हम विदेशी ऑटो इंडस्ट्री को यूँ ही अपना माल नहीं कूटने दे सकते
यह लेख हमारे ऊपर जबरन थोपे जा रहे कार्बन उत्सर्जन के कलंक को लेकर है। कारों और सड़कों को लेकर है और कुल मिलाकर हमारी समग्र तरक्की को लेकर है। आशा है आपको यह पसंद आएगा। - सचिन
(लेख को पढ़ने के लिए कृपया फोटो पर क्लिक करें)
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1 comment:
ज्यादा दूर जाने की ज़रूरत नहीं, यह बात आप भी जानते होंगे की इंदौर से महू-पीथमपुर रूट के बस ओपरेटर रेलवे अधिकारीयों को भारी मुद्रा देते हैं. यह इसीलिए की लोकल ट्रेनों की संख्या न बढाई जाए , वर्ना बसों का ट्रेफिक रेलवे को चला जाएगा. विवेक अग्रवाल के बाद सिटी बसों के खटारा हो जाने के पीछे लोकल बस लॉबी भी एक बड़ा कारण है.
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