tag:blogger.com,1999:blog-21903468111763640402024-02-19T16:21:18.497+05:30सचिन की दुनियामेरी दुनिया में आपका स्वागत हैSachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.comBlogger157125tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-91468340521762876272011-06-17T21:52:00.003+05:302011-06-17T22:13:06.890+05:30सतपुड़ा टाइगर रिर्जव की सैर-भाग-01<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjesBS3eAOQWm_t8R4achszzQM74VkmF3T3pRo8RFy1guHt8hWGjPVupS4VLnN2PPfmM06PXDdfimqll2RfTB0eZfPHHDnQKQkj3Bh9dW5DEW5K4JQKGO20YPLdMoD44ASlVl7YMAguS4Fi/s1600/Picture+019.jpg"><img style="float:left; margin:0 10px 10px 0;cursor:pointer; cursor:hand;width: 320px; height: 240px;" 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/></a><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgCkJlIYcMceNuswPpsreMxGrdkD0amX7MvN1BYhv3heXwzh7TuFYrPJLGZ22Dh08vZg2WxsSA0TsvPuDc2A6HV5fIi_jC1dnVeWx_bOGB4D6y8HQDt0XD1SDDCrZCbxhjdyCO2ehL9rU-n/s1600/Picture+274.jpg"><img style="float:left; margin:0 10px 10px 0;cursor:pointer; cursor:hand;width: 320px; height: 240px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgCkJlIYcMceNuswPpsreMxGrdkD0amX7MvN1BYhv3heXwzh7TuFYrPJLGZ22Dh08vZg2WxsSA0TsvPuDc2A6HV5fIi_jC1dnVeWx_bOGB4D6y8HQDt0XD1SDDCrZCbxhjdyCO2ehL9rU-n/s320/Picture+274.jpg" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5619229729965796402" /></a><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" 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src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiQjLPkBWWqVISPBf50aNFu07Bm0KuedBTN3DGTz4AScgY1A-HOIwjczod6jdU5iHUis3ANHQZOZxgK8ze_OdYsUlvcf6FhuG0uN5sz8j1EgTt8qXUnca2_fx3M0tPA7CoQRQbDcGzldQZE/s320/sania.jpg" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5455219093824535074" /></a><span style="font-weight:bold;">इसे देशद्रोह नहीं तो और क्या कहें..??<span style="font-style:italic;"></span></span><br /><br />सानिया मिर्जा ने जो जुर्म किया वो खबर अब पुरानी पड़ चुकी है। फिलहाल बस इतना ही कि इस लड़की ने आग में घी डाला है, हमारी संवेदनाओं पर पानी डाला है, खुद पर से विश्वास उठवाया है और हर उस मुस्लिम लड़की पर से भी विश्वास उठवाया है जो पाकिस्तान को दुश्मन देश की नजर से नहीं बल्कि इस नजर से देखती है कि वो एक मुसलमान देश है।<br /><br />मुझे इस वाक्ये को देख-पढ़ वो तमाम सर्वेक्षण याद आ गए जिनमें सानिया मिर्जा देश की लड़कियों के लिए आइकॉन या रोल मॉडल घोषित की जाती थीं। वो मोस्ट डिजाइरेबल भी थीं लेकिन अफसोस कि हमने जिस लड़की को मालो-शौहरत से लाद दिया उसने हमीं को लात मार दी। ये कैसा चरित्र है जो देश को अपना नहीं मान पाता। ये लड़की पाकिस्तान को दुश्मन देश की बजाए मुसलमानों का घर मानती रही और हमें पता तक ना चला। उसने उस खच्चर शोहेब मलिक को चुना जो जैसे भारतीय लड़कियों को फँसाने की कसम खाए बैठा था फिर भले ही वो मुसलमान हो या हिन्दू। उस मलिक ने पहले हैदराबाद की आएशा सिद्दीकी को फँसाया और बाद में सयाली भगत को। सयाली पर तो क्या लिखें, वो मामला पुराना है और हम उस पर थूकना भी नहीं चाहते। लेकिन सानिया तो हमारी आशाओं के केन्द्र में थी। हम उसकी ऊपर उठती रैंकिंग से रोमांचित हुआ करते थे और नीचे गिरती रैंकिंग से चिंतित, लेकिन उसने हमारी सारी चिंताओं को निर्मूल साबित कर कह दिया कि जाओ तुम जो भी सोचा हमारे लिए, हमें परवाह नहीं। हम उस तीजिए (दूजिए नहीं) शोहेब मलिक से ही शादी करेंगे। अब जब सानिया के पोस्टर जलाएँ जा रहे हैं और उसकी तस्वीरों पर चप्पलें मारी जा रही हैं तो यकीन मानिए हमें जरा भी अफसोस नहीं, क्योंकि बंद मानसिकता वाली इस लड़की को अगर मौका मिलता तो वो पाकिस्तानी समधर्म अजमल आमिर कसाब से भी शादी कर लेती, क्योंकि उसे देश से क्या मतलब, और हमारी दुश्मनी से क्या लेना-देना, उसे तो धर्म से मतलब है। <br /><br />अब जबकि सानिया पाकिस्तान की बहू बनने वाली है तब पाकिस्तान के टेनिस महासंघ की ओर से एक रोचक प्रस्ताव आया है। पाकिस्तान टेनिस महासंघ के प्रमुख दिलावर अब्बास ने कहा है कि हम चाहते हैं कि सानिया मिर्जा इस महीने पूर्व क्रिकेट कप्तान शोएब मलिक से निकाह के बाद पाकिस्तान की ओर से खेले। उन्होंने मीडिया को कहा- पाकिस्तान टेनिस के लिए यह अच्छी खबर है कि सानिया शोएब से शादी कर रही हैं। हम उसका स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह पाकिस्तानी नागरिक बनकर भविष्य में हमारे लिए खेलें। उनका भविष्य उज्जवल है और अगर वह पाकिस्तान के लिए खेलें तो हम खुश होंगे। अब्बास ने कहा- महिलाएं पारंपरिक रूप से अपने पति का अनुसरण करती हैं, इसलिए मुझे उम्मीद है कि वह भी शोएब से प्रेरित होकर पाकिस्तान के लिए खेलें। <br /><br />अब्बास की यह प्रक्रिया सही और उचित है क्योंकि जब यह लड़की इतनी भ्रष्ट हो ही चुकी है तो वो अगर ये भी कर ले तो हमें कोई गुरेज नहीं, उसका पूरा परिवार मय माता-पिता भाई बहन सब पाकिस्तान में बस जाएँ तो भी कोई हर्ज नहीं। हम तो इस नापाक लड़की को पूरा ही विदा करना चाहते हैं। रही बात भारत के उन इलेक्ट्रानिक मीडिया चैनलों या धर्मनिरपेक्षवादी अखबारों की जो इस शादी से खुश हैं और शोहेब मलिक के जीवन के पन्ने हमारे सामने खोल रहे हैं तो थू है ऐसे चैनलों पर जो बेढंगे से चले ही जा रहे हैं बिना ये जाने कि इस देश की जनता क्या चाहती है और ऐसे मौकों पर उन्हें क्या करना चाहिए। इन चैनलों की बोझिल खबरों पर अब कुत्ते भी पैर उठाकर अपने काम को अंजाम देना नहीं चाहेंगे। मेरा मानना है कि इस पूरी घटना पर सानिया को सबक सिखाया जाना चाहिए ताकि उसे यह महसूस हो कि हम उसके इस जाहिल फैसले से खुश नहीं हैं बल्कि क्रोधित हैं, उसने एक गधे का प्यार पाने के लिए पूरे 110 करोड़ भारतीयों का प्यार खोया है, और हमारी इस प्रतिक्रिया से उन सभी मुस्लिम लड़कियों को भी सबक मिलना चाहिए जो पाकिस्तान को एक दुश्मन देश की तरह नहीं बल्कि एक समधर्म देश की नजर से देखती हैं।<br /><br />आपका ही सचिन....।Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com13tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-67173231357032530982010-03-17T21:03:00.003+05:302010-03-17T21:07:36.244+05:30सस्ती सीएफएल कहीं महंगी ना पड़ जाए!<span style="font-weight:bold;">दोस्तों, सीएफएल तो आप-हम सभी अपने घरों में इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या आपको इनके लाभ के साथ-साथ हानि का भी पता है। अगर नहीं तो यहाँ पढ़िए, मैंने इस बिंदु पर कुछ लिखा है। -सचिन<br /><br />(लेख को पढ़ने के लिए कृपया नीचे दी गई इमेज पर क्लिक करें)</span><br /><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhkg-5QpVP5VAhkjF32pek74w9XxXp_wGjomDhK19kedbT2A_ilBzWO7C0Rn6GxLLdNnzKg977JUSJylkkvBrWY_t_eRzHH5z4dGO9O2iBdFZPjG2jqvzCJoNJbe5iMGSqt3NeOgowvSwlX/s1600-h/CFL.JPG"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 194px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhkg-5QpVP5VAhkjF32pek74w9XxXp_wGjomDhK19kedbT2A_ilBzWO7C0Rn6GxLLdNnzKg977JUSJylkkvBrWY_t_eRzHH5z4dGO9O2iBdFZPjG2jqvzCJoNJbe5iMGSqt3NeOgowvSwlX/s320/CFL.JPG" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5449627274446860194" /></a>Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-91734525770504487172010-02-27T22:37:00.005+05:302010-02-27T22:44:52.524+05:30ये युवा 'नेचुरलिस्ट' है<span style="font-weight:bold;">गेजेट्स के साथ पहाड़ों और झरनों से भी प्रेम कर रहे हैं ये<span style="font-style:italic;"></span></span><br /><br /><span style="font-weight:bold;">आज का 'युवा" जबरदस्त पढ़ाई कर रहा है। कैरियर को भी गंभीरता से ले रहा है और खूब रुपए भी कमा रहा है। लेकिन इसके साथ-साथ क्या वो प्रकृति माँ से जुड़े अपने कर्तव्यों को लेकर भी गंभीर है? दोस्तों, इसी विषय पर मैंने यह रिपोर्ट लिखी है। आशा है आप पढ़ेंगे और आपको यह पसंद भी आएगी। - सचिन</span><br /><br /><span style="font-weight:bold;">(स्टोरी पढ़ने के लिए कृपया इमेज पर क्लिक करें)</span><br /><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiaoB7pMe0kdfhtNXmj03GaD7hWiFUrf4op7cpRsQ4-eiGUypR_96Vcmf9lflzFediLyp-CXLI6t7Xb0_BvwregMydN6YBF0lqi2X6xZUowoCuSfqJ-OoKEr3k-by0shMW4E8JPO7U0xT4i/s1600-h/Naturalist.JPG"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 238px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiaoB7pMe0kdfhtNXmj03GaD7hWiFUrf4op7cpRsQ4-eiGUypR_96Vcmf9lflzFediLyp-CXLI6t7Xb0_BvwregMydN6YBF0lqi2X6xZUowoCuSfqJ-OoKEr3k-by0shMW4E8JPO7U0xT4i/s320/Naturalist.JPG" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5442971913982452354" /></a>Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-80412681658126521312010-02-24T00:14:00.004+05:302010-02-24T00:31:29.540+05:30पहाड़ियों के बीच, झील के किनारे-किनारे<span style="font-weight:bold;">मेरे साथ कीजिए शिवपुरी के माधव राष्ट्रीय उद्यान की सैर<span style="font-style:italic;"></span></span><br /><br /><span style="font-weight:bold;">जो