May 28, 2009

राहुल के युवा चेहरों का गणित..!!

हम और आप कभी नहीं हो सकते इन युवा चेहरों में

दोस्तों, आज मनमोहन मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया। ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, सचिन पायलट मंत्रिमंडल में शामिल हैं। पीए संगमा की बेटी अगाथा संगमा भी शामिल हैं। ओमर अब्दुल्ला दिखे नहीं क्योंकि वे पहले ही जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बन चुके हैं और राहुल गाँधी भी नहीं दिखे क्योंकि वे सीधे ही प्रधानमंत्री बनेंगे....क्योंकि गाँधी परिवार में किसी को भी प्रधानमंत्री से नीचे का पद सक्रिय राजनीति में स्वीकार नहीं है। अगर विश्वास ना हो तो खुद जाँच कर देख लीजिए।

दोस्तों, यहाँ मेरा विषय दूसरा है। इस बार कांग्रेस ने बहुत ढोल पीटे कि कांग्रेस के पास युवा चेहरे हैं जबकि भाजपा जो एक समय जवाँ पार्टी थी, वो अब बुढ़ा रही है, उसके पास कोई भी सेकण्ड लाइन नहीं है और ना ही कोई चमकदार युवा नेता है जैसे कि कांग्रेस के पास हैं, और जिनका की मैंने ऊपर उल्लेख किया। इन युवाओं चेहरों या कहें नेताओं को राहुल की किचन कैबीनेट कहा गया। राहुल पिछले पाँच सालों की तरह इस बार भी संगठन को मजबूत करने का कार्य करेंगे। हाँ अगर इस बार मनमोहन सिंह को कुछ हो गया (भगवान ऐसा ना करे लेकिन उनकी बायपास सर्जरी हुई है इसलिए कह दिया) तो राहुल इसी टर्म में प्रधानमंत्री बन सकते हैं। वैसे उनका 2014 के आम चुनावों के बाद प्रधानमंत्री बनने का है लेकिन मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस लगातार तीसरी बार रिपीट करेगी। वैसे राजनीति में कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन फिर भी सोनिया गाँधी इतनी बड़ी रिस्क नहीं लेंगी और इसी टर्म में कभी ना कभी राहुल को प्रधानमंत्री बनवाएँगी क्योंकि 2014 का टारगेट ये सोच कर रखा गया था कि इस बार कांग्रेस सत्ता में नहीं आ पाएगी। ये तो उसका तुक्का लग गया और सोनिया इस बात को समझती हैं, तो आप देखिएगा कि 2011 तक राहुल प्रधानमंत्री बन सकते हैं और 2014 का आम चुनाव जनता को राहुल का चेहरा दिखाकर ही लड़ा जाएगा।

