मित्रों, कुछ ही दिन पूर्व में सैलाना अभयारण्य गया था। वहाँ की ऊँची-नीची धरती पर चलते हुए कई विचार भी मन में आए। एक दुर्लभ पक्षी को हमें बचाना चाहिए। इस पर मैंने कुछ लिखा है..आशा है आपको पसंद आएगा। यहाँ आपके लिए यह लेख प्रस्तुत है। - सचिन
(लेख को पढ़ने के लिए कृपया फोटो पर क्लिक करें)
4 comments:
मैं भी प्रकृति और पक्षियों से बहुत प्यार करता हूँ!
इस दुर्लभ पक्षी को अब मारा ही नहीं जाना चाहिए!
आपके इस प्रयास की जितनी प्रशंसा की जाए, कम है!
नए वर्ष पर मधु-मुस्कान खिलानेवाली शुभकामनाएँ!
सही संयुक्ताक्षर "श्रृ" या "शृ"
FONT लिखने के चौबीस ढंग
संपादक : "सरस पायस"
आपको पढ़कर आनन्द आ जाता है. आपका प्रकृति प्रेम देख अच्छा लगता है.
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’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’
-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.
नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'
कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.
-सादर,
समीर लाल ’समीर’
खरमोर पर बहुत अच्छा आलेख -बधाई और आभार भी !
धन्यवाद समीर जी,
और हाँ आप जिस तरह से मेरे जैसे लोगों का लगातार उत्साहवर्धन करते रहते हैं वो भी एक मिसाल है, और सचमुच यह मुझे बहुत अच्छा लगता है। धन्यवाद, कि आप मेरे साथ हैं। :-)
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