ओबामा प्रशासन से अब अमेरिकी-यूरोपीय ही असंतुष्ट
आज जब चीन हमारी सीमा में डेढ़ किलोमीटर अंदर तक घुस आया और वहाँ हमारी चट्टानों को लाल रंग से रंग गया, इसके साथ ही हमारे इलाके में कई जगह कैंटोनी भाषा में चीन शब्द लिख गया, तो ऐसे में हमें उसकी मंशा समझनी चाहिए क्योंकि चीन के साथ युद्ध के बाद से इस प्रकार की घटना पहली बार ही हुई है। यह इलाका हिमाचल से लगी चीनी सीमा में 22420 फीट की ऊँचाई पर है जहाँ चीन ने यह दुस्साहसी कार्रवाई की। माउंट ग्या के उस इलाके को फेयर प्रिसेंस आफ स्नो (बर्फ की गोरी राजकुमारी) भी कहा जाता है। यह घटना हाल ही में हुई है तथा खबरों में तो आज ही आई है। भारतीय सेना फिर से इस मामले में कुछ भी कहने से बच रही है क्योंकि हमारे तीन जनरल फिलहाल चीन की यात्रा पर हैं। भारतीय सेना का कहना है कि हम मामले को बातचीत से सुलझाएँगे, अब ये तो हमें भी नहीं पता कि ये बातचीत कब तक चलेगी..??
....लेकिन दोस्तों, यहाँ आज मेरा विषय चीन नहीं है। क्योंकि चीन पर पिछले कुछ दिनों में मैंने काफी कुछ लिखा है और आपने उसे पढ़ा और सराहा भी है इसलिए आज दूसरा एंगल..। ये एंगल अमेरिका, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और कुछ मुस्लिम राष्ट्रों के इर्द-गिर्द घूमता है...फिलहाल तो मैं आपको कुछ खबरें पढ़वाऊँगा...फिर थोड़ी सी बात होगी, इन लिंक्स पर खबरें पढ़ने के बाद ही अपनी आगे की बात हो पाएगी...तो पढ़े..
हथियार बेचने में अव्वल रहा अमेरिका
दाल बना लेता हूं,लेकिन क्रिकेट नहीं आता: ओबामा
Obama's remarks at White House iftar
दोस्तों, मुझे लगता है कि आपने तीनों खबरें पढ़ ली होंगी। संभवतः पहले भी पढ़ी होंगी लेकिन इन तीनों के बीच की कहानी या कहें लिंक बड़ी मजेदार हैं। मेरे एक परिचित (वे पाकिस्तान के हैं) ने कुछ दिन पहले बताया था आज से 9 महीने पहले ओबामा के अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने को वहाँ जश्न के तौर पर मनाया गया था। वहाँ के अखबारों की लीड हैडलाइन थी कि बराक हुसैन ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बने। एक मुसलमान अमेरिका का राष्ट्रपति बना। अखबारों ने वहाँ के कुछ मौलवियों के हवाले से खबरें भी छापीं कि अगले कुछ सालों में एक प्योर मुसलमान अमेरिका का राष्ट्रपति होगा क्योंकि ओबामा तो हाइब्रिड हैं।
मित्रों, इन खबरों में से पहली तो वही है जिसका मैंने पूर्व में अपनी एक पोस्ट में उल्लेख किया था कि अमेरिका हथियारों का संसार में सबसे बड़ा विक्रेता है और यह खबर यही बताती है कि उसका वैश्विक हथियार बाजार के 68 प्रतिशत पर कब्जा है। लेकिन खबर साथ ही यह भी बताती है कि विकासशील देशों में संयुक्त अरब अमीरात हथियार खरीदने वाले देशों में पहले स्थान पर है जिसने पिछले साल नौ अरब 70 करोड़ डॉलर के हथियार खरीद थे। दूसरे स्थान पर सउदी अरब ने आठ अरब 70 करोड़ डॉलर के हथियार खरीदे तो पांच अरब 40 करोड़ डॉलर के हथियार खरीद करके मोरक्को तीसरे स्थान पर रहा। ये तीनों की मुल्क इस्लामी हैं और ये लोग हथियारों का क्या करेंगे ये हमें पता है। हालांकि यूएई और सऊदी अरब ने हथियार खरीदे ये तो समझ आता है क्योंकि वहाँ तेल की खेती होती है और वहाँ पेट्रो डॉलर उग रहे हैं लेकिन भिखमंगे मोरक्को को इतने हथियारों की क्या जरूरत पड़ने वाली है यह समझ नहीं आता है।
दूसरी खबर से भी आप समझ ही गए होंगे कि ओबामा के घनिष्ट पाकिस्तानी मित्र रहे हैं, ओबामा खुद भी पाकिस्तान रहे हैं और ऊर्दू, कीमा, शायरी आदि से उनकी नजदीकियाँ भी रही हैं। तीसरी खबर से यह स्पष्ट है कि वाइट हाउस की उनकी इफ्तार पार्टी का अल-अरेबिया चैनल ने क्या मतलब निकाला है। ओबामा का यह भाषण योरप के कई देशों के लोगों ने अपने ब्लॉग पर चढ़ाया है और ओबामा को गालियाँ दी हैं। कई अमेरिकी लोगों ने भी यह काम किया है। देखिए बानगी.. Celebrating a Great Religion at 1600 Pennsylvania Avenue
यह भी आपको पता ही होगा कि ओबामा की लोकप्रियता अमेरिका में तेजी से कम हुई है और इसका सीधा सा कारण है कि अमेरिकियों को उनसे जितनी आशाएँ थीं पिछले 9 माह के दौरान वे उनमें से ज्यादातर को पूरा नहीं कर पाए हैं। इसके अलावा बुश प्रशासन के कई आलोचक भी अब ओबामा के खिलाफ उतरते हुए यह कह चुके हैं कि इससे बेहतर समय तो बुश के समय था क्योंकि तब अमेरिका अपनी स्वाभाविक नीति पर था जिससे आज वो सरकता हुआ प्रतीत हो रहा है।
दोस्तों, हम जिस ताकतवर चीन के सामने अमेरिका को अपना हितैषी तथा दोस्त मान रहे हैं वो हमारे दुश्मनों (अरब देश जो आतंकवाद के प्रायोजक हैं) को हथियारों से लाद रहा है वो भी सिर्फ अपने निजी हित के कारण...ऐसे में भारत कितनी लंबी रेस का घोड़ा सिद्ध हो पाएगा...??
आपका ही सचिन....।
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1 comment:
आँखे खोलने वाली पोस्ट लिखी है सचिन बधाई.
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