April 01, 2010

सानिया, ये तूने क्या किया..??

इसे देशद्रोह नहीं तो और क्या कहें..??

सानिया मिर्जा ने जो जुर्म किया वो खबर अब पुरानी पड़ चुकी है। फिलहाल बस इतना ही कि इस लड़की ने आग में घी डाला है, हमारी संवेदनाओं पर पानी डाला है, खुद पर से विश्वास उठवाया है और हर उस मुस्लिम लड़की पर से भी विश्वास उठवाया है जो पाकिस्तान को दुश्मन देश की नजर से नहीं बल्कि इस नजर से देखती है कि वो एक मुसलमान देश है।

मुझे इस वाक्ये को देख-पढ़ वो तमाम सर्वेक्षण याद आ गए जिनमें सानिया मिर्जा देश की लड़कियों के लिए आइकॉन या रोल मॉडल घोषित की जाती थीं। वो मोस्ट डिजाइरेबल भी थीं लेकिन अफसोस कि हमने जिस लड़की को मालो-शौहरत से लाद दिया उसने हमीं को लात मार दी। ये कैसा चरित्र है जो देश को अपना नहीं मान पाता। ये लड़की पाकिस्तान को दुश्मन देश की बजाए मुसलमानों का घर मानती रही और हमें पता तक ना चला। उसने उस खच्चर शोहेब मलिक को चुना जो जैसे भारतीय लड़कियों को फँसाने की कसम खाए बैठा था फिर भले ही वो मुसलमान हो या हिन्दू। उस मलिक ने पहले हैदराबाद की आएशा सिद्दीकी को फँसाया और बाद में सयाली भगत को। सयाली पर तो क्या लिखें, वो मामला पुराना है और हम उस पर थूकना भी नहीं चाहते। लेकिन सानिया तो हमारी आशाओं के केन्द्र में थी। हम उसकी ऊपर उठती रैंकिंग से रोमांचित हुआ करते थे और नीचे गिरती रैंकिंग से चिंतित, लेकिन उसने हमारी सारी चिंताओं को निर्मूल साबित कर कह दिया कि जाओ तुम जो भी सोचा हमारे लिए, हमें परवाह नहीं। हम उस तीजिए (दूजिए नहीं) शोहेब मलिक से ही शादी करेंगे। अब जब सानिया के पोस्टर जलाएँ जा रहे हैं और उसकी तस्वीरों पर चप्पलें मारी जा रही हैं तो यकीन मानिए हमें जरा भी अफसोस नहीं, क्योंकि बंद मानसिकता वाली इस लड़की को अगर मौका मिलता तो वो पाकिस्तानी समधर्म अजमल आमिर कसाब से भी शादी कर लेती, क्योंकि उसे देश से क्या मतलब, और हमारी दुश्मनी से क्या लेना-देना, उसे तो धर्म से मतलब है।

अब जबकि सानिया पाकिस्तान की बहू बनने वाली है तब पाकिस्तान के टेनिस महासंघ की ओर से एक रोचक प्रस्ताव आया है। पाकिस्तान टेनिस महासंघ के प्रमुख दिलावर अब्बास ने कहा है कि हम चाहते हैं कि सानिया मिर्जा इस महीने पूर्व क्रिकेट कप्तान शोएब मलिक से निकाह के बाद पाकिस्तान की ओर से खेले। उन्होंने मीडिया को कहा- पाकिस्तान टेनिस के लिए यह अच्छी खबर है कि सानिया शोएब से शादी कर रही हैं। हम उसका स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह पाकिस्तानी नागरिक बनकर भविष्य में हमारे लिए खेलें। उनका भविष्य उज्जवल है और अगर वह पाकिस्तान के लिए खेलें तो हम खुश होंगे। अब्बास ने कहा- महिलाएं पारंपरिक रूप से अपने पति का अनुसरण करती हैं, इसलिए मुझे उम्मीद है कि वह भी शोएब से प्रेरित होकर पाकिस्तान के लिए खेलें।

अब्बास की यह प्रक्रिया सही और उचित है क्योंकि जब यह लड़की इतनी भ्रष्ट हो ही चुकी है तो वो अगर ये भी कर ले तो हमें कोई गुरेज नहीं, उसका पूरा परिवार मय माता-पिता भाई बहन सब पाकिस्तान में बस जाएँ तो भी कोई हर्ज नहीं। हम तो इस नापाक लड़की को पूरा ही विदा करना चाहते हैं। रही बात भारत के उन इलेक्ट्रानिक मीडिया चैनलों या धर्मनिरपेक्षवादी अखबारों की जो इस शादी से खुश हैं और शोहेब मलिक के जीवन के पन्ने हमारे सामने खोल रहे हैं तो थू है ऐसे चैनलों पर जो बेढंगे से चले ही जा रहे हैं बिना ये जाने कि इस देश की जनता क्या चाहती है और ऐसे मौकों पर उन्हें क्या करना चाहिए। इन चैनलों की बोझिल खबरों पर अब कुत्ते भी पैर उठाकर अपने काम को अंजाम देना नहीं चाहेंगे। मेरा मानना है कि इस पूरी घटना पर सानिया को सबक सिखाया जाना चाहिए ताकि उसे यह महसूस हो कि हम उसके इस जाहिल फैसले से खुश नहीं हैं बल्कि क्रोधित हैं, उसने एक गधे का प्यार पाने के लिए पूरे 110 करोड़ भारतीयों का प्यार खोया है, और हमारी इस प्रतिक्रिया से उन सभी मुस्लिम लड़कियों को भी सबक मिलना चाहिए जो पाकिस्तान को एक दुश्मन देश की तरह नहीं बल्कि एक समधर्म देश की नजर से देखती हैं।

आपका ही सचिन....।

March 17, 2010

सस्ती सीएफएल कहीं महंगी ना पड़ जाए!