लोग प्रकृति, वन्यजीव, पक्षियों और पेड़-पौधों के शौकीन हैं वे एक बार फिर मेरे साथ सैर करने के लिए तैयार हो जाएँ। इस बार अपन साथ-साथ मध्यप्रदेश के शिवपुरी में स्थित माधव राष्ट्रीय उद्यान की सैर पर चलेंगे। - सचिन<br /><br />(स्टोरी को पढ़ने के लिए कृपया फोटोज पर क्लिक करें)</span><br /><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgLIafyQ2yvvlXAI4UCIWDcIt9g6PTzPjPFUGH1cyoiTpzEKtWJCjoRx-yoC14sB_OCrnHqBy6Vs3gUDso3sHS5jXqBIVxXFMdh6tvWq4ehOG-HkXW53e70fq3C9kvsd44Ia-Bj02BjMVmw/s1600-h/Shivpuri+NP-01.JPG"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 208px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgLIafyQ2yvvlXAI4UCIWDcIt9g6PTzPjPFUGH1cyoiTpzEKtWJCjoRx-yoC14sB_OCrnHqBy6Vs3gUDso3sHS5jXqBIVxXFMdh6tvWq4ehOG-HkXW53e70fq3C9kvsd44Ia-Bj02BjMVmw/s320/Shivpuri+NP-01.JPG" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5441515751505381458" /></a><br /><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhE_BRlHXxMmKa3LwcFQTA4PtYm_dBICXjyY6qZVdYHK92k_Whl3gcEH8pHk6JneeqSLOF4InP8gT2PsDnQq8WCbUcwCvroT0MaBzkebmKHbqiQCTzpT6A74bRKc8qbjlN44kCoaThTzoXi/s1600-h/Shivpuri+NP-02.JPG"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 208px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhE_BRlHXxMmKa3LwcFQTA4PtYm_dBICXjyY6qZVdYHK92k_Whl3gcEH8pHk6JneeqSLOF4InP8gT2PsDnQq8WCbUcwCvroT0MaBzkebmKHbqiQCTzpT6A74bRKc8qbjlN44kCoaThTzoXi/s320/Shivpuri+NP-02.JPG" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5441515873061220018" /></a>Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-34871709011225903222010-01-05T22:08:00.003+05:302010-01-05T22:13:18.376+05:30पहले सड़कें, फिर चमचमाती कारें<em><strong>हम विदेशी ऑटो इंडस्ट्री को यूँ ही अपना माल नहीं कूटने दे सकते</strong></em><br /><br /><strong>यह लेख हमारे ऊपर जबरन थोपे जा रहे कार्बन उत्सर्जन के कलंक को लेकर है। कारों और सड़कों को लेकर है और कुल मिलाकर हमारी समग्र तरक्की को लेकर है। आशा है आपको यह पसंद आएगा। - सचिन</strong><br /><br /><strong>(लेख को पढ़ने के लिए कृपया फोटो पर क्लिक करें)</strong><br /><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjDhTZ4xtsaBZYk3bgUHRLSYiKtDWYK9J9nrRcd3_VjRcXat1ByCwqmvZsbKl7rVnxY-SZFZ73t1SuCC7QnKTLSU5m88Y2-cCZfQJViKz0Ijw2n8InUySN0lULUBE_ZWI7iLFoSDAxu4-Yh/s1600-h/Roads+n+Cars.JPG"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 320px; height: 164px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjDhTZ4xtsaBZYk3bgUHRLSYiKtDWYK9J9nrRcd3_VjRcXat1ByCwqmvZsbKl7rVnxY-SZFZ73t1SuCC7QnKTLSU5m88Y2-cCZfQJViKz0Ijw2n8InUySN0lULUBE_ZWI7iLFoSDAxu4-Yh/s320/Roads+n+Cars.JPG" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5423296999121676738" /></a>Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-2068229666135774352010-01-04T22:36:00.004+05:302010-01-04T22:46:43.230+05:30खरमोर दर्शन के साथ प्रकृति का आनंद<em><strong>सैलाना अभयारण्य</strong></em><br /><br /><strong>मित्रों, कुछ ही दिन पूर्व में सैलाना अभयारण्य गया था। वहाँ की ऊँची-नीची धरती पर चलते हुए कई विचार भी मन में आए। एक दुर्लभ पक्षी को हमें बचाना चाहिए। इस पर मैंने कुछ लिखा है..आशा है आपको पसंद आएगा। यहाँ आपके लिए यह लेख प्रस्तुत है। - सचिन</strong><br /><br /><strong>(लेख को पढ़ने के लिए कृपया फोटो पर क्लिक करें)</strong><br /><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEifukAX3tgyaQclnKHCPX841TotNDPTpkPvWlU_rSW5UkKKxNp0YZABdKGZ_GGpAfpJSci7W7jCVj4Kudzb_8cf11Ks7DiHEPTDIECI609hwF_ROcbcKaDmHXDbGbeAAtFWVIiZ6Yagm6fH/s1600-h/Sailana-tarang.JPG"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 320px; height: 261px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEifukAX3tgyaQclnKHCPX841TotNDPTpkPvWlU_rSW5UkKKxNp0YZABdKGZ_GGpAfpJSci7W7jCVj4Kudzb_8cf11Ks7DiHEPTDIECI609hwF_ROcbcKaDmHXDbGbeAAtFWVIiZ6Yagm6fH/s320/Sailana-tarang.JPG" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5422934685061341666" /></a>Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-4048777967131432822009-12-13T13:34:00.002+05:302009-12-13T13:39:56.077+05:30पेट की भूख बुझाने के लिए जंगलों की बलि!<em><strong>खाद्यान्न, बॉयोफ्यूल और कागज बन रहे विनाश का कारण</strong></em><br /><br /><strong>मित्रों, धरती के पर्यावरण को बचाने के लिए सिर्फ बैठकों से ही बात नहीं बनेगी। हमें खुद कुछ करना होगा। सबसे पहले पेड़ और जंगल बचाने होंगे जो हमारे बचे रहने के लिए निहायत ही जरूरी हैं और इसकी शुरुआत हमें अपने आस-पास से ही करनी होगी। कोपेनहेगन में सम्मेलन चल रहा है, इसी परिप्रेक्ष्य में मैंने भी कुछ लिख दिया है, आशा है आपको पसंद आएगा। -सचिन</strong><br /><strong>(लेख को पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें)</strong><br /><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiI-vT8Lju1MZYWuRjUBVwz4oq9g8iJLUjzgc-wYJfJEs9ZtWHWcGv5Ev0YVklPtQGhCNQBWTOBjRQNDP1k6ko9uMl-XY9Bvu0WfGRPpygYr8IPdOAvTHQ9DJqm0GzBNEaF3oOgnxj0Z_kK/s1600-h/Forest+n+Land+story.jpg"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 195px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiI-vT8Lju1MZYWuRjUBVwz4oq9g8iJLUjzgc-wYJfJEs9ZtWHWcGv5Ev0YVklPtQGhCNQBWTOBjRQNDP1k6ko9uMl-XY9Bvu0WfGRPpygYr8IPdOAvTHQ9DJqm0GzBNEaF3oOgnxj0Z_kK/s320/Forest+n+Land+story.jpg" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5414629762324775602" /></a>Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-46637845290825383882009-12-12T22:11:00.009+05:302009-12-12T22:26:42.318+05:30प्रिंट मीडिया के विज्ञापनों में नए 'ट्रेन्ड्स'<em><strong>दुनिया की सबसे महंगी स्पेस है 'एड स्पेस'</strong></em><br /><br /><em><strong>दोस्तों, विज्ञापन की दुनिया अथाह है, इसमें आजकल क्वालिटी और क्वांटिटि दोनों ही देखने को मिल रही हैं। भारत में विज्ञापनों के क्षेत्रों में बहुत प्रयोग हो रहे हैं। मैं यहाँ उन्हीं प्रयोगों की चर्चा कर रहा हूँ लेकिन यह चर्चा सिर्फ प्रिंट विज्ञापनों के लिए है, तो पढ़िए और बताइए कि यह आपको कैसा लगा..?? - सचिन</strong></em><br /><strong>(इस स्टोरी को पढ़ने के लिए कृपया फोटो पर क्लिक करें)</strong><br /><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiMN7hB4HWYe6slhBiKRwMvXUL9b15DFx664HXPOzta4vYqqoC0XiFVcOA8vvtMz3c9vaW1xtEZZ1K0aFwuv7TEnwTyXQlpAjhwOXL2eoTsU9Izdp9-dV9RUvNlZyZr0H9Q8B12TZG5qr8S/s1600-h/ad+story.jpg"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 320px; height: 318px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiMN7hB4HWYe6slhBiKRwMvXUL9b15DFx664HXPOzta4vYqqoC0XiFVcOA8vvtMz3c9vaW1xtEZZ1K0aFwuv7TEnwTyXQlpAjhwOXL2eoTsU9Izdp9-dV9RUvNlZyZr0H9Q8B12TZG5qr8S/s320/ad+story.jpg" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5414392577026041410" /></a>Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-75535261305962983332009-12-11T22:26:00.005+05:302009-12-11T22:33:03.740+05:30ठिठुरते दिनों में पक्षियों के बीच<em><strong>मेरे साथ कीजिए केवलादेव (घना) अभयारण्य की सैर</em><br /><br />जो लोग प्रकृति, वन्यजीव, पक्षियों और पेड़-पौधों के शौकीन हैं उनका यहाँ स्वागत है। मैंने यहाँ विश्वप्रसिद्ध केवलादेव (घना) पक्षी अभयारण्य, भरतपुर में की गई सैर का विवरण किया है। मेरे साथ आप लोग भी घूमिए और बताइए कि आपको यह अनुभव कैसा लगा..। -सचिन<br />(स्टोरी को पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें)</strong><br /><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjJ5t4XdhWCSXAg0lStH7Q49iSoEOy85YDNGNsaUHb627-tYkYSCxZ4twv2ncu51guHxiW7DnTgqwwgQbD4U_G012B5qBT2g3d5XNv_xpKeK3wI0rXnOj6mfNQs_VH8VhQ-wyE4KOoN3VpL/s1600-h/sachin.jpg"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 208px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjJ5t4XdhWCSXAg0lStH7Q49iSoEOy85YDNGNsaUHb627-tYkYSCxZ4twv2ncu51guHxiW7DnTgqwwgQbD4U_G012B5qBT2g3d5XNv_xpKeK3wI0rXnOj6mfNQs_VH8VhQ-wyE4KOoN3VpL/s320/sachin.jpg" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5414024432804607522" /></a>Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-16723615273569083482009-11-28T22:42:00.003+05:302009-11-28T22:50:24.187+05:30अब हिन्दी में होंगे इंटरनेट के डोमेन नाम<strong>2010 से होगी नई शुरूआत</strong><br /><strong>इंटरनेट पर हिन्दी का जोर धीरे-धीरे बढ़ रहा है। अब डोमेन नाम भी हिन्दी में आने वाले हैं। इसी पर मैंने एक स्टोरी लिखी थी। कृपया आप भी पढ़ें....