
दोस्तों, करण जौहर के राज ठाकरे से माफी माँगने की खबर लगभग हर अखबार और समाचार चैनल ने दी। पढ़कर बड़ा क्षोभ हुआ। क्योंकि करण पर आरोप था कि उनकी फिल्म वेकअप सिड में बंबई या बॉम्बे शब्द का 11 बार इस्तेमाल हुआ था। राज ठाकरे को यह बुरा लगा था कि उसकी मुंबई को किसी ने बंबई क्यों बोल दिया। हालांकि इस इश्यू पर अपना बयान देते हुए उनकी पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के ही एक नेता ने बंबई (बॉम्बे) शब्द का प्रयोग कई बार कर दिया लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। दरअसल, ऐसा नहीं है कि मैं करण जौहर को पसंद करता हूँ, ऐसा भी नहीं है कि मैं उसकी सभी फिल्में देखता हूँ। मुझे करण जौहर या उसकी एनआरआई टाइप फिल्मों से कोई मतलब नहीं है। बल्कि मैं करण की फिल्मों के विषयों को पसंद नहीं करता, लेकिन एक हिन्दुस्तानी होने के नाते मैं इस मामले में करण जौहर के साथ खड़ा हूँ। इसका कारण साफ है कि जब आस्ट्रेलिया में दिनोंदिन भारतीयों के पिटने की खबर आती है तो मेरा खून खौल जाता है, लेकिन राज ठाकरे के बारे में सोचकर ठंडा भी हो जाता है। अरे, हम या हमारी सरकार किसी दूसरे देश को भारतीयों को पीटने से रोकने के लिए कैसे बाध्य कराएगी जब हमारे खुद के ही देश में भारतीय पिट रहे हैं, जलील हो रहे हैं और राज्य तथा केन्द्र सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है।
साथियों, राज ठाकरे दरअसल एक बहुत बड़ा नासूर है हमारे देश के लिए, हमारे समाज के लिए। मैं उसे मराठी नहीं मानता क्योंकि जिस महाराष्ट्र ने हिन्दुत्व की अवधारणा रची, जिस महाराष्ट्र ने वीर शिवाजी और बाल गंगाधर तिलक जैसे लोग निकाले। जहाँ से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसा देशभक्त और क्रांतिकारी मूवमेंट शुरू हुआ उस महाराष्ट्र से कैसा जानवर निकल आया जो अपने भाईयों को ही एक दूसरे से लड़वा रहा है, झगड़वा रहा है। मुंबई हमले के समय राज ठाकरे की असलियत सबसे सामने आ गई थी जब उसके समेत उसके दल के सारे चूहे दुम दुबाकर आठ दिन तक अपने-अपने बिलों में छुपे रहे। लेकिन आश्चर्य है कि उस घटना के बाद, और उसकी असलियत सामने आने के बाद भी उसकी घातक राजनीति चल रही है। मुझे इस बात का भी आश्चर्य है कि मराठी लोग उसे कैसे सहन कर रहे हैं। मैं मराठियों को हमेशा बहुत ऊँची नजर से देखता हूँ। मैंने जिस स्कूल से पढ़ाई की है वो मराठी स्कूल था। स्कूल का पूरा स्टाफ मराठी था। हम लोग अपनी टीचर को ताई बुलाते थे। उस स्कूल में हमें बहुत अच्छे संस्कार दिए गए। इतने अच्छे कि हम सब दोस्त उन दिनों को 16 साल बाद आज तक याद करते हैं। आज हम दोस्तों में से कई विदेश में हैं, कई दूसरे देश के कोने-कोने में हैं लेकिन हम उन संस्कारों को नहीं भूले। मेरे सभी मराठी मित्रों ने अपने परिवार और देश के साथ पूरी ईमानदारी से अपना रिश्ता और जिम्मेदारी निभाई है। संगीत और कला के प्रति समझ और प्रेम मराठियों में जन्मजात होता है। वे संस्कृति प्रेमी, देशभक्त और वीर होते हैं। अपनी मातृभाषा के प्रति उनके मन में गजब का सम्मान होता है। भारत के सभी बौद्धिक मूवमेंट या तो महाराष्ट्र से शुरू हुए या बंगाल से। बंगाली लेफ्टिस्ट निकले तो मराठी राइटिस्ट लेकिन दोनों बौद्धिक लोग हैं। लेकिन पहली बार मैं एक गुंडे को मराठियों का प्रतिनिधित्व करते हुए देख रहा हूँ। यह प्रतिनिधित्व उसे किसने दिया यह मैं नहीं जानता लेकिन इतना जानता हूँ कि वो लगातार ये काम कर रहा है।
