December 11, 2009

ठिठुरते दिनों में पक्षियों के बीच

मेरे साथ कीजिए केवलादेव (घना) अभयारण्य की सैर

जो लोग प्रकृति, वन्यजीव, पक्षियों और पेड़-पौधों के शौकीन हैं उनका यहाँ स्वागत है। मैंने यहाँ विश्वप्रसिद्ध केवलादेव (घना) पक्षी अभयारण्य, भरतपुर में की गई सैर का विवरण किया है। मेरे साथ आप लोग भी घूमिए और बताइए कि आपको यह अनुभव कैसा लगा..। -सचिन
(स्टोरी को पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें)


3 comments:

Udan Tashtari said...

अच्छा लगा आपका घना यात्रा का संस्मरण पढ़कर. बैटरीचलित गाड़ी क्या वहाँ किराये पर आसानी से उपलब्ध रहती है और ठहरने/खाने की क्या व्यस्था है वहाँ..उस पर भी प्रकाश डालें तो वहाँ जाने का प्लान बनाना सरल हो जायेगा.

श्यामल सुमन said...

रोचक संस्मरण।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

Sachin said...

लाल साहब, घना के आस-पास सैंकड़ों होटल हैं, आप अपनी सुविधानुसार किसी में भी ठहर सकते हैं। खुद फॉरेस्ट विभाग का गेस्ट हाउस भी है वहाँ रुकना तो स्वर्ग में रुकने जैसा है क्योंकि वो राष्ट्रीय उद्यान के अंदर ही है। बैटरी चलित गाड़ी वहाँ वन विभाग ही चलाता है और वो आसानी से बिना आवाज आपके लिए हमेशा उपलब्ध रहती है। :-)