सचिन<br />(स्टोरी को पढ़ने के लिए कृपया इमेज पर क्लिक करें)</strong><br /><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgGBqXdPHBLy4gy7CqeS7XXK6PwZmBzo9Cs1YlXp79fmuTUnSyVsBhEx5LTYud_a4PoVIpHagHcUJdpOg9sIseOdLxcIaJv_UjESmG0nuZYNkmjFBQoHdwHnlsZDGZ_kUIxWOJklfD8Y9V5/s1600/domain+names.jpg"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 120px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgGBqXdPHBLy4gy7CqeS7XXK6PwZmBzo9Cs1YlXp79fmuTUnSyVsBhEx5LTYud_a4PoVIpHagHcUJdpOg9sIseOdLxcIaJv_UjESmG0nuZYNkmjFBQoHdwHnlsZDGZ_kUIxWOJklfD8Y9V5/s320/domain+names.jpg" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5409205482608271458" /></a>Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-66090308545088385582009-11-21T23:02:00.004+05:302009-11-21T23:09:28.830+05:30हमारा विश्वास तोड़ते कोड़ा और रेड्डी बंधु<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj1i0GKxzvhtPXasR0VVcpcjVYgMV3zILQvRZHAj93DQlTUu2wWdkrLuqQJ8PnHRj41rydjlUsYtAtDbqu7o6Fnw61IfpmhqxNhYk57rGBGNzvK9lPDh48OI7Z9O6ln1fsjsJeAhfA-PRag/s1600/madhu-koda.jpg"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 313px; height: 234px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj1i0GKxzvhtPXasR0VVcpcjVYgMV3zILQvRZHAj93DQlTUu2wWdkrLuqQJ8PnHRj41rydjlUsYtAtDbqu7o6Fnw61IfpmhqxNhYk57rGBGNzvK9lPDh48OI7Z9O6ln1fsjsJeAhfA-PRag/s320/madhu-koda.jpg" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5406611781196304370" /></a><strong>भारत नहीं है लोकतंत्र के लायक</strong><br /><br />दोस्तों, इस विषय पर थोड़ा देर से लिख पा रहा हूँ, इसलिए माफी चाहता हूँ। यह काम तो तुरंत होना चाहिए था लेकिन काम की व्यस्तता के कारण देरी हुई, ये भी कह सकते हैं कि शब्द ही मुंह में घुल कर रह गए थे। समझ नहीं आ रहा था कि अपने देश की किस बात पर सिर पीटें....???? नेताओं को गालियाँ देते-देते जनता की जबान थक कर चूर हो गई है लेकिन वो हैं कि सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे। दूसरी ओर जनता के पास कोई ऑप्शन भी नहीं है, वो चोरों के बीच में से ही कम चोर को मौका देने की सोचती रहती है। लेकिन अब तो कौन सा चोर बाद में जाकर कितना बड़ा चोर साबित होगा यह भी पता नहीं चल पा रहा है।<br /><br />मित्रों, मधु कोड़ा ने कमाल किया है। यह दो कोड़ी का आदमी जमीन के इतने अंदर से आया है, इसे देखकर लगता ही नहीं था कि यह आकाश में पहुँचने की इतनी जल्दीबाजी करेगा। यह जब मुख्यमंत्री बना था तब मैं इस्तेफाक से झारखण्ड की राजधानी राँची में ही था। मैं वहाँ अपने संस्थान की ओर से किसी रिपोर्टिंग कार्य पर गया था। उस समय वहाँ अर्जुन मुंडा की सरकार गिरकर चुकी थी और कोड़ा के मुख्यमंत्री बनते समय लोग इसकी तारीफ में कसीदे पढ़ रहे थे। जब यह मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहा था तब इसके पिता राँची के पास ही एक गाँव में अपने खेत में घास खोद रहे थे। जब टीवी चैनल के एक रिपोर्टर ने उनसे पूछा कि क्या आपको पता है कि आपका बेटा आज प्रदेश का मुख्यमंत्री बन रहा है तब उन्होंने कहा था कि वो उसके बारे में ज्यादा नहीं जानते क्योंकि वो कई वर्षों से घर से बाहर है। लेकिन उन वर्षों में उनके बेटे ने राजनीति की चीढ़ियाँ चढ़ते हुए तमाम संस्कार भी भुला दिए। उसने भ्रष्टाचार जैसे नासूर के साथ मिलकर अपने उस छोटे और गरीब राज्य के ऊपर इस कदर हमला किया कि सभी दंग रह गए। उसने झारखंड को तबाह कर दिया। उस राज्य का सालाना बजट 8000 करोड़ होता है। कोड़ा कुल दो वर्ष (23 महीने) वहाँ का मुख्यमंत्री रहा और उसने कुल 4000 करोड़ रुपए का हवाला घोटाला किया। मतलब दो साल के 16000 करोड़ का चौथाई हिस्सा वो अकेला आदमी अपने चमचों के साथ खा गया। यह वही आदमी है जिसको निर्दलीय रूप में भी कांग्रेस ने समर्थन दिया था और मुख्यमंत्री बनवाया था। अब कांग्रेस को समझ आ रहा होगा कि उसके समर्थन से मुख्यमंत्री बने मधु कोड़ा ने विष घोला और झामुमो का शिबू सोरेन धोखेबाज-हत्यारा निकला।<br /><br />वैसे, कांग्रेस की छोड़ें, तो हालत तो भाजपा की भी अच्छी नहीं है। संस्कारों की बात करने वाली इस पार्टी की जितनी खुदड़ पिछले कुछ महीनों में हुई है उतनी पहले कभी नहीं हुई। कर्नाटक संकट ने बता दिया है कि इस देश में, यहाँ की राजनीति में और यहाँ की राजनीतिक पार्टियों में पैसे से बढ़कर और कुछ नहीं है। येदुरप्पा को जिस तरह से जलालत का सामना करना पड़ा है वो अपने आप में एक मिसाल है। बदमाश और चरित्रहीन रेड्डी बंधुओं ने यह बता दिया है कि वो रुपए के बल-बूते किसी को भी खरीद सकते हैं और एक तथाकथित राष्ट्रवादी पार्टी को घुटनों के बल ला सकते हैं। उन बेशर्म रेड्डियों ने अपनी काली कमाई के रुपयों से वहाँ के 54 विधायकों को खरीद लिया और सरकार पर सीधे तौर से दबाव बनाया कि उन्हें भ्रष्टाचार करने की पूरी और खुली छूट मिलनी चाहिए अन्यथा वो सरकार गिरा देंगे। सब लोग दिल्ली से लेकर बेंगलौर के बीच दौड़ लगाते रहे लेकिन किसी के कान पर जूँ नहीं रेंगी। भाजपा के शीर्ष नेता उस समय शीर्षासन में दिखे और उन आतातायी भ्रष्टों के सामने गिड़गिड़ाते भी दिखे। आखिरकार एक दिन खबर आई कि येदुरप्पा मीडिया के सामने आँसुओं से रो दिए। उन्होंने कहा कि कर्नाटक संकट हल करने के लिए उन्होंने अपने कुछ सबसे प्रिय पात्रों की बलि दी है। वो प्रिय पात्र उनकी सरकार के वो ईमानदार अफसर थे जो रेड्डियों को गड़बड़ और भ्रष्टाचार नहीं करने दे रहे थे। उन सबकी छुट्टी करवाकर यह संकट हल हुआ और रेड्डियों को कर्नाटक में खुलेआम भ्रष्टाचार करने का लाइसेंस दे दिया गया। यह सब सरकार बचाए रखने की कवायद के लिए हुआ। <br /><br />लेकिन दोस्तों, हमारा देश का चरित्र यहाँ गिर गया, हम किसी पर भी विश्वास करने लायक नहीं रहे। ना तो मधु कोड़ा जैसे जमीन से जुड़े आदमी पर और ना ही रेड्डी बंधुओं जैसे हवा में उड़ने वाले आदमियों पर। ना तो देश पर 50 साल राज करने वाली कांग्रेस पार्टी पर और ना ही अपने को राष्ट्रवादी पार्टी कहने वाली भाजपा पर। हम हिन्दुस्तानी दिनोंदिन इस लोकतंत्र से हार रहे हैं और इससे खिलौंनों की तरह खेलने वाले ये कलुषित नेता जीत रहे हैं। हिन्दुस्तान का लोकतंत्र मर रहा है, धीमी मौत, हम इसे मरता हुआ देख रहे हैं लेकिन अपने बीच में से एक भी ऐसा ईमानदार नेता नहीं ढूँढ पा रहे जो अपनी जेबें भरने की नहीं बल्कि अपने देशवासियों के दिल में जगह बनाने की सोचे। भारत माँ का स्थान संसार के नक्शे पर सुदृढ़ बनाने की सोचे। सचमुच ये देश लोकतंत्र के लायक नहीं है।<br /><br />आपका ही सचिन.....।Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-41849539648849653262009-11-16T23:50:00.002+05:302009-11-17T00:02:45.351+05:30पालतू जानवरों से भी हो सकती हैं बीमारियाँ!<em><strong>अपने पेट्स को स्वस्थ रखिए खुद भी स्वस्थ रहिए</strong></em><br /><br /><strong>दोस्तों, आज के समय में स्वास्थ्य सबसे बड़ी चीज है। हालांकि हमारे शौक हमारे साथ-साथ चलते रहते हैं लेकिन हमें स्वस्थ रहने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए। इसी विषय को उठाते हुए अपने घरों में पालतू जानवरों को पालने के शौकीन लोगों और उससे उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर मैंने यह लेख लिखा है। आप भी पढ़े...<br />(लेख को पढ़ने के लिए कृपया इमेज पर क्लिक करें)</strong><br /><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhAC8PXZ4vS5aarybAIrKd9lHyhKnBrKVabLhHI0LtcK4izo78hQklz4pugT6HtAShcEYesVmCmvx46s88EfCUI9S_BxqiZR56TMlhIG1AyFOtk3i9cKE1qz8eL5nTVhjvzJvcKyA7SPBwv/s1600/pets.JPG"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 240px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhAC8PXZ4vS5aarybAIrKd9lHyhKnBrKVabLhHI0LtcK4izo78hQklz4pugT6HtAShcEYesVmCmvx46s88EfCUI9S_BxqiZR56TMlhIG1AyFOtk3i9cKE1qz8eL5nTVhjvzJvcKyA7SPBwv/s320/pets.JPG" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5404770487748190850" /></a>Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-75761687748708988862009-11-14T23:02:00.003+05:302009-11-14T23:29:21.805+05:30किसी लुटेरे की हो सकती है ये 'आवाज'!<em><strong>चीनी मोबाइल हैंडसेट्स के दुरुपयोग का मामला</strong></em><br /><br /><strong>दोस्तों, यह पोस्ट मैंने कुछ उन अनुभवों पर लिखी है जिसमें तकनीक आदमी को सुविधा प्रदान करने की बजाए उसकी दुश्मन बनकर प्रकट होती है...