गेजेट्स के साथ पहाड़ों और झरनों से भी प्रेम कर रहे हैं ये
आज का 'युवा" जबरदस्त पढ़ाई कर रहा है। कैरियर को भी गंभीरता से ले रहा है और खूब रुपए भी कमा रहा है। लेकिन इसके साथ-साथ क्या वो प्रकृति माँ से जुड़े अपने कर्तव्यों को लेकर भी गंभीर है? दोस्तों, इसी विषय पर मैंने यह रिपोर्ट लिखी है। आशा है आप पढ़ेंगे और आपको यह पसंद भी आएगी। - सचिन
(स्टोरी पढ़ने के लिए कृपया इमेज पर क्लिक करें)
February 27, 2010
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2 comments:
सतहीपने की हद कहें इसे?
@ ab inconvenienti-
हाँ बिल्कुल, आप इसे सतहीपने की हद कह सकते हैं, लेकिन कई लोगों के लिए यही भाषा लिखनी पड़ती है। कुछ सप्लीमेंट्स की इसी प्रकार की भाषा होती है, आप गंभीर लेखन के लिए इस ब्लाग को थोड़ा सा और खंगाले, शायद आपको मिले....बाकी आजकल समय की थोड़ी कमी चल रही है इसलिए आपके स्तर का नहीं लिख पा रहा हूँ, माफी चाहता हूँ। -सचिन
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