मित्रों, असल में मेरा मुद्दा यह भी नहीं था, सबसे पहली बात कि लोग मुझे कांग्रेस के प्रति बहुत अधिक बायस ना समझें। कई मामलों में मैं भी राहुल का प्रशंसक हूँ और मानता हूँ कि उन्होंने इस बार कई नए प्रयोग किए जिस वजह से उन्हें सफलता मिली। इतना ही नहीं उन्होंने कई ऐसी बातों को भी स्वीकारा जो उन्हें नहीं स्वीकारनी थीं, मसलन उन्होंने मान लिया कि वो परिवारवाद की पैदाइश हैं और कांग्रेस में इतने बड़े पद पर इसलिए ही हैं। लेकिन मैं राहुल से ज्यादा यहाँ उनकी युवा टीम या कहें युवा चेहरों के बारे में बात करना चाहता हूँ। राहुल के करीबी युवाओं के बारे में यूँ तो मैं बहुत कुछ जानता हूँ लेकिन थोड़े में बस इतना ही बताना चाहता हूँ कि राहुल की किचन कैबीनेट में या कांग्रेस के मंत्रिमंडल में हम और आप जैसों के लिए कोई जगह नहीं है। वहाँ एक भी ऐसा चेहरा नहीं है जो अपनी दम पर वहाँ पहुँचा हो। सब के सब बाप कमाई पर वहाँ राष्ट्रपति के बगल में खड़े होकर शपथ पढ़ रहे थे। मुझे इस आँकड़ें पर भी गहन क्षोभ हुआ कि इस बार आधे से ज्यादा सांसद करोड़पति हैं और युवा चेहरे तो सभी करोड़पति हैं। वैसे तो मैं मानता हूँ कि सभी सांसद करोड़पति हैं और अपनी आय को बहुत कम करके घोषित करते हैं लेकिन मेरा सिर्फ यह प्रश्न है कि अगर मैं राजनीति में जाना चाहूँ तो मुझे पहले क्या करना होगा। करोड़पति बनना होगा या माधवराव सिंधिया, राजेश पायलट, फारुख अब्दुल्ला, जितेन्द्र प्रसाद या मुरली देवड़ा जैसा बाप ढूँढना होगा। मैं जानना चाहता हूँ कि इन तथाकथित युवा चेहरों ने क्या तोप मारी है कि हम क्यों इनसे इंप्रेस होकर इन्हें जिताएँ और संसद में पहुँचाएँ। माफ करना, यहाँ मैं बात उन जाहिलों की नहीं कर रहा हूँ जो परिवार या शक्ल देखकर अपना वोट देते हैं। जाहिर है संसार का सबसे परिपक्व लोकतंत्र मैं भारत को नहीं अमेरिका को मानता हूँ, जिसने हाल ही में एक ऐसे युवा बराक ओबामा को देश का राष्ट्रपति बना दिया जो वाकई पिछले दशक तक राजनीति में ही नहीं आया था। या फिर सड़कों पर भटकने वाले एक युवा लेकिन जुझारू युवा नेता बिल क्लिंटन को उस देश ने संसार का सिरमौर बना दिया था।

दोस्तों, मेरे शहर इंदौर में राहुल ने एक युवा को विधानसभा का टिकट दे दिया। उसने बहुत प्रोपेगण्डा किया कि राहुल ने उसकी क्षमताओं को देखकर और परखकर उसे टिकट दिया। जब मैंने उस युवा को एक बार अपना चुनाव प्रचार करते देखा तो वह मित्सीबुशी की पजेरो कार में घूम रहा था। वो कार उसी की थी। अब बताईए एक युवा जो 20-25 लाख की कार से चल रहा है उसे टिकट देकर राहुल ने क्या जताया। बाद में जब उस युवा ने अपनी संपत्ति घोषित की तो वो भी करोड़ों में थी। हालांकि बाद में वो युवा विधानसभा का चुनाव हार गया लेकिन मेरी नजर में इतना तय हो गया है कि आप कैसे भी युवा हों, राहुल के मार्फत आना चाहते हों या सोनिया के। अगर आप देश की संसद की ओर देख रहे हैं तो सर्वप्रथम करोड़पति हो जाइए, नहीं तो माधवराव सिंधिया, राजेश पायलट, फारुख अब्दुल्ला, जितेन्द्र प्रसाद या मुरली देवड़ा जैसे बाप लाइए और बाद में फिर आगे की जुगाड़ कीजिए....और अगर आपके पास यह सब नहीं है तो माफ कीजिए, लाइन में से हट जाइए, और थोड़ी सी हवा आने दीजिए....।

आपका ही सचिन.....।

2 comments:

भीम सिंह मीणा said...

bahut khoob mere dost kya khoob bat likhi hai or is baat se pare kongres jaayegi iski bahut umeed nahi hai

----- श्रेष्ठ भारत ----- said...

Rahul Gandhi Nahi Raul Vinci Kaho ! ham bhartiyo ko shuru se videshiyo se chamchagiri karane ki aadat pad gayi hai !