आप भी पढ़े<br />(स्टोरी को पढ़ने के लिए इमेज पर क्लिक करें)</strong><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhEt1ihMBl5BkUF_jLI7YfGJrIpTBs7unwJrtQnNlFqP0uSnqXdiLvDunDZ6Z_O6ZAclJ7xRFdPIblr9f2bCpW-vcdiG86SNVgqSqN_NmGGEgT_C4wVRQjTlsiFpcarKZY6tdxLYRePp9kt/s1600-h/china+mobile.jpg"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 320px; height: 174px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhEt1ihMBl5BkUF_jLI7YfGJrIpTBs7unwJrtQnNlFqP0uSnqXdiLvDunDZ6Z_O6ZAclJ7xRFdPIblr9f2bCpW-vcdiG86SNVgqSqN_NmGGEgT_C4wVRQjTlsiFpcarKZY6tdxLYRePp9kt/s320/china+mobile.jpg" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5404019468104847906" /></a>Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-20770806388902109362009-11-07T18:00:00.005+05:302009-11-07T21:53:21.813+05:30वर्चुअल दुनिया में 'अपनों' को ढूँढता युवा<span style="font-weight:bold;">सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए रहते हैं सबके कॉन्टेक्ट में</span><br /><br /><span style="font-weight:bold;">दोस्तों, आजकल के युवाओं की मानसिकता थोड़ी अलग है। अपने दोस्तों से रूबरू संपर्क में रहने की बजाए वे मोबाइल फोन या कम्प्यूटर का सहारा लेते हैं। वे 'अपनों' को सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए संदेश भेजते हैं, और वहीं से उनसे संदेश लेते भी हैं। उनके पास समय की कमी है लेकिन वे फिर भी एक्टिव हैं। इस विषय पर मैंने एक लेख लिखा है, आशा है आपको पसंद आएगा। -सचिन<br /><br />(लेख को पढ़ने के लिए इमेज पर क्लिक करें)</span><br /><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiRQXn6pLKvfAckf8rFKQBMGKylxjYRXKKe3bU7hbKxRg8Lbs9BbsAGSFAufEAG7aGVl0JluJsgNkTwD3uWwIvIdFD_cWYuDITjCONhESBWlYWtylPkb_lR7z7I9tybLs0nrYnAFIfXP3UY/s1600-h/Yuva.JPG"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 248px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiRQXn6pLKvfAckf8rFKQBMGKylxjYRXKKe3bU7hbKxRg8Lbs9BbsAGSFAufEAG7aGVl0JluJsgNkTwD3uWwIvIdFD_cWYuDITjCONhESBWlYWtylPkb_lR7z7I9tybLs0nrYnAFIfXP3UY/s320/Yuva.JPG" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5401344137899773842" /></a>Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-57400433643706098462009-11-02T16:33:00.003+05:302009-11-02T16:41:04.471+05:30देखभाल कर खाएँ ब्रेड!<span style="font-weight:bold;">इसे खाना हानिकारक भी हो सकता है<span style="font-style:italic;"></span></span><br /><br /><span style="font-weight:bold;">ब्रेड तो आप सभी लोग खाते होंगे। लेकिन आपने कभी यह नहीं सोचा होगा कि उसे खाना इस कदर हानिकारक भी हो सकता है। लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मैंने यह लिखा है। आशा है आप पसंद करेंगे। -सचिन<br />(लेख को पढ़ने के लिए इमेज पर क्लिक करें)</span><br /><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi18l4PLNiC5xBKO7YOu152KyrDqEMQbOFSGxdNJkzjfpBN2Bu5a66wUPWxMC0ZvWZutNelZZH5X8HsiQI7fxAvRnn3dzQIHoIYSzdKtFP4N8jpFinkZKsutN3laPcma7sMieXjSvFRDMXZ/s1600-h/Bread.JPG"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 148px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi18l4PLNiC5xBKO7YOu152KyrDqEMQbOFSGxdNJkzjfpBN2Bu5a66wUPWxMC0ZvWZutNelZZH5X8HsiQI7fxAvRnn3dzQIHoIYSzdKtFP4N8jpFinkZKsutN3laPcma7sMieXjSvFRDMXZ/s320/Bread.JPG" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5399460711378454930" /></a>Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-33796467729465332922009-10-30T23:28:00.004+05:302009-10-31T23:50:57.932+05:30शिक्षा नहीं, ये काला धंधा है<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhXRa1rdPESngV9Rt5TYKFWNu7QNmDsAaSbJZAYXp3hJC65jM-OIC5xIAtYqQjov1b_XPcFx-LyS4xuu5BgNlbLB8vMGSKJ5rfUXe_rHzO5R0aA3XVoT45w5HF3eo4iovo2QMABrlkhrb5Y/s1600-h/edu.bmp"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 320px; height: 229px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhXRa1rdPESngV9Rt5TYKFWNu7QNmDsAaSbJZAYXp3hJC65jM-OIC5xIAtYqQjov1b_XPcFx-LyS4xuu5BgNlbLB8vMGSKJ5rfUXe_rHzO5R0aA3XVoT45w5HF3eo4iovo2QMABrlkhrb5Y/s320/edu.bmp" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5398830530481878978" /></a><strong>हजारों-लाखों के झुंड में मूर्ख बनाए जा रहे हैं युवा</strong><br /><br />दोस्तों, शुक्रवार 30 अक्टूबर को इंदौर के दैनिक भास्कर में एक खबर पढ़ रहा था। यह खबर अखबार की एंकर स्टोरी (यानी बॉटम में लगने वाली खबर) बनाई गई थी। इसमें जो लिखा था वो दरअसल मेरे मन की बात थी जिसे मैं कई दिनों से सोच रहा था। इस स्टोरी ने जैसे मेरी सोच को शब्द दिए। यह सोच इस साल जुलाई से शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र से ही चल रही थी जब मैं काले मन के व्यापारियों को कॉलेज खोले बैठे हुए देख रहा था। वो कॉलेज मुझे सुरसा के मुंह जैसे दिखाई दे रहे थे जिनमें किसी छात्र का प्रवेश लेना उसके कैरियर के लिए काल जैसा ही दिख रहा था। इस समय भारत में शिक्षा ने जिस कदर काली चादर ओढ़ रखी है वैसी इससे पहले वह कभी नहीं दिखी। अब प्रोफेशनल और टेक्नीकल इंस्टीट्यूट्स में आने वाला छात्र शिष्य कम और ग्राहक अधिक होता है जिससे ये तथाकथित शिक्षा के मंदिर ज्यादा से ज्यादा रुपए लूटने की फिराक में रहते हैं और दो या चार साल के बाद एक ऐसी डिग्री पकड़ा देते हैं जिसकी कहीं कोई कीमत नहीं होती। <br /><br />तो बात शुरू की जाए। असल में मैंने पिछले साल पढ़ा था कि मध्यप्रदेश में इंजीनियरिंग के इतने कॉलेज हैं कि पिछले वर्ष उसमें सीटें बच गईं। मतलब पूरे प्रदेश में इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीटें 60 हजार थीं जबकि बच्चे सिर्फ 53 हजार। पीईटी (प्री इंजीनियरिंग टेस्ट) में शून्य अंक लाने वालों को भी इन कॉलेजों ने एडमिशन दे दिया, उसके बाद भी सात हजार सीटें बच गईं। इस बार स्थिति और अधिक रोचक हो गई। इस बार हमारे प्रदेश की एबली सरकार ने और अधिक कॉलेज खोलने के लिए लाइसेंस दे दिए, नतीजतन इस साल इंजीनियरिंग कॉलेजों में 29 हजार सीटें खाली रह गईं। ओफ, कमाल हो गया। ये कॉलेज हैं या रेवड़ी बाँटने के सेंटर। इन्होंने इंजीनियरिंग डिग्री की यह गत कर दी है कि अगर आप बीच बाजार आसमान में पत्थर उछालें और अगर वो नीचे किसी युवक के सिर पर जाकर गिरे, तो यकीन मानिए वो युवक इंजीनियरिंग ही कर रहा होगा। <br /><br />लेकिन मैंने लेख के शुरू में जिस खबर का जिक्र किया था वो मेरी अपेक्षा से एक कदम आगे की निकली। इस खबर में बताया गया था कि प्रदेश भर में इंजीनियरिंग के साथ-साथ अन्य प्रोफेशनल कोर्सेस की भी बुरी हालत है। एक समय कैरियर के लिए इंजन माने जाने वाले एमबीए और एमसीए कोर्से भी इसमें शामिल हैं। इसके साथ-साथ फार्मेसी जैसा विषय भी शामिल है जो एक समय बहुत पॉपुलर था। इसका सिर्फ एक ही मुख्य कारण है, कि हमारे बाकी सरकारी विभागों की तरह ही एआईसीटी (ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन) जैसे संस्थान भी भ्रष्ट हो गए हैं। वो काली कमाई वाले ताकतवर लोगों को अपनी कमाई को सफेद करने का मौका दे रहे हैं और इसके लिए एआईसीटी और आरजीपीवी (मध्यप्रदेश की टेक्नीकल यूनिवरसिटी) जैसे संस्थान उनको मदद कर रहे हैं। अब जब इस देश की शिक्षा ही बिगड़ने लगी है, नाकाबिलों को डिग्री बाँट रही है तो ऐसे युवाओं से देश के निर्माण की क्या अपेक्षा की जा सकती है?<br /><br />खबर के अनुसार मध्यप्रदेश में एमबीए, एमसीए और फार्मेसी की कुल सीटों की लगभग आधी खाली रह गई हैं। यह हालात शर्मनाक हैं। जिन कोर्सेस के लिए मारा-मारी मची रहती थी वो कोर्सेस अपनी साख खोते जा रहे हैं और मर रहे हैं। यह सब सिर्फ निजी इंस्टीट्यूट्स की वजह से ही हो रहा है। अब ऐसे फर्जी कॉलेज अपने स्टाफ पर दबाव बना रहे हैं और कह रहे हैं कि वो कहीं से भी कॉलेज में भर्ती के लिए छात्र ढूँढकर लाएँ नहीं तो उनकी नौकरी गई समझो। मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर का एक रोचक किस्सा है मेरे पास। वहाँ के ऐसे ही एक निजी कॉलेज में मेरे एक परिचित काम करते हैं। कुछ रोज पहले उनके यहाँ पूरे स्टॉफ को बुलाकर कह दिया गया कि कॉलेज की 750 सीटों में से सिर्फ 250 सीटें भरी हैं। ऐसे में आप लोगों को वेतन देना मुश्किल हो सकता है इसलिए आप सब लोग कैसे भी करके 2-2 छात्रों का कॉलेज में एडमिशन करवाइए। अगर नहीं करवा पाते हैं तो आप लोगों की नौकरी चलना मुश्किल हो जाएगी। अब उस कॉलेज का पूरा स्टाफ परेशान है कि कैसे छात्रों को ढूँढा जाए क्योंकि कॉलेज की प्रति सेमेस्टर फीस ही 45000 रुपए है और किसी से हर छह माह में इतनी बड़ी रकम खर्च करवाना कोई आसान काम नहीं है। अब कई लोग उस कॉलेज को मजबूरी में छोड़ने की योजना बना रहे हैं। <br /><br />कमोबेश ऐसी ही हालत कई शहरों के कई इंजीनियरिंग कॉलेजों की है। एक-एक शहर में 70-80 कॉलेजों का जमावड़ा लग गया है। जिसे देखो वो अपनी काली कमाई को सफेद करने के लिए शिक्षा में धन लगा रहा है। कुछ साल पहले पता चला था कि मध्यप्रदेश सरकार के कई मंत्रियों ने नर्सिंग कॉलेज खोल लिए थे। फिर गाज बीएड कॉलेजों पर गिरी और उनके गिरे हुए स्तर को देखकर हाईकोर्ट ने कई बार उन कॉलेजों को परीक्षा लेने पर ही बैन लगा दिया। कुल मिलाकर जिस विषय की जितनी ज्यादा माँग होती है उसके पीछे ये काली कमाई वाले मक्कार उतने ही ज्यादा पड़ जाते हैं और उस कोर्स की दम निकालकर ही दम लेते हैं। अब बारी इंजीनियरिंग और प्रोफेशनल कोर्सेस की चल रही है।<br /><br />देश के पूर्व मानव संसाधन मंत्री माननीय अर्जुन सिंह ने जहाँ आईआईटी-आईआईएम जैसे संस्थानों में कोटा सिस्टम लागू करके उनकी जो दुर्गति की थी वही काम अब बाकी नेता और अन्य रैकेटियर्स निजी संस्थानों द्वारा कर रहे हैं और हमारी शिक्षा का कबाड़ा किए दे रहे हैं। ये संस्थान अपने यहाँ पढाने वालों की भी दुर्गति करके रखते हैं। उनसे 20000 वेतन पर साइन लेते हैं और देते 8000 रुपए हैं। इन संस्थानों में शिक्षकों की हालत चपरासियों जैसी होती हैं और रुतबे वाले छात्र उन्हें कुछ नहीं समझते क्योंकि वो जानते हैं कि उन्हीं की दी हुई फीस से वो कॉलेज चल रहा है और इन शिक्षकों का वेतन निकल रहा है। अब बाजार बनते जा रहे इन कॉलेजों के आगे बहुत बड़ा गड्ढा खुद चुका है। वो अपने ही बनाए मायाजाल में फँसते जा रहे हैं। येन केन प्रकारेण संबंद्धता बेची जा रही है, कॉलेजों के झुंड खुल रहे हैं और छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। कुल मिलाकर शिक्षा का ये काला धंधा गहरी धुंध में बदलता जा रहा है और ऐसा सिर्फ हमारे मध्यप्रदेश में ही नहीं बल्कि देश के हर उस राज्य में है जहाँ शिक्षा देना कर्तव्य नहीं सिर्फ धंधा समझा जा रहा है।