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दोस्तों, आजकल जब भी मैं देश के गृह मंत्री पी. चिदंबरम और कृषि मंत्री शरद पवार की तस्वीर देखता हूँ या टीवी पर उनकी फुटेज देखता हूँ तो मुझे उनके बोले गए दो अनमोल वचन अचानक याद आ जाते हैं। मुझे लगने लगता है कि हाँ, हमारे देश को ऐसे बहादुर और जीवट वाले नेताओं की ही तो जरूरत है...!!!!!!!!!!
ये दोनों वचन या कहें बयान क्या थे, वो आप भी जानिए...कुछ समय पहले गृहमंत्री चिदंबरम ने कह दिया था ऐसा संभव नहीं है कि देश के हरेक नागरिक की सुरक्षा की जा सके। केन्द्र सरकार या गृह मंत्रालय ऐसा नहीं कर सकता। लोगों को खुद भी अपनी सुरक्षा का ख्याल रखना चाहिए।
दूसरे बयान में केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कह दिया था कि अगर देश के प्रदेशों (राज्यों) में सूखे की स्थिति है तो यह राज्यों का निजी मामला है और राज्य सरकारों को इससे निपटने के लिए विस्तृत तैयारियाँ करनी चाहिए। दोस्तों, इसमें मेरा मत है, कि वाह...बहुत अच्छे, हमें ऐसे नेताओं की ही तो जरूरत है.....!!!!!!!!!!
वैसे तो इस मुद्दे पर आप लोग मेरा पक्ष समझ ही गए होंगे क्योंकि मेरा पक्ष भी वही है जो आप लोगों का है। मतलब हमें इस बात से पता चल गया कि हम कितने सुरक्षित हैं। चिदंबरम जी ने हमें यह समझा दिया है कि हमें अपनी सुरक्षा खुद ही करनी चाहिए और बंदूकें, तलवारें, तोप, गोले आदि भी खरीद लेने चाहिए क्योंकि भारत में आतंकवाद का खतरा दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है और भारत सरकार उसके खिलाफ कुछ भी प्रभावी कदम नहीं उठा पा रही है। क्या आपने इतना नाकारा गृहमंत्री कहीं देखा है जो संकट के समय अपने देश के नागरिकों को अकेला छोड़ दे..?? भई, मैंने तो नहीं देखा, देखना भी नहीं चाहता, क्योंकि अगर सुरक्षा के नाम पर भारत के हर घर में हथियारों का जखीरा रहने लगा तो फिर अपराध कैसे रुकेंगे..?? दूसरा, देश में हथियारों का लाइसेंस और हथियार खरीदने की प्रक्रिया इतनी टेढ़ी और महंगी है कि हम और आप बिना सुरक्षित ही रह लेंगे और यूँ ही आतंकी हमलों में मारे जाते रहेंगे। अपने देश में एक रिवाल्वर लाइसेंस समेत कम से कम 1 लाख रुपए में आती है। तो हम कैसे करेंगे अपनी सुरक्षा..?? मतलब, सरकार हमें अपनी सुरक्षा के लिए हथियार भी नहीं लेने देती और सुरक्षा भी मुहैया नहीं कराती। फिर मुझे किसी भी संदर्भ में यह भी याद नहीं आया कि किसी और देश के गृहमंत्री ने इतनी हल्की बात की हो। अमेरिका में अगर 9/11 के बाद वहाँ का डिफेंस मिनिस्टर इस प्रकार का बयान दे देता तो लोग उस देश से ही भाग जाते। अरे, ऐसी जगह रहने से भी क्या फायदा जहाँ की सरकार को आपसे मतलब ही नहीं और वो पहली फुरसत में ही आपसे पल्ला झाड़ना चाहती हो...!!!!!!!
दोस्तों, शरद पवार भी कम नहीं हैं। वो मराठा नेता फिलहाल सिर्फ रुपए कमाने में लगा है और देश में किसी से भी पूछ लीजिए उनकी पहचान कृषि मंत्री से ज्यादा बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में है। भारत का किसान तो उन्हें जानता ही नहीं....तो, पवार साहब ने कह दिया कि हमें राज्यों में पड़ने वाले सूखे से मतलब नहीं....!!!!!!!! अरे, तो आप केन्द्रीय कृषि मंत्री क्यों हैं..?? आपको तो सिर्फ दिल्ली का कृषि मंत्री होना चाहिए था...और आपकी सरकार क्या सिर्फ वोट कबाड़ने के लिए किसानों का कर्ज माफ करेगी.....कभी ऐसी स्थिति पैदा नहीं करेगी जिसमें किसानों को कर्ज लेने की जरूरत ही ना पड़े....!!!!!! और फिर देश की जनता जो लाखों, करोड़ों, अरबों रुपए टैक्स के रूप में देती है वो किसलिए हैं...?? क्या ये राज्य भारत देश के अंग नहीं हैं और अगर हैं तो केन्द्रीयकृत लोकतांत्रिक सरकार यह कहकर कैसे पीछे हट सकती है कि सूखा या बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ राज्य सरकारों का अपना मामला है। अब तो ये कांग्रेस सरकार लोगों को वक्त की दलील भी नहीं दे सकती जो हमेशा भाजपा देकर बचती रहती है। कांग्रेस को इस बार देश की जनता ने लगातार दूसरी बार चुना है और भारतीय लोकतंत्र के 63 में से 50 से ज्यादा सालों तक उसने ही देश पर शासन किया है। तो अब उसे क्या समय देना, किसी राजनीतिक पार्टी को शताब्दियों का समय दिया जाता है क्या..?? अरे भाई दशकों का भी नहीं दिया जाना चाहिए लेकिन हमने तो कांग्रेस को पूरी आधी शताब्दी से ज्यादा समय दिया और देश फिर भी वहीं का वहीं है, जहाँ सूखे-बाढ़ के कारण आज भी लोग संकट में आ जाते हैं एवं नागरिकों की सुरक्षा की कोई जिम्मेदारी नहीं उठाई जाती...अब आप ही बताईए कि हम अपनी सरकार पर कितना भरोसा करें, उससे क्या आशा रखें और यह भी कि अपनी सुरक्षा के लिए क्या बंदोबस्त करें...??
क्योंकि हमारे देश का गृहमंत्री तो अपनी धोती संभालने में ही व्यस्त रहता है जबकि कृषि मंत्री को आईपीएल, फिल्मी सितारें और कमाई से फुरसत नहीं है।
आपका ही सचिन.......।
3 comments:
ha-ha, मैं तो कहूंगा कि भगवान् बचाए इनकी पूरी जमात से ही ! शुक्र है कि दूसरी तरफ रक्षा मंत्री ने यह नहीं बोला कि मैं खुद को संभालू या देश को !
चिन्ता न करें, सोनिया और राहुल बाबा सब संभालने में सक्षम हैं… :) आखिर शिवराज पाटिल को भी तो हमने काफ़ी समय झेला है…
BHARAT BHAGYA VIDHATA
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