October 26, 2009

ये नहीं हैं असली हीरो-हिरोइन..!!

हमें इन शब्दों का सच्चा अर्थ ही नहीं पता

पिछले दो दिनों में दो खबरें पढ़ने को मिलीं। पहली खबर बॉलीवुड की हिरोइन शिल्पा शेट्टी की थी। उन्होंने राज कुन्द्रा से सगाई कर ली है। इससे पहले वो इस कुन्द्रा की पहली शादी तुड़वा चुकी है और राज के लंदन में चल रहे बिजनेस से कमाए गए रुपयों पर जमकर ऐश कर रही हैं। इसमें आईपीएल की राजस्थान टीम की मालकिन बनना भी शामिल है। एक ऐसी मालकिन जिसकी इस टीम को खरीदने में अठन्नी भी नहीं लगी। दूसरी खबर हीरो सलमान खान से संबंधित है। वो इंदौर आए। प्रशंसक उन्हें देखने के लिए टूट पड़े। इस धक्का मुक्की में उन्हें किसी के नाखून लग गए और वो इंदौर के नेहरू स्टेडियम से बिना किसी से मिले वापस चले गए।

दोस्तों, मैं इन खबरों के बारे में आप लोगों को नहीं पढ़ाना चाहता था। बस मैंने उक्त लाइनों को लिखने में शिल्पा के लिए हिरोईन और सलमान के लिए हीरो खब्द का उपयोग किया है। बस यही मेरी बात का मूल है क्योंकि हम फिल्मों में काम करने वालों को हीरो और हिरोइन ही कहते हैं। मैं जब भी इस तरह की खबरों में फिल्मों में काम करने वालों के लिए हीरो-हिरोइन शब्द का इस्तेमाल देखता हूँ तो सोच में पड़ जाता हूँ. दरअसल भारत में हम लोगों को हीरो-हिरोइन का सच्चा अर्थ ही नहीं पता। हम फिल्मों में काम करने वाले लोगों को हीरो-हिरोईन कह देते हैं जबकि देश में काम कर रहे असली हीरो-हिरोइनों को पूछते तक नहीं हैं। हमने उनकी दुर्गति कर रखी है। अगर आप डिक्शनरी उठाकर देखें तो अंग्रेजी के हीरो शब्द का अर्थ होता है वीर और हिरोइक शब्द का मतलब होता है वीरोच्चित। इसी प्रकार हिरोइन शब्द का अर्थ होता है वीरांगना। योरप और अमेरिकी देशों में (जहाँ अंग्रेजी बोली जाती है) वहाँ वीरों को नेशनल हीरो या लीजेन्ड्री हीरो कहा जाता है। कोई बहुत बहादुरी या समाज हित में बड़ा काम कर देता है तो उसे हीरो कहा जाता है जबकि हम इन नचईयों और भांडो के लिए हीरो और हिरोइन जैसे महान शब्दों का उपयोग कर रहे हैं। हमें पश्चिम की तर्ज पर ही इन्हें अभिनेता या अभिनेत्री(एक्टर-एक्ट्रेस) ही कहना चाहिए नहीं तो आपके और हमारे बच्चे कभी नहीं जान पाएँगे कि हीरो और हिरोइन का असली अर्थ क्या होता है।

आपका ही सचिन...।

2 comments:

Jandunia said...

आपका इशारा जिस तरफ है उसका स्वागत है। लेकिन ये भी सही है जो आपने पहले चर्चा की। देश के लोगों को ख्वाबों में जीने की आदत पड़ चुकी है। और शायद यही वजह है कि रील हीरो-हीरोइन के सामने उन्हें रियल हीरो-हीरोइन दिखाई नहीं देते हैं.

Udan Tashtari said...

सही इंगित किया...लेकिन रिवाज ऐसा है कि जुबान पर बैठे हैं यह शब्द!!