May 14, 2009
सोनिया ने जो चाहा वो किया है!
भारतीय राजनीति को नई दिशा देने की है इच्छा..!!!!!!!!
दोस्तों, माफी चाहता हूँ कि वादा करके भी कल (बुधवार) को आप लोगों से मिल ना सका। अखबारी व्यस्तता तो आप लोग समझते ही हैं, और उस बीच टाइम निकालकर अपने दिल की बात आप लोगों के समक्ष रखने के लिए मुझे भारी श्रम करना पड़ता है। आज थोड़ा सा समय निकाला है। बात चूँकी सोनिया पर चल रही थी और उस बात को मैं जारी रखना चाह रहा था इसलिए इसे पिछली पोस्ट की अगली कड़ी ही समझिए..।
दोस्तों, सोनिया जिस देश इटली की हैं उस देश ने एक समय पूरे संसार पर राज किया है। वहाँ के लोगों की क्रूरता भी बहुत मशहूर है और आप ग्लेडिएटर फिल्म देखकर इतना तो जान ही गए होंगे कि वहाँ के लोग लड़ने के कितने शौकीन थे (हैं) और उस शौक के लिए उन्होंने किस प्रकार के खेलों को ईजाद कर रखा था। खैर, इटली से मुझे याद आया कि सोनिया की भारत में कोई संपत्ति नहीं है। उन्होंने चुनाव लड़ते समय अपनी संपत्ति की घोषणा की जो महज 18 लाख रुपए थी। कमाल है। जिस कांग्रेस पार्टी की सोनिया अध्यक्ष हैं उस पार्टी ने इस बार के लोकसभा चुनाव लड़ने में 1000 करोड़ रुपए का खर्चा किया है। लेकिन सोनिया के पास ना कार है और ना मकान। क्योंकि उन्होंने अपना मकान भी इटली में ही दिखाया है। दूसरे, उनके सुपुत्र राहुल गाँधी ने भी अपनी संपत्ति एक करोड़ 80 लाख रुपए बताई जबकि राहुल ने दिल्ली में अपने जिस प्लाट की कीमत १० लाख रुपए बताई है वो दरअसल 35 करोड़ रुपए का है। अरे, आप ही बताइए भला, दिल्ली में १० लाख रुपए में कुछ आता है क्या...???? इतने रुपए से तो वहाँ गुसलखाना भी ना बन सके। इन नेताओं की घोषित संपत्ति की भी जाँच होनी चाहिए।
खैर, अब मुद्दे की बात..... ये बात कुछ पुरानी है। तब इस देश के राष्ट्रपति श्री आर.वेंकटरमण थे। भले आदमी थे। दक्षिण के ब्राह्मण थे। तो उनका राष्ट्रपति के तौर पर एक टर्म पूरा हो चुका था। और राजेनद्र प्रसाद तथा राधाकृष्णन जी के बाद वो तीसरे राष्ट्रपति बनने जा रहे थे जिनके दूसरे टर्म को लेकर गंभीरता से विचार किया जा रहा था। हालांकि राधाकृष्णन जी दो टर्म उपराष्ट्रपति रहे थे। खैर, राजीव जी तब जिंदा थे और वेंकटरमण को पसंद करते थे। तो वेंकटरमण ने राष्ट्रपति भवन के आखिरी दिनों के दौरान राजीव जी को सोनिया के साथ अपने आवास पर आमंत्रित किया। वहाँ कोई पूजा-अनुष्ठान था। राजीव जी गए, उनके साथ सोनिया भी थी। तब वेंकटरमण उन्हें वही तमिल लुंगी और माथे पर त्रिपुंड लगाए मिले। नाक के दोनों ओर चंदन लगा हुआ था। पूरी दक्षिण भारत वेशभूषा थी। राष्ट्रपति जी की पत्नी भी उनके साथ थीं। उसी प्रकार की वेशभूषा में। बस, फिर क्या था। सोनिया ने यह सब देखा और चिढ़ गईं। उन्होंने सोचा ये कैसा आदमी है। अजीब सा। इससे पहले सोनिया ने वेंकटरमण को हमेशा काले सूट में ही देखा था। लौटते समय घर जाते-जाते सोनिया ने राजीव जी का मूड बदल दिया और फरमान जारी कर दिया कि ये आदमी दूसरी बार तो राष्ट्रपति नहीं बनेगा। अब बेचारा पति क्या करता, पत्नी की तो सुनना ही है। वेंकटरमण की छुट्टी हो गई। राजीव जी चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पाए।
