September 02, 2009

भारतीय लड़कियों की यह कैसी समझ?

देश, धर्म और समाज विरोधी कार्य करते हुए जरा भी नहीं हिचकतीं..!!


दोस्तों, सबसे पहले आप लोगों से एक खबर शेयर करना चाहूँगा, उसके बाद ही बात आगे बढ़ सकेगी..।
आज एक खबर पढ़ी... आप भी पढ़िए...खबर का शीर्षक था
केरल में लड़कियों को बना रहे जिहादी, हाईकोर्ट के सामने आए मामले के बाद पुलिस समेत सब सकते में
तिरुअंनतपुरम। केरल में जिहादी संगठन के कार्यकर्ता कॉलेज में पढ़ने वाली युवतियों को प्रेमजाल में फँसाकर उन्हें अपने आतंकी संगठनों से जोड़ रहे हैं। इसकी सूचना मिलने के बाद पुलिस ने जाँच के लिए स्पेशल टीम बनाई है।
यूँ आया मामला सामने
खुफिया सूत्रों के कान तब खड़े हो गए जब एमबीए में पढ़ने वाली दो लड़कियों के पिता ने केरल हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। दोनों ही लड़कियाँ पतनमथिट्टा जिले के सेंट जॉन कॉलेज हॉस्टल में रहती थीं। यहीं इनकी मुलाकात एक कॉलेज सीनियर मुस्लिम युवक से हुई। इनमें आपस में नजदीकियाँ बढ़ गईं लेकिन लड़के को अनुशासनहीनता के आरोप में कुछ साल पहले कॉलेज से निकाल दिया गया था।
इस बारे में कॉलेज के प्राचार्य श्रीकुमारन नायर ने बताया कि सस्पेंड होने के बावजूद वह दोनों लड़कियों समेत चार जूनियर लड़कियों के संपर्क में रहा और सबसे प्यार का नाटक करता रहा। इसके बाद वह इनमें से दो लड़कियों को अपने आतंकी संगठन में शामिल करने में सफल रहा। अब अपनी बेटियों की कोई खबर ना पाकर परिजनों ने केरल हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर दी। इसके बाद दोनों लड़कियों को कोर्ट में पेश किया गया। जब लड़कियाँ कोर्ट में पेश हुईं तो उन्होंने जो कहानियाँ बयाँ की वह पुलिस और प्रशासन को हिला देने के लिए काफी था। उन्हें इस दौरान लड़के ने जिहादी वीडियो दिखाया और अपने आतंकी काम में शामिल कर लिया। पूरे घटनाक्रम के चिंतित हाईकोर्ट ने पुलिस को जाँच का आदेश दिया है।
( दोस्तों, ये दोनों लड़कियाँ ईसाई थीं। उल्लेखनीय है कि दुनिया में इस समय अमेरिका और एलाइज जो युद्ध अफगानिस्तान और इराक में लड़ रहे हैं उस युद्ध को ईसाई बनाम इस्लाम के रूप में ही देखा जा रहा है)

... अब जरा एक दूसरी खबर के ऊपर भी नजर डालिए...

अभी कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश के सभी अखबारों में एक खबर छपी। वह यह कि डबरा से एक नाबालिग लड़की (उम्र 17 साल) अपने घर से भाग गई है। वह एक संपन्न जैन परिवार से थी और अपने साथ साढ़े नौ किलो सोना (कीमत लगभग एक करोड़ रुपए) और एक लाख रुपए नकद भी लेकर भागी थी। इसे एक जावेद नामक युवक भगाकर ले गया था जिसके कंप्यूटर सेंटर पर यह पढ़ने जाया करती थी। चूँकी लड़की का परिवार संपन्न और रसूख वाला था इसलिए शिवपुरी और ग्वालियर पुलिस ने तगड़ी घेराबंदी की और ट्रेन चलने के थोड़ी ही देर बाद लड़के को उक्त घेराबंदी की खबर लगी और वह लड़की को ट्रेन में छोड़कर ही भाग गया। भोपाल में लड़की महिला आयोग के समक्ष इस्माइल कुरैशी नामक एक वकील के साथ पेश हुई(यानी उस वाहियात लड़के की पूरी तैयारी थी लड़की के साथ तुरत-फुरत शादी करने की और वकील इसलिए ही तैनात करवाया गया था, क्या पता ये लड़का भी इस लड़की को एक करोड़ रुपए के साथ-साथ किसी गैर कानूनी काम में इस्तेमाल करता। बहरहाल, लड़की ने आयोग में बताया कि उसके घरवाले उसे बहुत मारते हैं जिस वजह से उसे जान का खतरा है और वह प्रेमी के साथ भाग गई है। इसके बाद भोपाल पहुँची ग्वालियर पुलिस ने आयोग के समक्ष पूरा मामला खोला और लड़की की कीमती कपड़ों में खिंचावाई गईं कई फोटो पेश कीं और बताया कि लड़की जो चाहती थी उसे घर से वो मिलता था और यह पट्टी लड़के द्वारा पढ़ाई हुई है। इसके बाद महिला आयोग की शीर्ष सदस्यों ने लड़की की कई चरणों में सफल काउंसलिंग की और लड़की को समझाया कि जो प्रेम करता है वो ना घर छुड़वाता है, ना चोरी करवाता है और ना बीच में छोड़कर भागता है। कुल मिलाकर लड़की को वापस उसके अभिभावकों को सौंप दिया गया क्योंकि वो नाबालिग थी और सोना फिलहाल पुलिस की गिरफ्त में ही है। लड़की के पिता स्वर्ण आभूषणों का काम करते हैं और काफी संपन्न हैं।
(उल्लेखनीय है कि लड़की जैन परिवार से थी जो किसी और धर्म को तो छोड़िए हिन्दूओं तक से अपनी लड़कियों की शादियाँ नहीं करते और सिर्फ जैन परिवार में ही कन्याएँ ब्याही जाती हैं)
इसके अलावा कुछ दिन पहले कुछ इलेक्ट्रॉनिक न्यूज चैनलों ने कुछ आतंकी मुस्लिम युवकों के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी जिसमें बताया गया था कि उन्होंने सोशल नेटवर्किंग साइट आरकुट का सराहा लेकर कुछ युवतियों (जाहिर है हिन्दू) को अपने फर्जी हिन्दू नाम रखकर फँसाया था और उनको भी अपनी जिहादी गतिविधियों में शामिल करने की कोशिश की थी जिसमें कुछ मामलों में वे सफल भी हो गए थे।