<br /><br />आपका ही सचिन...।Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-17688741493472144872009-10-30T17:46:00.003+05:302009-10-30T17:58:53.963+05:30जब मुझे 'ऑस्कर' मिला<span style="font-weight:bold;">नन्ही नयोनिका और ऑस्कर की कहानी<span style="font-style:italic;"></span></span><br /><br /><span style="font-weight:bold;">यह मेरी बेटी की तरफ से लिखा गया है। जब उसने अपना पहला डॉगी पाला तो उसे लेकर उसे तथा हम लोगों को क्या-क्या महसूस हुआ ये आप मित्रों के लिए...। पढ़कर बताइयेगा कि यह प्रयास आपको कैसा लगा..?? धन्यवाद <br />-सचिन</span><br /><br /><span style="font-weight:bold;">(लेख को पढ़ने के लिए इमेज पर क्लिक करें)</span><br /><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiRmDyirz-G9f4O2aNsc_WmUTIG8AluCfZ6ohyvErUjLh4MMseOnNmqxxKeSx_-8lAzj4XOyzAVm4uLBibboZspXoBnk1OcitIegXovPOQvsTjc8E9Y8dQwa2VTTRY-OMXUjQTnIzRj8lMt/s1600-h/Noon's+story02.JPG"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 208px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiRmDyirz-G9f4O2aNsc_WmUTIG8AluCfZ6ohyvErUjLh4MMseOnNmqxxKeSx_-8lAzj4XOyzAVm4uLBibboZspXoBnk1OcitIegXovPOQvsTjc8E9Y8dQwa2VTTRY-OMXUjQTnIzRj8lMt/s320/Noon's+story02.JPG" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5398368476852264226" /></a><br /><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj8gpCZN7hNEFiR5ZMym38WUpAreN06UbkME_poJvEtsj97xzF3s8IQDu1hqY9Hqcl9DaRKCQYUZ8qUtCYZ5YGzyx-zB3jAvJDnyDbjQNJPBB2d1Tx8Z7qXEJoHQlPKM4MwF5qT-Xd_Mq1l/s1600-h/Noon's+story01.JPG"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 208px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj8gpCZN7hNEFiR5ZMym38WUpAreN06UbkME_poJvEtsj97xzF3s8IQDu1hqY9Hqcl9DaRKCQYUZ8qUtCYZ5YGzyx-zB3jAvJDnyDbjQNJPBB2d1Tx8Z7qXEJoHQlPKM4MwF5qT-Xd_Mq1l/s320/Noon's+story01.JPG" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5398368476069754610" /></a>Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-79789462121851331772009-10-28T16:54:00.002+05:302009-10-28T17:49:47.661+05:30भारत पर हर तरह से हावी खानदानवाद<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgjRcs-uJQYOYlGcKnbRklNddDvr09VUBo6vLp8eNB_lQpWE7W4IIJrhMvDfXmlwEAxcgPhSzpFsRzmRIiHhMZHIZ5Zh6KSHvVuJWCsmiTPWBq-HtD92bPbC6ltfGuXp9iS0fgM1pW9lN26/s1600-h/youth+brigade.jpg"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 320px; height: 174px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgjRcs-uJQYOYlGcKnbRklNddDvr09VUBo6vLp8eNB_lQpWE7W4IIJrhMvDfXmlwEAxcgPhSzpFsRzmRIiHhMZHIZ5Zh6KSHvVuJWCsmiTPWBq-HtD92bPbC6ltfGuXp9iS0fgM1pW9lN26/s320/youth+brigade.jpg" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5397624306921414242" /></a><span style="font-weight:bold;">महाराष्ट्र के चुनावों ने यह जता दिया है</span><br /><br />दोस्तों, कल आईबीएन-7 पर एक कार्यक्रम देख रहा था। उस कार्यक्रम का नाम था 'एजेण्डा'। उसमें बताया जा रहा था कि कैसे इस बार महाराष्ट्र के चुनावों में जीतकर आने वाले विधायकों में युवाओं की भरमार है। उनमें से कई युवा खूबसूरत थे। फल-फूल रहे थे और उनके चेहरे से रईसी टपक रही थी। उन्हें टीवी पर किसी स्टार की तरह दिखाया जा रहा था। ऐसा क्यों था इसके लिए आप अगला पेरा पढ़े, उन युवाओं के नाम के साथ-साथ उनके माँ-बाप के नाम भी पढ़े। तब ही बात थोड़ी क्लीयर हो पाएगी और आगे बढ़ पाएगी।<br /><br />तो हमारे इस महान लोकतंत्र में जिसने राजशाही का चोगा कोई 62 साल पहले उतारकर फैंक दिया था, में महाराष्ट्र के ये चुनाव हुए। इनमें जो यंग ब्रिगेड आई है वो इस प्रकार है। चुने गए विधायकों में विलासराव देशमुख के पुत्र अमित देशमुख, सुशीलकुमार शिंदे की बेटी प्रणिती शिंदे, राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के बेटे राव साहेब शेखावत, पूर्व केन्द्रीय मंत्री माणिकराव गावित की बेटी निमर्ला गावित, सांसद एकनाथ गायकवाड की बेटी वर्षा गायकवाड, पूर्व सांसद रामशेठ ठाकुर के बेटे प्रशांत ठाकुर आदि शामिल हैं। मजे की बात यह है कि इनमें से कई पहली बार ही मंत्री बनने की फिराक में हैं, अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं और मंत्रिमंडल में इनकी जगह पक्की कराने के लिए इनके माँ-बाप ने पूरा जोर लगा रखा है।<br /><br />कई बार मुझे अपने देश के लोकतंत्र पर गुस्सा आता है। जब जनता ही सुधरना नहीं चाहती तो क्या किया जा सकता है। राज ठाकरे ने महाराष्ट्र चुनावों में सफलता पाई। मुझे लगता था कि ऐसा नहीं होगा लेकिन उसपर लिखे गए एक लेख और उसपर आई टिप्पणियों में मराठियों से गालियाँ खाने के बाद <a href="http://sachinsharma5.mywebdunia.com/2009/10/05/1254749683102.html?&w_d_=35D6E6A42026D4FA205CA5C685CB8B13.node1">पढ़ें इसे</a> मुझे लग गया था कि वो जरूर जीतेगा क्योंकि वहाँ का मानस उसके साथ था और भारतीयता के तमाम तर्क महाराष्ट्र के लोगों ने अपने-अपने तर्कों के साथ ठुकरा दिए थे। जब लोग ही लोकतंत्र को दुत्कार कर राजशाही, जात-पात में फँस जाएँ तो सिर्फ लेख लिखने भर से क्या हो जाएगा..?? अब इस खानदानवाद और नफरत की राजनीति का विस्तार हो रहा है। लेकिन हम यहाँ सिर्फ खानदानवाद की ही बात करेंगे।<br /><br />पहले हमारे देश में राजा सत्ता हस्तांतरण किया करता था। अपने बेटे या कहें राजकुमार या युवराज को। राजकुमार अधिकृत रहता था अपने पिता से राज गद्दी लेने के लिए। बाद में वह राज करता था, फिर उसका बेटा, फिर उसका भी बेटा। यही नियम था। हिन्दू राजाओं ने भी यही नियम चलाया और बाद में आने वाले मुगल राजाओं ने भी। लोकतंत्र से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती। लेकिन आप भारत के लोकतांत्रिक इतिहास की ओर जरा नजर डालकर देखिए। देश के ऊपर ज्यादातर किस खानदान का राज रहा है..?? बीच-बीच में कुछ छुटभैये आ गए लेकिन वो गाँधी-नेहरू परिवार की छाँव में ही पले-बढ़े। अन्यथा यह खानदान ही पिछले 60 बरसों से देश पर राज कर रहा है। पिछले दस वर्षों से देश पर पार्श्व में रहकर सोनिया गाँधी राज कर रही हैं। बीच में छह सालों के लिए भाजपा आई लेकिन अटलजी के बाद उसका कोई खेवनहार नहीं रहा और वो पूरे भारत में इस समय कमजोरी और हार का सामना कर रही है। उसके कमजोर होने से पहले से ही चरमराई और खत्म सी हो रही हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था भी धीरे-धीरे खत्म हो रही है। बाकी क्षेत्रीय पार्टियाँ तो चल ही खानदानों के बूते रही हैं। उनमें शुरूआत भले ही किसी कद्दावर नेता ने की हो लेकिन वो आखिरी में सत्ता का हस्तांतरण अपने बेटे-बेटियों को ही करता है। मैं यहाँ नाम नहीं गिनाना चाहता लेकिन आप सभी क्षेत्रीय पार्टियों के बारे में सोच कर देख लीजिए बात अपने आप प्रूव हो जाएगी।<br /><br />आप ताकतवर परिवारों की बात करें। देश के सारे बिजनिस हाउस अपने परिवारों के तले अपना साम्राज्य स्थापित करते हैं और उसे विस्तार भी देते हैं। इसके ढेरों उदाहरण हैं, बताने की जरूरत नहीं। खैर ठीक भी है, वो पूँजीवादी व्यवस्था है इसलिए बिजनिस एंपायरों के मालिकों के बेटे-बेटियाँ ही सबकुछ संभालते हैं। लेकिन फिल्म इंडस्ट्री को देखिए..वो कला से संबंधित होते हुए भी सिर्फ परिवार के लोगों के बलबूते ही चल रही है। पुराने एक्टर का बेटा पैदा होते ही स्टार बन जाता है, उसके बड़े होने का निर्माता इंतजार करते हैं, जबकि स्ट्रगल करने वाले प्रतिभाशाली युवा एड़ियाँ घिसते-घिसते ही बूढ़े हो जाते हैं। महाराष्ट्र चुनावों में मंत्रियों के बेटे-बेटियाँ युवाओं को मौका मिलने की बात कहकर आगे आना चाहते हैं लेकिन उनका क्या जो मौके की तलाश करते-करते बूढ़े हो गए। मतलब जब वो युवा थे तब उनसे अनुभव की अपेक्षा की गई थी और अब जब वे अनुभवी हैं तो उनसे युवा होने की अपेक्षा है। बेचारे, अब वो ना इधर के रहे ना उधर के।<br /><br />ऐसा ही आपके और हमारे साथ भी है। अगर आपका 'बैक' नहीं है तो मजे करिए, आपके लिए कहीं कोई जगह खाली नहीं। लेकिन अगर है तो आप भी युवा हैं और आपको भी निश्चित ही मौका मिलेगा, बाकी अपने को तो कोई युवा ही मानने को तैयार नहीं। कुल मिलाकर अगर हम देश की राजनीति में जाना चाहें तो हमें दुआ करनी होगी कि अगले जन्म में भगवान हमें किसी सक्षम राजनीतिक परिवार में पैदा करे और किसी बड़े नेता की संतान बनाए...आमीन..।<br /><br />आपका ही सचिन....।Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-45411645695932082852009-10-27T16:54:00.003+05:302009-10-27T23:42:03.484+05:30इसलिए है भारतीय सेना में अफसरों की कमी..!!