दोस्तों, माफी चाहता हूँ कि ऊपर की बात का उल्लेख थोड़ा जल्दी कर दिया। लेकिन मैं थोड़ा सोनिया की डोमिनेन्सी की आदत बताना चाह रहा था। असल में अपनी बात प्रियंका को लेकर चल रही थी। तो कुछ लोगों ने मुझसे पूछ लिया कि प्रियंका हाथ से गई तो इसमें क्या है, सोनिया राहुल को तो प्रधानमंत्री बनवा ही सकती हैं। आखिर उनके हाथ में ही तो सबकुछ है। मैं भी ये मानता हूँ। लेकिन इसमें भी एक पेंच है। सोनिया इतने सालों में शायद थोड़ी सी हिन्दुस्तानी भी हो गई हैं, या कहें थोड़ी ओरथोडॉक्स....सोनिया को गाँधी परिवार के एक खास और पारिवारिक ज्योतिषी ने बता रखा है कि राहुल के तारे (स्टार्स) उतने सशक्त नहीं हैं कि वे प्रधानमंत्री बन सकें। अगर बनवा भी दिया तो घोर असफल हो सकते है। आपके घर से तो प्रियंका का ही योग है इस उच्च पद पर पहुँचने का। इसी ज्योतिषी ने सोनिया को यह भी बताया था कि वे खुद कभी प्रधानमंत्री नहीं बनें, नहीं तो उनके बच्चे अनाथ हो सकते हैं। यानी सोनिया को प्रधानमंत्री पद ग्रहण करने के बाद जान का जबरदस्त खतरा हो सकता है। तो सोनिया ने अपने मामले में तुरंत उदारता दिखाई और डॉ. मनमोहन सिंह को अचानक कहीं से ले आईं और प्रधानमंत्री बना दिया। अब वे प्रियंका को लेकर चिंतित हैं क्योंकि प्रियंका अपने परिवार की वजह से राजनीति में आने की हमेशा ना-ना करती रहती हैं। हालांकि बीच में कई बार प्रियंका सकारात्मक संकेत देती हैं लेकिन कांग्रेस में खुशी की लहर उमड़े इससे पहले ही वे वापस ना-ना करने लगती हैं। तो वो सकारात्मक संकेत सोनिया के प्रेशर की वजह से ही आते हैं। अब सोनिया इस बात को लेकर असमंजय में हैं कि प्रियंका वाले मामले में क्या किया जाए...सही लांच पैड की तलाशी की जा रही है। और यह भी तय है कि सोनिया धीरे-धीरे उन सभी काँटों को कांग्रेस से निकाल रही हैं या निकाल देंगी जो उनके परिवार के आगे बढ़ने के बीच में आएँगे। फिर भले ही वो कितने ताकतवर ही क्यों ना हों..?? वो शरद पवार, पी.ए.संगमा और अर्जुनसिंह तो याद हैं ना आपको, जिन्हें सोनिया ने अलग-अलग तरीके से निपटाया है।
दोस्तों, फिर से एक ब्रेक लेते हैं...ये बातें होती रहेंगी। शेष अगली मुलाकात के लिए मैंने रख लिया है। अभी बहुत है आप लोगों से शेयर करने को। तब तक कयासों और चटखारों का दौर चलने दिया जाए..। फिर मुलाकात होती है गाँधी परिवार को लेकर..। अगली किश्त में मेनका और वरुण को किनारे करने की कहानी लेकर आउँगा। तब तक के लिए विदा।
आपका ही सचिन...।
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2 comments:
बिलकुल सही जा रहे हो भाई, सोनिया ने वाकई जो चाहा, हासिल किया… मनमोहन प्रधानमंत्री, पाटिल राष्ट्रपति, अंसारी उपराष्ट्रपति, चावला चुनाव आयुक्त… यानी सभी के सभी हाथों की कठपुतलियाँ… अब सत्ता कहाँ जायेगी? वो साल्सा डांसर प्रियंका को न फ़ाँस लेता तो आज राहुल बाबा कहीं दूर अमेरिका या कोलम्बिया मे होते और हमें मीडिया बता रहा होता कि देखो "भावी प्रधानमंत्री" की नाक अपनी दादी और अपने पिता से कैसे मिलती है…। दास मानसिकता और गुलामों का देश है हमारा "महान भारत"…
सही कहा है आपने |
भाई हमें तो वेंकट रमण वाली बात का पता ही नहीं था |
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