दोस्तों, यहाँ से मैं अपनी बात शुरू करता हूँ..........चूँकी उक्त सभी घटनाएँ पिछले कुछ दिनों में ही हुई हैं इसलिए इनपर बात की जा सकती है। सबसे अहम यह कि क्या हम अभी तक अपने घर की लड़कियों को ये संस्कार नहीं दे पाएँ हैं कि प्यार क्या होता है, उसे कैसे ढूँढा जाए और किस पर यकीन किया जाए और किस पर नहीं.....और यह भी कि कौन से धर्म के लोगों को कौन से धर्म के लोगों से प्यार करना सीखना चाहिए क्योंकि शादी ब्याह सिर्फ रिश्ता बनाने के लिए या सिर्फ दिल-विल का खेल नहीं बल्कि पूरे समाज निर्माण के लिए होते हैं। ये कौन सी आग है जो ये लड़कियाँ इतने विपरित कदम उठा लेती हैं, बिना ये सोचे कि इससे हमारे अभिभावकों की समाज में इज्जत खत्म हो जाएगी, उनकी नाक कट जाएगी, उनका जीना मुहाल हो जाएगा। जिसने पाल-पोसकर इतना बड़ा किया उनके खिलाफ ये कैसी बयानबाजी, वो भी एक ऐसे लड़के के कहने पर जो सिर्फ अपना उल्लू सीधा करना चाहता है। नहीं तो कौन सा प्रेमी अपनी प्रेमिका को एक करोड़ रुपए का सोना लेकर भागने की सलाह देता। वाकई बड़ी हिम्मत का काम है, उन्हें पता है ना कि इस देश में कुछ नहीं बिगड़ने वाला। यही पाकिस्तान होता तो उसे वहाँ पचास टुकड़ों में काटकर फैंक दिया जा। गैरत के नाम पर पाकिस्तान में कत्ल को जायज माना जाता है और उसकी सजा नाममात्र की है, सिर्फ दो वर्ष....। अरब में तो ऐसे लड़के-लड़की की सजा क्या होती है ये आप और हम लोग बचपन से ही जानते हैं।

पहले वाली खबर में एक लड़के के चक्कर में चार-पाँच लड़कियाँ फँसी हुई थीं। अरे, ऐसी भी क्या दीवानगी, क्या इस देश में शरीफ लड़कों की कमी हो गई है जो आतंकवादी को चुना। ऐसा कैसा प्रेम जो तुम्हें भी डुबा रहा है, देश भी डुबा रहा है और धर्म भी डुबा रहा है। क्या उन्हें नहीं पता कि इस्लाम में महिलाओं के साथ कैसा सुलूक होता है? उक्त दोनों ही मामलों में ईसाई और हिन्दू (जैन) लड़कियों के उदाहरण हैं। सिर्फ यदूही नहीं हैं। जबकि इस्लाम में ईसाई, हिन्दू और यहूदी तीनों को ही दुश्मन माना जा रहा है। तो फिर क्या कारण है कि भगाने के लिए सिर्फ विपरीत धर्म की लड़कियों को ही निशाना बनाया जा रहा है। इसपर चर्चा करने की जरूरत नहीं है। मुझे लगता है हम सबको यह बात पता है। जैसा कि कश्मीर में हुआ जहाँ कश्मीरी पंडितों (पुरुषों) को तो चुन-चुनकर मारा गया जबकि उनकी लड़कियों को भगाया गया, उनके साथ बलात्कार किया गया, उनसे शादियाँ की गईं और अपने धर्म में मिलाया गया ताकि वे उनकी वंशवद्धि और धर्मवृद्धि के काम आएँ। ऐसा भी नहीं है कि ऐसा सिर्फ भारत में ही हो रहा है। पूरे विश्व में ऐसा चल रहा है। इसकी बानगी तो लेख में लिखी जा सकती है लेकिन सबकुछ नहीं लिखा जा सकता इसलिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें। बहुसंस्कृति की कीमत चुकातीं ब्रिटिश महिलाएँ
और हाँ भारत की लड़कियों को तो यह जरूर पढ़ना चाहिए।

आपका ही सचिन...।

3 comments:

Sachi said...

कहाँ है, (अ) स्वच्छ सन्देश के सलीम साहब;
ज़रा यह भी तो पढें.... और आइये देखते हैं कि वे इस आतंकवाद का ठीकरा किन हिन्दुओं के सिर पर फोड़ते है,

मुनीश ( munish ) said...

u provide very interesting links in ur post !

अनिल कान्त said...

विचारणीय लेख है