<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiVOk3n48im9mWc_36NmVjoCBqtZTkIojQ-1ZlAW9aFp53ImG0hR2RwplOTI-bGazLGF8U6jAO_DOPWheHuX-PENBy4Uoo-SJtWWSk6DRiGBPO-xrNG3lr5kyfsunVEGS5VcDLcQ5sQmPxK/s1600-h/Indian+Army.jpg"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 320px; height: 234px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiVOk3n48im9mWc_36NmVjoCBqtZTkIojQ-1ZlAW9aFp53ImG0hR2RwplOTI-bGazLGF8U6jAO_DOPWheHuX-PENBy4Uoo-SJtWWSk6DRiGBPO-xrNG3lr5kyfsunVEGS5VcDLcQ5sQmPxK/s320/Indian+Army.jpg" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5397241784534609346" /></a><span style="font-weight:bold;">युवाओं को लंबे समय तक दुत्कारा है सेना ने<span style="font-style:italic;"><span style="font-style:italic;"></span></span></span><br /><br />दोस्तों, कल एक खबर पढ़ी। शीर्षक था 'भारतीय सेना जूझ रही है अफसरों की कमी से'...इसी खबर के पास एक और खबर थी। उसमें बताया गया था कि बीएसएफ के जवान लगातार नौकरियाँ छोड़ रहे हैं। वे परिवार से दूर रहकर लंबे समय तक दूसरे देशों से लगी भारत की 7 हजार किमी लंबी सीमा रेखा की चौकसी करते रहते हैं, लगभग 30 साल। फिर वो रिटायर हो जाते हैं और उनके हाथ में कुछ नहीं रहता। उनकी पेंशन स्कीमें हमारे नेताओं जैसी नहीं हैं इसलिए वो नौकरी के 20 साल पूरे होते ही उसे छोड़ रहे हैं क्योंकि इसके बाद वो पेंशन लेने के लिए पात्र हो जाते हैं। बाद में वे अपने और अपने परिवार को समय देते हैं। ऐसी ही कुछ कहानी आईटीबीपी यानी इंडो-तिब्बत बार्डर पुलिस के जवानों की भी है। कुल मिलाकर हमारे देश की सेना को कर्तव्यनिष्ठ जवानों और अफसरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि युवा दूसरे अवसरों की ओर दौड़े चले जा रहे हैं और इसी कारण सेना में 45 हजार अफसरों के पद खाली पड़े हैं। हालांकि सेना यह बात लंबे समय से कहती आ रही है, वो यह दावा भी करती रही है कि युवाओं का रुझान देशसेवा से इतर जा रहा है, लेकिन मैं सेना की इस बात से इत्तेफाक ना रखते हुए इस विषय पर अपना अलग ही पक्ष रखना चाहता हूँ।<br /><br />दोस्तों, बात ठीक वैसी ही नहीं है जैसा सेना बता रही है। हमारे देश की सेना भी कोई कम झक्की नहीं है। उसे ये दुर्दिन यूँ ही नहीं देखने पड़ रहे हैं, इसके लिए हमें बात का थोड़ा विश्लेषण करना होगा और थोड़ा पीछे मुड़कर देखना होगा। सबसे पहले मैं अपने से ही बात शुरू करूँगा। मैं सेना में जाने के लिए हमेशा से दीवाना रहा। मैंने कॉलेज टाइम में एनसीसी ली और उसमें पहले साल नेवल विंग और बाद के दो सालों में एयरविंग लेकर सी सर्टिफिकेट लिया। मैंने 12वीं पास करते ही एनडीए (नेशनल डिफेंस अकादमी) के एक्जाम देना शुरू कर दिए थे। बाद में ग्रेजुएशन के बाद मैं सीडीएस (कम्बाइंड डिफेंस सर्विसेज) की परीक्षा देने लगा। कलेज में पढ़ने के दौरान ही मैंने एनसीसी ली थी। एनडीए एक्जाम मेरा एक बार भी क्लीयर नहीं हुआ जबकि सीडीएस में मैं कई बार क्लीयर हुआ और एसएसबी (सर्विस सलेक्शन बोर्ड) देने कई बार इलाहाबाद गया। हर बार वहाँ से लौटना पड़ा। कभी किसी टेस्ट में, तो कभी किसी टेस्ट में बाहर होकर। एक बार आखिरी स्टेज तक गया, सोचा अब तो बदन पर वर्दी आ ही जाएगी, लेकिन फिर से अपनी दुनिया में लौटना पड़ा और 'सिविलयन' बनकर रहना पड़ा। <br /><br />दोस्तों, जब 12वीं के बाद दिल्ली में यूपीएससी भवन में एनडीए की परीक्षा देने गया था तब वहाँ आए नौजवानों को देखकर लगा था कि देश के सभी बाँके जवान सेना में ही जाना चाहते हैं। उनका उत्साह देखते ही बनता था। उनमें तब मैं भी शामिल था। यह कोई 15 साल पुरानी बात है, 1994 की। जब रिजल्ट आया तो कई लड़कों (जो लड़ाके बनना चाहते थे) की उम्मीदें धूल में मिल गईं और वो रिटन एक्जाम में ही खारिज हो गए, ठीक मेरी तरह। बाद के वर्षों में मन लगातार खिन्न होता रहा क्योंकि मैंने सेना की परीक्षा के अलावा अन्य किसी भी सरकारी नौकरी के लिए कभी प्रयास ही नहीं किया, मेरी अन्य सरकारी नौकरियों में जाने की कभी इच्छा ही नहीं होती थी। सीडीएस तक यह सिलसिला चलता रहा। हम प्रयास करते रहे और रिजेक्ट होते रहे। जब 25 साल के पूरे हुए तब जाकर लगा कि भगवान अब कभी सेना में नहीं जा पाऊँगा, उस आखिरी बार रिजेक्ट होने के बाद इलाहाबाद के नजदीक नैनी में अपने मौसेरे भाई के घर जाकर मैं खूब रोया था। उसी दिन तेज बुखार भी चढ़ा। बाद में ठीक होने के बाद बनारस और सारनाथ गया। गंगाजी में नहाया, काशीविश्वनाथ जी के दर्शन किए और प्रण किया कि अब पत्रकारिता को गंभीरता से लूँगा क्योंकि अभी तक तो सेना में जाने की झक सवार थी मुझे। लेकिन यकीन मानिए जिस प्रकार सेना की ओर से बिना कारण बताए होशियार से होशियार लड़कों को इंटरव्यू से निकाल दिया जाता है वो काबिले गौर बात है। इसी प्रकार मेरा एक मित्र लगातार सेना से खारिज होने के बाद लॉ (विधि) की ओर मुड़ा और बाद में उसने सिविल जज का एक्जाम निकाला और वर्तमान में मध्यप्रदेश के एक जिले में सिविल जज है। ऐसे कई उदाहरण हैं मेरे पास जिनमें मेरे साथ सेना में जाने के इच्छुक लड़के दूसरे क्षेत्रों की ओर मुड़ गए और उनमें से ज्यादातर अपने जीवन में खूब सफल हुए हैं।<br /><br />सोचने वाली बात है, कि आज के जमाने में किसे फुर्सत है कि कोई 25 साल तक सेना की नौकरी में जाने के लिए यूँ ही लगातार प्रयार करता रहे। क्योंकि अगर वो सफल नहीं हुआ तो कही भी जाने के लायक नहीं रहेगा। आजकल 25 साल के बाद तो सबकुछ हाथ से निकल जाता है। आज जब 20 साल की उम्र पूरी करते-करते युवाओं की शानदार नौकरियाँ लग रही हों, उन्हें बाहर जाने और काम करने के मौके मिल रहे हों, तो ऐसे में कौन बार-बार जलील होने सेना की ओर जाना चाहेगा। आपमें से कुछ लोगों को यह मेरा भड़ास निकालना लग रहा होगा..तो चलिए मैं यहाँ एक तर्क देना चाहता हूँ। अगर आपका गणित अच्छा नहीं है (जैसे की मेरा) तो मैं भारतीय सेना के नेवी और एयरफोर्स के लिए एप्लाई ही नहीं कर सकता। सेना की जासूसी विंग में भी नहीं जा सकता। सिर्फ ग्राउण्ड फोर्स के लिए एप्लाई कर सकता हूँ। मतलब अगर मेरा गणित अच्छा नहीं है (जो मेरे हाथ में नहीं है) तो मैं देश सेवा से वंचित हुआ समझो। इसी प्रकार अगर मेरे बाप-दादा में से कोई सेना में रहा है तो अच्छा, उसे इंटरव्यू में उसका फायदा मिलता है लेकिन ना रहा हो तो मेरा क्या कसूर, सिर्फ इसी कारण भी वहाँ कई रिजेक्ट हो जाते हैं। हमारे कई बैच जिनमें 100-100 लड़के थे, एकसाथ बाहर कर दिए गए। बिना कारण बताए, यह कहकर कि हम उनके बनाए खाँचे में फिट नहीं बैठते। इतने सारे लड़कों में से कोई भी नहीं..!!!<br /><br />मेरा मानना है कि अगर इसराइल या अमेरिका में भी ऐसा होता तो क्या होता..?? इसराइल में सभी युवाओं (लड़के और लड़कियाँ भी) को सेना में कम से कम तीन से पाँच वर्ष देना अनिवार्य हैं। ठीक ऐसा ही अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी में भी था, अब वहाँ थोड़ी छूट मिली है। तो भारत में क्यों नहीं यह अनिवार्य किया जाता, बिना ये देखे कि किसके पास गणित रहा है और किसके पास नहीं। किसके बाप-दादा सेना में रहे हैं और किसके नहीं..। मेरे जैसे कई युवा हैं जिन्होंने अपनी शुरूआती युवावस्था के 5 से 10 वर्ष सेना की वर्दी में अपने को देखने के इच्छुक रहते हुए गुजारे, वो सेना के ख्वाबों में जिए लेकिन अब उनके सपने दूसरे हैं। ऐसे में सेना के अगर 45 हजार अफसरों के पद खाली हैं तो इसमें आश्चर्य कैसा...?????<br /><br />आपका ही सचिन....।Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-77679354709342451932009-10-26T18:01:00.005+05:302009-10-28T16:45:07.789+05:30ये नहीं हैं असली हीरो-हिरोइन..!!<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiYknuSo63CBi3mSvOt9bLbL7qopCIdbJzZmnTbGMgXOnYXMmAPLqvYHK1ZC35yK36qn61Pf5bN4WK245W-efuPiza35TroEqlvrdbc6m7yEDEKzaFsVOrlNx50x0OOIex8lt_bQ9RxIGIN/s1600-h/shilpa.JPG"><img style="float:right; margin:0 0 10px 10px;cursor:pointer; cursor:hand;width: 192px; height: 277px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiYknuSo63CBi3mSvOt9bLbL7qopCIdbJzZmnTbGMgXOnYXMmAPLqvYHK1ZC35yK36qn61Pf5bN4WK245W-efuPiza35TroEqlvrdbc6m7yEDEKzaFsVOrlNx50x0OOIex8lt_bQ9RxIGIN/s320/shilpa.JPG" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5396886022267645906" /></a><span style="font-weight:bold;">हमें इन शब्दों का सच्चा अर्थ ही नहीं पता</span><br /><br />पिछले दो दिनों में दो खबरें पढ़ने को मिलीं। पहली खबर बॉलीवुड की हिरोइन शिल्पा शेट्टी की थी। उन्होंने राज कुन्द्रा से सगाई कर ली है। इससे पहले वो इस कुन्द्रा की पहली शादी तुड़वा चुकी है और राज के लंदन में चल रहे बिजनेस से कमाए गए रुपयों पर जमकर ऐश कर रही हैं। इसमें आईपीएल की राजस्थान टीम की मालकिन बनना भी शामिल है। एक ऐसी मालकिन जिसकी इस टीम को खरीदने में अठन्नी भी नहीं लगी। दूसरी खबर हीरो सलमान खान से संबंधित है। वो इंदौर आए। प्रशंसक उन्हें देखने के लिए टूट पड़े। इस धक्का मुक्की में उन्हें किसी के नाखून लग गए और वो इंदौर के नेहरू स्टेडियम से बिना किसी से मिले वापस चले गए। <br /><br />दोस्तों, मैं इन खबरों के बारे में आप लोगों को नहीं पढ़ाना चाहता था। बस मैंने उक्त लाइनों को लिखने में शिल्पा के लिए हिरोईन और सलमान के लिए हीरो खब्द का उपयोग किया है। बस यही मेरी बात का मूल है क्योंकि हम फिल्मों में काम करने वालों को हीरो और हिरोइन ही कहते हैं। मैं जब भी इस तरह की खबरों में फिल्मों में काम करने वालों के लिए हीरो-हिरोइन शब्द का इस्तेमाल देखता हूँ तो सोच में पड़ जाता हूँ. दरअसल भारत में हम लोगों को हीरो-हिरोइन का सच्चा अर्थ ही नहीं पता। हम फिल्मों में काम करने वाले लोगों को हीरो-हिरोईन कह देते हैं जबकि देश में काम कर रहे असली हीरो-हिरोइनों को पूछते तक नहीं हैं। हमने उनकी दुर्गति कर रखी है। अगर आप डिक्शनरी उठाकर देखें तो अंग्रेजी के हीरो शब्द का अर्थ होता है वीर और हिरोइक शब्द का मतलब होता है वीरोच्चित। इसी प्रकार हिरोइन शब्द का अर्थ होता है वीरांगना। योरप और अमेरिकी देशों में (जहाँ अंग्रेजी बोली जाती है) वहाँ वीरों को नेशनल हीरो या लीजेन्ड्री हीरो कहा जाता है। कोई बहुत बहादुरी या समाज हित में बड़ा काम कर देता है तो उसे हीरो कहा जाता है जबकि हम इन नचईयों और भांडो के लिए हीरो और हिरोइन जैसे महान शब्दों का उपयोग कर रहे हैं। हमें पश्चिम की तर्ज पर ही इन्हें अभिनेता या अभिनेत्री(एक्टर-एक्ट्रेस) ही कहना चाहिए नहीं तो आपके और हमारे बच्चे कभी नहीं जान पाएँगे कि हीरो और हिरोइन का असली अर्थ क्या होता है।