपतियों के राजनीतिज्ञ बनने का सिलसिला भी चल पडा है । इनमें तो हम जैसों का चांस लगना नामुमकिन है।कोई नया ट्रेंड बताइये ताकि हम भी इसी जन्म में राजनीतिज्ञ बनने की अपनी हसरत पूरी कर सकें ।sarita argareyhttps://www.blogger.com/profile/02602819243543324233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-81491250467368072302009-01-15T22:18:00.000+05:302009-01-15T22:18:00.000+05:30दोस्तों, यहाँ मैं एक बात कहना और चाहता हूँ। हालांक...दोस्तों, यहाँ मैं एक बात कहना और चाहता हूँ। हालांकि हमें लिखी गई बातें सही लगती हैं लेकिन जब उन्हें प्रैक्टिकल तौर पर किया जाता है तो थोड़ी मुश्किल आ सकती है। अतुल भाई को यह लग रहा है कि इस रास्ते पर परेशानी ज्यादा है। दोस्त, ऐसा है इसलिए ही तो मैं इसपर बात करना चाहता हूँ। हम में से कई तो इस असाध्य से इतना दूर होते हैं कि इसपर बात भी नहीं करना चाहते। और अगर इससे दूर रहकर देश सुधारा जा सकता तो कभी का सुधर गया होगा। एक यह राजनीति ही तो है कि इसका सब-दूर हस्तक्षेप है। हर किसी बद-व्यक्ति के सिर पर किसी राजनीतिज्ञ का हाथ रहता है। जिस प्रकार सिंगापुर में वहाँ के ब्यूरोक्रेट्स ही राजनीतिज्ञ हैं और ईमानदारी वहाँ अनिवार्य पैमाना है उसी प्रकार हमें भारत में भी कुछ करना होगा। क्या करें, ये सोचा जा सकता है मिलजुलकर। लेकिन याद रखें, भाजपा का गठन १९८४ में हुआ और १९९८ में वह केन्द्र की प्रमुख सत्ता में आ गई। कारण भले ही कुछ भी रहा हो। मेरा यहाँ ये कहना है कि अगर सोच लें तो हम भी १५-२० साल में परिवर्तन की लहर ला सकते हैं बस हाथ से हाथ मिलाना होगा। इसे कैरियर बनाना होगा। अपने लिए ना सही तो मातृभूमि के लिए सही।Sachinhttps://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-88744757842368321882009-01-15T22:05:00.000+05:302009-01-15T22:05:00.000+05:30baat to sahi hai....baat to sahi hai....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17320191855909735643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-56975750504581551242009-01-15T21:58:00.000+05:302009-01-15T21:58:00.000+05:30bilkul sahi kaha bhai !jaari rakhe!bilkul sahi kaha bhai !<BR/>jaari rakhe!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02796724527805204183noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-27663350131046989882009-01-15T21:54:00.000+05:302009-01-15T21:54:00.000+05:30बात तो आपकी सही है| कुछ और मार्गदर्शन करें| कल किस...बात तो आपकी सही है| कुछ और मार्गदर्शन करें| कल किसी पार्टी में शामिल तो हो जाएँ...उसके बाद आगे कैसे बढ़ें?sshttps://www.blogger.com/profile/10746526495871896780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-50961880596628537442009-01-15T21:52:00.000+05:302009-01-15T21:52:00.000+05:30परिवर्तन के लिए राजनीति में आना ही आवश्यक नहीं है...परिवर्तन के लिए राजनीति में आना ही आवश्यक नहीं है बल्कि लोगों को जागरुक करना आवश्यक है कि सही और गलत क्या है। वैसे भी आप ही के दिए हुए उदाहरणों से स्पष्ट है कि एक आम आदमी का इस धारा/धंधे/रोजगार/पुश्तैनी व्यापार में आना कितना मुश्किल है। और यदि आ भी गए तो दूर खडे होकर बरसों तक किसी नेता की जय जयकार ही करते रहना पडेगा। और अहम मुददा यह कि आप किन वजहों से आ रहे हैं राजनीति में । पैसा कमाने या नाम कमाने। यदि यह दोनों ही उददेश्य नहीं हैं तो कर्म करिए और ऐसा रास्ता मुझे भी सुझाइए कि केवल राजनीति में ही न आएं बल्कि उस साध्य का हिस्सा बनें जिसे बेहतर भारत बन सके और राह चलते हुए सबको गौरव का अहसास हो कि हम भारतीय है।Atul Sharmahttps://www.blogger.com/profile/09200243881789409637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-26773236572473493072009-01-15T21:42:00.000+05:302009-01-15T21:42:00.000+05:30"लेकिन पोलिटिकल स्टार बनना अछूत शब्द सा लगता है"नम..."लेकिन पोलिटिकल स्टार बनना अछूत शब्द सा लगता है"<BR/>नमस्ते सचिन भैया, लेकिन मुझे ऐसा नही लगता है.<BR/>मैं भी शिव खेड़ा जी की पार्टी बी आर एस पी में शामिल हो गया हूं.अंकुर गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/11895780087694607022noreply@blogger.com