दोस्तों, मराठियों की ऐसी ओछी सोच के बारे में मैं सोच भी नहीं सकता जिसमें वे सिर्फ अपने लोगों और अपने प्रदेश के बारे में सोचें लेकिन राज ठाकरे को रोकने के लिए ना तो महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार कुछ कर रही है, ना ही कोई दल कुछ कर रहा है और वहाँ की जनता भी शांत है। शिवसेना जो कह रही है वो इसलिए ज्यादा मायने नहीं रखता क्योंकि उसने भी अपनी जमीन इसी नफरत पर तैयार की है। लेकिन है यह सब बहुत घातक। हम बिहार को पिछड़ा प्रदेश कहते हैं क्योंकि वहाँ जातिवाद इतना हावी हो गया है कि वहाँ सीधे ही वर्ण व्यवस्था को निशाना बनाया जाता है। वहाँ दलितों के गैंग सवर्णों को मार डालते हैं और सवर्णों के गैंग दलितों की हत्या कर देते हैं। क्या राज ठाकरे द्वारा तैयार की गई जमीन पर भी भविष्य में ऐसा ही होगा और मराठी गैर मराठियों की हत्या कर देंगे और जब गैर मराठियों की बारी आएगी तो वे मराठियों को जिंदा नहीं छोंड़ेंगे।
आपमे से जो विद्वान हैं वो अफ्रीका के बारे में जरूर कुछ ना कुछ पढ़े होंगे। वहाँ सिविल वॉर से घिरे देशों में वही हालात हैं जो राज ठाकरे हमारे देश में करने की सोच रहा है। अफ्रीका में रेबेल्स ग्रुप ऐसे ही एक दूसरे के सिर काटते रहते हैं। क्या राज ठाकरे महाराष्ट्र को अफ्रीका के ऐसे ही किसी देश जैसा बनाना चाह रहा है। मुझे नहीं लगता कि महाराष्ट्र कभी गैर मराठियों से खाली हो पाएगा, तो ऐसे मामले में क्या होगा..?? राज ठाकरे की शक्ल धीरे-धीरे शैतान की शक्ल जैसी होती जा रही है और उसकी गुंडों-मवालियों की सेना महाराष्ट्र का नवनिर्माण नहीं बल्कि उसका नाश करने जा रही है। राज जानता है कि उससे नफरत करने वालों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है लेकिन उसे फिर भी यकीन है कि मराठियों का साथ उसे मिल रहा है, शायद यह सच हो लेकिन अगर ऐसा है और राज ठाकरे अपनी इस शैतानी मुहिम में कामयाब हो गया तो पूरे देश के हर राज्य में ऐसी मुहिमें चलेंगी और देश की अस्मिता दाव पर लग जाएगी।
अब जबकि हमारे देश में नियम-कायदे और कानून की पालना में सरकारें और नेता फेल हो चुके हैं, ऐसे में हमें महाराष्ट्र के मराठी बाशिंदों से ही उम्मीद करनी होगी कि वे इस शैतानी मुहिम को खत्म करें। राज हमेशा लाइमलाइट में आने के लिए फिल्म और फिल्म से जुड़े लोगों को निशाना बनाता है। बच्चन परिवार के बाद अब बारी करण जौहर की है। महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार हमेशा की तरह चुप है क्योंकि उसे लग रहा है कि इन घटनाओं से राज का जनाधार बढ़ेगा और वो आगामी विधानसभा चुनावों में शिवसेना और भाजपा के वोट काटेगा जो कांग्रेस के लिए फायदे का सौदा होगा। ऐसा इसी देश में हो सकता है कि तुच्छ चुनावों और सत्ता सुख के कारण देश को बाँट-काट-छाँट भी दो तो चलता है। यह देशद्रोही मुहिम सिर्फ और सिर्फ मराठियों की वजह से ही रुक पाएगी, जब वे राज ठाकरे का समर्थन करना बंद कर देंगे और ओछी राजनीति को एक तरफ कूड़े में फैंक देंगे। पूरा देश महाराष्ट्र के मराठियों की ओर देख रहा है। उन्हें यह साबित करना होगा कि राज ठाकरे मराठी नहीं है और मराठी संस्कारों में ऐसी देशद्रोही राजनीति नहीं आती, तभी यह विष बेल फैलने से रुकेगी अन्यथा भविष्य में हम सबको इस जहरीली बेल के फैलने की कीमत चुकानी होगी।
आपका ही सचिन...।