<br /><br />आपका ही सचिन...।Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-14662663538390481382009-10-25T11:31:00.003+05:302009-10-25T13:54:45.562+05:30बम विस्फोट आखिर पाकिस्तान में क्यों..??<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjQYHK1vG9duy-uBa1OPegY_TKww1yCbKQZtDnBHrgU26pELoKCHHfsKe4qaptZiRJLFDBvjKwTTdBV-A8sqWwFB-TIX6bxDndae7M7qXdujy9laucgHo8t3Dbvdq6WbLFk_ia2ieH3DaXc/s1600-h/pakistan+blasts01.jpg"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 320px; height: 207px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjQYHK1vG9duy-uBa1OPegY_TKww1yCbKQZtDnBHrgU26pELoKCHHfsKe4qaptZiRJLFDBvjKwTTdBV-A8sqWwFB-TIX6bxDndae7M7qXdujy9laucgHo8t3Dbvdq6WbLFk_ia2ieH3DaXc/s320/pakistan+blasts01.jpg" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5396450512205925138" /></a><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhPtUBPBoZNvaphW1xQow4_1N6zGpG3ue8WlIrYY4sql4rSriAdwmc4tY7J1GVw0ed59rBEtZSUUPQmEBabFgPvIBtHdIlMGH7UQMNXIBSUdh7ndr7MmfxtyT55nPg0VUTyhT8GyirW1RC-/s1600-h/pakistan+blasts02.jpg"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 320px; height: 180px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhPtUBPBoZNvaphW1xQow4_1N6zGpG3ue8WlIrYY4sql4rSriAdwmc4tY7J1GVw0ed59rBEtZSUUPQmEBabFgPvIBtHdIlMGH7UQMNXIBSUdh7ndr7MmfxtyT55nPg0VUTyhT8GyirW1RC-/s320/pakistan+blasts02.jpg" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5396450509110903602" /></a><span style="font-weight:bold;">दहशतगर्दी का दर्द समझ आ रहा होगा पाकिस्तान को</span><br /><br />पिछले कुछ दिनों से लगातार कुछ खबरें सुन रहा हूँ। यह खबरें वैसे तो हम मानसिक सुकून देने वाली कह सकते हैं लेकिन फिर भी मैं इनपर कुछ सोचने के लिए विवश हुआ। आप दोस्तों से शेयर करना चाहता हूँ जैसी कि मेरी आदत है। यहाँ मैं बात कर रहा हूँ पाकिस्तान में लगातार हो रहे बम विस्फोटों की। कई बार तो इन विस्फोटों की भयावहता देखकर लगता है कि ओफ..अगर यह सब भारत में हुआ होता तो कितना भयानक मंजर होता...!!!! भारत की आशंका इसलिए जागी क्योंकि जिस तरह से पाकिस्तान में विस्फोट किए जा रहे हैं और जो लोग विस्फोट कर रहे हैं वो वही लोग हैं जो भारत में आतंक फैलाते रहे हैं। यहाँ की तर्ज पर ही वहाँ भी विस्फोट हो रहे हैं। कारण भी वही है....बहुचर्चित धर्म.....।<br /><br />दोस्तों, जब पाकिस्तान में विस्फोट होते हैं तो वहाँ के मुस्लिम बाशिंदों के भी उसी तरह फटे हुए बदन आसमान में उड़ते हैं जैसे यहाँ हिन्दुओं के उड़े थे। दोनों ही इंसान हैं लेकिन दहशतगर्दों को यह नहीं दिखाई देता। उन्हें दिखता है कि उनकी धर्मांधता और उसके फैलाव में रोड़ा कौन बन रहा है। पाकिस्तान ने आतंकवाद को लंबे समय तक प्रशय दिया। उसे पाला पोसा। बहुचर्चित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (खुदा की पवित्र फौज) का कई एकड़ों में फैला मुख्यालय पाक राजधानी इस्लामाबाद से कुछ ही सौ किमी दूर है। ऐसे में पाकिस्तानी आवाम को माँस के लोथड़ों में तब्दील होता हुआ देख आश्चर्य होता है। हालांकि इसके स्पष्ट कारण हैं जो आपको और हमको दोनों को पता हैं लेकिन असमंजस की स्थिति देखिए कि खुदा (?) के लिए काम करने वाली दो फौजें आपस में लड़ रही हैं और मर रही हैं। पाकिस्तान फौज और उसकी इंटेलीजेंस एजेंसी आईएसआई ने लंबे समय तक (लगभग दो दशक) आतंकियों का साथ दिया। उन्हें इतना मजबूत बनाया कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार अरब से पनपे अल कायदा से ज्यादा धन-संपदा और संसाधन पाकिस्तान और अफगानिस्तान से पनपे तालीबान के पास है। अमेरिकी वर्ल्ड ट्रेड टॉवरों को ध्वस्त करने के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को पुचकारने और लताड़ने का काम शुरू किया। पुचकारने का ऐसे कि उसे भरपूर आर्थिक सहायता दी गई जिससे उसकी सामाजिक जरूरतें पूरी हो सकें। लताड़ने का ऐसे कि पाकिस्तान को इसके एवज में तालीबान के खिलाफ जंग छेड़नी थी। उसी तालीबान के खिलाफ जो पाकिस्तानी फौज का बच्चा था। अब यह बच्चा बड़ा हो गया है और बाप को टक्कर दे रहा है।<br /><br />तालीबान के पास कभी निर्दोषों की जान लेने के अलावा कोई विकल्प रहा ही नहीं। वो डराकर अपने धर्म को दूसरों के ऊपर हावी करना चाहता है। लेकिन उसे यह समझ नहीं आता कि आधुनिक दुनिया में यह काम उतना आसान नहीं रहा जितना 500 या 1000 साल पहले था। आज तालीबान के पास जितने संसाधन या धन होगा उतने समूचे धन की तो अमेरिका, जापान या चीन में एक अकेली अत्याधुनिक इमारत होगी। जहाँ तक हथियारों की बात है तो एके-47 या रूस से लूटे हुए टैंकों के बल पर दुनिया भी फतह नहीं की जा सकती। हाँ, एक यक्ष प्रश्न जरूर हमारे सामने खड़ा है कि पाकिस्तान के परमाणु बमों पर तालीबान कहीं कब्जा करके उन्हें भारत या अन्य योरपीय या अमेरिकी देशों के लिए इस्तेमाल ना कर दे। तो यह आशंका समूचे विश्व के मानस पर अंकित है और आए दिन अमेरिकी सैन्य विशेषज्ञ यह आशंका जाहिर करते भी रहते हैं और पाकिस्तान उस आशंका पर अपना यह कहकर स्पष्टीकरण भी देता रहता है कि उसके कंट्रोल में सबकुछ है और उसके परमाणु बम पूरी तरह सुरक्षित हैं। दूसरी एक आशंका यह भी है कि चीन तालीबान को उन परमाणु हथियारों को हड़पने या बनाने में मदद करे क्योंकि उसके दुश्मन लगभग वही देश हैं जिन्हें मुस्लिम दुनिया अपना दुश्मन मानती है। हालांकि इस्लामिक दुनिया के कई राष्ट्र प्रोग्रेसिव हैं और आतंकवाद की निंदा करते हैं लेकिन तालीबान को लगता है कि वो राष्ट्र अंततः उसी का साथ देंगे और अगर नहीं देंगे तो धर्म के फैलाव के आड़े आने के कारण उनका हर्ष भी वही किया जाएगा जो वर्तमान में पाकिस्तान का किया जा रहा है।<br /><br />पाकिस्तान में हो रहे लगातार धमाके और चिंदे-चिंदे हो रहे वहाँ के नागरिक और मानवता को लेकर यह अब साफ हो गया है कि तालीबान किसी का नहीं है। जिस देश के लोगों के रूपयों से उसने संसाधन जुटाए उसी देश के लोगों (जो उसके समान धर्म के भी हैं) का नाश करने से वो नहीं चूक रहा। अब उसकी प्रायरोरिटी पर भारत नहीं बल्कि पाकिस्तान है और अब वहाँ के आत्मघाती लड़ाकों को यह बताया जा रहा है कि अगर अल्लाह की बनाई जन्नत में जाना है तो अमेरिका का साथ देने वाले पाकिस्तान के लोगों को लाशों में बदलो। पाकिस्तान दुविधा में है, वो ना चाहते हुए भी तालीबानी आतंकवादियों के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ रहा है और हजारों तालीबानियों को मौत के घाट उतार चुका है। उसके कई सैनिक और कई मासूम बाशिंदे भी इस लड़ाई में मारे जा रहे हैं लेकिन पीओके और अफगानिस्तान से सटी पाकिस्तानी सीमा पर बसे गाँव के लोग मानते हैं कि इस धर्मांध तालीबान का नाश होना ही चाहिए। वो त्रस्त हो चुके हैं ऐसे वातावरण से जिसमें वो सिर्फ नमाज पढ़ने वाले बनकर रह गए हैं। उन्हें सिर्फ वही करने की इजाजत है जो 1400 पहले थी। आधुनिक दुनिया में उनको झाँकने तक की इजाजत नहीं है। ऐसे में उनका दम घुट रहा है। पाकिस्तान के लोगों को यह अहसास हो रहा होगा कि दहशतगर्दी में जीने पर कैसा महसूस होता है।<br /><br />आपका ही सचिन....।Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-58409519186856657962009-10-13T17:24:00.002+05:302009-10-13T18:04:35.191+05:30कान में छुपा है 'चक्कर' का असली कारण<span style="font-weight:bold;">दोस्तों, आप और हम में से कई लोग 'चक्करों' के चक्कर में पड़े रहते हैं। कई प्रकार के इलाज करवाते रहते हैं। बहुत सी जाँचे करवाते हैं लेकिन इन चक्करों के चक्कर से बाहर नहीं निकल पाते। मैं भी पिछले माह कुछ ऐसी ही परेशानी में फँस गया था और मेडिकल कॉलेज के कई विभागों में कई प्रकार की जाँचे करवाने के बाद ये बीमारी मेरी पकड़ में आई। मैंने अपने अखबार में इस पर एक लेख लिख मारा है। मैं आप लोगों से इसे साझा कर रहा हूँ ताकि अगर आपमें से कोई इन 'चक्करों' में उलझा हो तो उसे इनसे बाहर निकलने में थोड़ी मदद मिल सके। आशा है आपको यह पसंद आएगा।<br />लेख को पढ़ने के लिए इमेज पर क्लिक किजिए....।