दोस्तों, सीएफएल तो आप-हम सभी अपने घरों में इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या आपको इनके लाभ के साथ-साथ हानि का भी पता है। अगर नहीं तो यहाँ पढ़िए, मैंने इस बिंदु पर कुछ लिखा है। -सचिन

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February 27, 2010

ये युवा 'नेचुरलिस्ट' है

गेजेट्स के साथ पहाड़ों और झरनों से भी प्रेम कर रहे हैं ये

आज का 'युवा" जबरदस्त पढ़ाई कर रहा है। कैरियर को भी गंभीरता से ले रहा है और खूब रुपए भी कमा रहा है। लेकिन इसके साथ-साथ क्या वो प्रकृति माँ से जुड़े अपने कर्तव्यों को लेकर भी गंभीर है? दोस्तों, इसी विषय पर मैंने यह रिपोर्ट लिखी है। आशा है आप पढ़ेंगे और आपको यह पसंद भी आएगी। - सचिन

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February 24, 2010

पहाड़ियों के बीच, झील के किनारे-किनारे

मेरे साथ कीजिए शिवपुरी के माधव राष्ट्रीय उद्यान की सैर

जो लोग प्रकृति, वन्यजीव, पक्षियों और पेड़-पौधों के शौकीन हैं वे एक बार फिर मेरे साथ सैर करने के लिए तैयार हो जाएँ। इस बार अपन साथ-साथ मध्यप्रदेश के शिवपुरी में स्थित माधव राष्ट्रीय उद्यान की सैर पर चलेंगे। - सचिन

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January 05, 2010

पहले सड़कें, फिर चमचमाती कारें

हम विदेशी ऑटो इंडस्ट्री को यूँ ही अपना माल नहीं कूटने दे सकते

यह लेख हमारे ऊपर जबरन थोपे जा रहे कार्बन उत्सर्जन के कलंक को लेकर है। कारों और सड़कों को लेकर है और कुल मिलाकर हमारी समग्र तरक्की को लेकर है। आशा है आपको यह पसंद आएगा। - सचिन

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January 04, 2010

खरमोर दर्शन के साथ प्रकृति का आनंद

सैलाना अभयारण्य

मित्रों, कुछ ही दिन पूर्व में सैलाना अभयारण्य गया था। वहाँ की ऊँची-नीची धरती पर चलते हुए कई विचार भी मन में आए। एक दुर्लभ पक्षी को हमें बचाना चाहिए। इस पर मैंने कुछ लिखा है..आशा है आपको पसंद आएगा। यहाँ आपके लिए यह लेख प्रस्तुत है। - सचिन

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December 13, 2009

पेट की भूख बुझाने के लिए जंगलों की बलि!

खाद्यान्न, बॉयोफ्यूल और कागज बन रहे विनाश का कारण

मित्रों, धरती के पर्यावरण को बचाने के लिए सिर्फ बैठकों से ही बात नहीं बनेगी। हमें खुद कुछ करना होगा। सबसे पहले पेड़ और जंगल बचाने होंगे जो हमारे बचे रहने के लिए निहायत ही जरूरी हैं और इसकी शुरुआत हमें अपने आस-पास से ही करनी होगी। कोपेनहेगन में सम्मेलन चल रहा है, इसी परिप्रेक्ष्य में मैंने भी कुछ लिख दिया है, आशा है आपको पसंद आएगा। -सचिन
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December 12, 2009

प्रिंट मीडिया के विज्ञापनों में नए 'ट्रेन्ड्स'

दुनिया की सबसे महंगी स्पेस है 'एड स्पेस'

दोस्तों, विज्ञापन की दुनिया अथाह है, इसमें आजकल क्वालिटी और क्वांटिटि दोनों ही देखने को मिल रही हैं। भारत में विज्ञापनों के क्षेत्रों में बहुत प्रयोग हो रहे हैं। मैं यहाँ उन्हीं प्रयोगों की चर्चा कर रहा हूँ लेकिन यह चर्चा सिर्फ प्रिंट विज्ञापनों के लिए है, तो पढ़िए और बताइए कि यह आपको कैसा लगा..?? - सचिन
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December 11, 2009

ठिठुरते दिनों में पक्षियों के बीच

मेरे साथ कीजिए केवलादेव (घना) अभयारण्य की सैर

जो लोग प्रकृति, वन्यजीव, पक्षियों और पेड़-पौधों के शौकीन हैं उनका यहाँ स्वागत है। मैंने यहाँ विश्वप्रसिद्ध केवलादेव (घना) पक्षी अभयारण्य, भरतपुर में की गई सैर का विवरण किया है। मेरे साथ आप लोग भी घूमिए और बताइए कि आपको यह अनुभव कैसा लगा..। -सचिन
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