</span><br /><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgyFZwhF6upywbtq4rfr0LK7W3DXfaUdl18wqIpnoNa3oVYulOCo0O3yY2ZXynIYa07eIfKtqMK7gbnCfGQuME_vznzy1Px4NVS0fxtjZj1-jUV2HEPv5AC5j2J7-xTg8GhHQuLQCYqkLsK/s1600-h/Vertigo.JPG"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 160px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgyFZwhF6upywbtq4rfr0LK7W3DXfaUdl18wqIpnoNa3oVYulOCo0O3yY2ZXynIYa07eIfKtqMK7gbnCfGQuME_vznzy1Px4NVS0fxtjZj1-jUV2HEPv5AC5j2J7-xTg8GhHQuLQCYqkLsK/s320/Vertigo.JPG" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5392057280488064386" /></a>Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-76623262345408234842009-10-11T13:31:00.005+05:302009-10-11T13:57:25.042+05:30गूगल का डूडलर डेनिस ह्वांग<span style="font-weight:bold;">गूगल के विभिन्न लोगो के पीछे का चेहरा</span><br /><br /><span style="font-weight:bold;">आप भी पढ़िए और बताइए कि कहीं ये जानकारी भी आपके लिए पुरानी तो नहीं है.?</span><br /><br /><span style="font-weight:bold;">बड़ा करके पढ़ने के लिए इमेज पर क्लिक करें<span style="font-style:italic;"></span></span><br /><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgnmOognHHC4T5sbgCX3oCRr_RXR_p3fZ18-QAutSusNZGS-ls3rLFSi1stx9UdzYTRGDd6e2vfouH2vE-RPEgtpIwysdBTPVDklfSH1Sdu9qz7zXe_TZ9LB67X7RX8rgzK68nj8ZDGJAdj/s1600-h/Google-Doodle.JPG"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 320px; height: 174px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgnmOognHHC4T5sbgCX3oCRr_RXR_p3fZ18-QAutSusNZGS-ls3rLFSi1stx9UdzYTRGDd6e2vfouH2vE-RPEgtpIwysdBTPVDklfSH1Sdu9qz7zXe_TZ9LB67X7RX8rgzK68nj8ZDGJAdj/s320/Google-Doodle.JPG" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5391250388225832770" /></a><br /><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEja9GxPuJE8WwOrz9FRCG0Qm508w5uydavBzXidv067FX8SjIsIZRyHHnYbhsumdthuKo8Pvv2exe3UDxknDBqRbMpc9G2Nc93wtjRJOnUf0IO_A4W4mObY75HDSux9vE9i96vQnEltUOOY/s1600-h/Doodle4Google-india.jpg"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 320px; height: 209px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEja9GxPuJE8WwOrz9FRCG0Qm508w5uydavBzXidv067FX8SjIsIZRyHHnYbhsumdthuKo8Pvv2exe3UDxknDBqRbMpc9G2Nc93wtjRJOnUf0IO_A4W4mObY75HDSux9vE9i96vQnEltUOOY/s320/Doodle4Google-india.jpg" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5391253449664881970" /></a>Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2190346811176364040.post-82619033044141612152009-10-10T18:59:00.005+05:302009-10-10T19:24:40.290+05:30नक्सलियों को खोद कर उखाड़ फैंकना चाहिए<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhPAAsprNkMxNioZI3seUESxWkTR56XnB_yzhQJB9Hywfj3uR9yBl5dysWuzw3ajzHgUVnmggu1TUPON3Ap6P6kjh5Bjc6nn14IOrlTlVFz6Tu4ggkecUuKAZwjdYRDuItBhKPk_v2yCY_U/s1600-h/India_Naxal_affected_districts_map.bmp"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 283px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhPAAsprNkMxNioZI3seUESxWkTR56XnB_yzhQJB9Hywfj3uR9yBl5dysWuzw3ajzHgUVnmggu1TUPON3Ap6P6kjh5Bjc6nn14IOrlTlVFz6Tu4ggkecUuKAZwjdYRDuItBhKPk_v2yCY_U/s320/India_Naxal_affected_districts_map.bmp" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5390963630178619618" /></a><br /><span style="font-weight:bold;">हत्याएँ करने वाले इन दरिंदों से हम क्यों सहानुभूति रखें?</span><br /><br />भारत के नक्सली आतंकवादी हैं। वामपंथ विचारधारा वाले लोगों को सुनकर यह बुरा लग सकता है लेकिन मैं इस बात का पक्षधर हूँ कि इस समस्या को मूल रूप से खत्म कर देना चाहिए क्योंकि इन लोगों ने जिन छोटे किसानों को अधिकार दिलवाने के नाम पर ये खतरनाक आंदोलन शुरू कर रखा है उसे कई दशकों तक चलाने के बाद भी ये उन किसानों के लिए कुछ नहीं कर पाए हैं। इन्होंने सिर्फ हत्याएँ की हैं और उन निरीह पुलिस के हवलदारों को अपना निशाना बनाया है जो ना तो पूँजीवादी व्यवस्था के परियाचक थे और ना ही उन्होंने किसी किसान की कोई जमीन हड़पी थी। कई मामलों में तो नक्सलियों ने वाकई दुस्साहस दिखाया है। उन्होंने कई नेताओं, उनके पुत्रों को मार डाला, कई आईपीएस और आईएएस अफसरों की हत्या की और मुख्यमंत्रियों के काफिलों तक पर हमले किए जिनमें चंद्रबाबू नायडू शामिल हैं। अब ये नक्सली कह रहे हैं कि भारत सरकार उनके खिलाफ युद्ध छेड़ सकती है.....तो और क्या करेगी भाई, आरती उतारेगी तुम्हारी..??<br /><br />दोस्तों, पिछलों दिनों भारत के वायुसेना प्रमुख नाइक साहब ने जब कहा कि सेना तो सीमा पर चौकसी के लिए होती है और वे इस बात के पक्षधर नहीं हैं कि नक्सलियों पर सेना कार्रवाई करे, तब मेरा मन खट्टा हो गया था। नाइक साहब के लिए बस इतना ही कि जब आप सीमा पर चौकसी कर रहे हैं और अंदर मासूम नागरिक मारे जा रहे हैं तब उस सीमा की चौकसी का फायदा ही क्या, क्योंकि उस सीमा के भीतर ही हमारे देश के नागरिकों के सिर काटे जा रहे हैं। देश के गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने हाल ही में कहा कि नक्सली समस्या राज्य सरकारों की निजी जिम्मेदारी है। हालांकि बाद में उन्होंने अपने बयान में थोड़ा सुधार किया और कहा कि नक्सलियों से मिलजुलकर निपटा जाएगा, लेकिन सवाल यह है कि चिदंबरम जी ऐसे-कैसे गृहमंत्री हैं...!!!!! ये साहब पहले भी कह चुके हैं कि देश के हर नागरिक की रक्षा केन्द्र सरकार नहीं कर सकती। अब कह रहे हैं कि नक्सलवाद से राज्य सरकारें निपटें। उनके ही मंत्रीमंडल के एक साथी शरद पवार सूखे की समस्या पर ठीक इसी प्रकार की उलट बयानी कर चुके हैं। वो कह चुके हैं कि सूखा राज्य सरकारों का निजी मामला है और केन्द्र उसमें कुछ नहीं करेगा। तो भईया वो सारा टैक्स कहाँ जाएगा जो हम केन्द्र सरकार को हर साल चुकाते हैं और छतरी की तरह सैंकड़ों प्रकार के टैक्स आम आदमी के ऊपर लगाए जा चुके हैं। तो पूरा देश एक है चिदंबरम साहब, और आपको इन नक्सलियों को जड़ से उखाड़ फैंकना ही होगा नहीं तो आपको भारत का गृहमंत्री बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।<br /><br />यहाँ मैं एक चिरपरिचित उदाहरण देना चाहूँगा। श्रीलंका के एक बड़े भूभाग पर लिट्टे ने कई दशकों तक शासन किया। उन्होंने श्रीलंका के कई मंत्री, प्रधानमंत्री और यहाँ तक की राष्ट्रपति तक को मार डाला। उनकी हिम्मत इतनी बढ़ गई थी कि वो कई हमलों के लिए हवाई जहाज का इस्तेमाल करते थे। लेकिन महिन्द्रा राजपक्षे ने दिखा दिया कि अगर कोई लड़ाई जीतनी ही है तो थोड़ा घाटा तो उठाना ही पड़ेगा। सबसे पहले मातृभूमि की खातिर उन्होंने लिट्टे के खिलाफ आपरेशन शुरू करवाया और अंत तक लड़ाई लड़ी। पूरी दुनिया ने इस खूनखराबे को रोकने के लिए राजपक्षे पर दबाव डाला, लेकिन वो पीछे नहीं हटे। आखिर में प्रभाकरण के सिर में सूराख कर घुसी गोली वाली तस्वीर संसार भर में दिखी और राजपक्षे ने दिखा दिया कि अगर तबीयत से पत्थर उछाला जाए तो आसमान में भी सुराख हो सकता है। <br /><br />तो चिदंबरम साहब, हम में भी वो दम है कि हम आसमान में सुराख कर सकते हैं। लेकिन आप पत्थर तो उछालिए, जब हम अपनी ही धरती पर कार्रवाई करने में इतना हिचकेंगे तो पाकिस्तान और चीन को आँखे दिखाने की कभी सोच भी नहीं सकेंगे (हालांकि अब भी नहीं सोचते हैं)। क्या आप भी यह इंतजार कर रहे हैं कि नक्सली भारत सरकार के भवनों और प्रतिष्ठानों पर हवाई जहाज से आक्रमण करे। भारत अगर अंदर से कमजोर हुआ तो चारों ओर दुश्मनों से घिरे हम कैसे उनका मुकाबला कर पाएँगे। राज्य सरकारें बिचारी इस सबमें क्या करेंगी जबकि उनके पास संसाधनों की विकट कमी है। भारतीय सेना पर केन्द्र सरकार इस साल एक लाख पाँच हजार करोड़ रुपए खर्च कर रही है फिर उस खर्चे का क्या फायदा जब घर के अंदर ही फफूँद लग रही है। चिदंबरम साहब ने स्वीकारा है देश के 20 राज्यों के 223 जिलों में नक्सली जम चुके हैं और उन्होंने वहाँ प्रभाव जमा रखा है। नक्सली हिंसा से देश में सबसे अधिक लोग मारे जा रहे हैं। तो अब क्यों देरी की जाए। भारतीय सेना को केन्द्र सरकार के आदेश से राज्यों की पुलिस के साथ संयुक्त कार्रवाई कर नक्लियों के खिलाफ ठीक वैसी ही कार्ऱवाई करनी चाहिए जैसी इसराइल अपने विरोधियों के खिलाफ करता है। हर जंग निर्णायक नजरिए से देखी जानी चाहिए और लड़ी जानी चाहिए, कई बार छोटी जीत भी बड़ी साबित होती है और यह जंग तो बहुत बड़ी है। हमारे देश को अंदर से कमजोर बिल्कुल नहीं होने देना चाहिए।<br /><br /><span style="font-weight:bold;">और अंत में चलते-चलते नक्सलियों के लिए...</span><br />नक्लियों को लगता है कि उनके साथ सहानुभूति रखी जाए, उनकी विचारधारा को समझा जाए, सरकार उनके खिलाफ दुष्प्रचार कर रही है। उनके पास ज्यादा हथियार भी नहीं है। उन्हें डर है कि सरकार उनके खिलाफ लिट्टे वाली स्टाइल में लड़ाई ना छेड़ दे। तो नक्सली भाईयों (माफ करना क्योंकि तुम हमारे देश के हो इसलिए कहना पड़ा) तुम बंदूक उठाए रहो और लोगों के मन में खौफ पैदा कर दो तो ऐसे में इस देश के लोगों को तुम्हारी विचारधारा के बारे में कैसे पता चलेगा। अगर तुम्हें वाकई केन्द्र सरकार से बातचीत करनी है तो कंधे से बंदूक उतारकर बात करनी होगी। देश में चंबल के डाकूओं की बात हो या कश्मीर में आतंकवादियों की...अगर बात नहीं की जाएगी तो गोली दोनों ओर से चलेगी, कभी हमारे सीने पर लगेगी तो कभी तुम्हारे सीने पर लगेगी, लेकिन ये याद रखना कि जीत हमारी ही होगी। भारत में लाल गलियारा नहीं बनने दिया जाएगा। सरकार कठोर कदम उठाए, उसे देश की जनता का समर्थन और स्वागत जरूर मिलेगा। <br /><br /><br />आपका ही सचिन...।Sachinhttp://www.blogger.com/profile/08443970469014547546noreply@blogger.com4