August 29, 2009

'वॉटर फुट प्रिंट्स' से बदलेगा पानी का सिद्धांत

पुखराज चौधरी
क्या आप जानते हैं कि आप जो चाय-कॉफी पीते हैं, कपड़े पहनते हैं या कार चलाते हैं, उसे बनाने या पैदा करने में कितना अदृश्य पानी लगा है? हो सकता है, वह हजारों लीटर के बराबर हो!

वर्चुअल वाटर का मतलब है अदृश्य पानी। लन्दन स्थित किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर जॉन एंथोनी एलन ने अदृश्य पानी सिद्धांत की रचना की है। इस सिद्धांत की रचना के लिए प्रोफेसर एलन को 2008 में स्टॉकहोम वाटर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस पुरस्कार के लिए स्टॉकहोम स्थित अंतरराष्ट्रीय वाटर इंस्टीट्यूट विजेताओ का चयन करता है। प्रो. एलन को सम्मानित करते हुए इंस्टीट्यूट ने अपनी विज्ञप्ति में कहा था कि अदृश्य पानी सिद्धांत, अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य नीति और शोध पर खासा प्रभाव डाल सकता है। आने वाले सालों में अदृश्य पानी का सिद्धांत विश्वभर में पानी के प्रबंधन को लेकर छिड़ी बहस को एक नई दिशा दे सकता है।

अदृश्य पानी की लंबी छाया : हर वस्तु के उत्पादन के पीछे अदृश्य पानी की छाप होती है जिसे विज्ञान की भाषा में वर्चुअल वाटर फुट प्रिंट कहा जाता है, यानी अदृश्य पानी का पदचिह्न। प्रो. एलन कहते हैं 'अदृश्य पानी वह पानी है, जो किसी वस्तु को उगाने में, बनाने में या उसके उत्पादन में लगता है। एक टन गेहूँ उगाने में करीब एक हजार टन (करीब एक हजार घन मीटर) पानी लगता है। कभी-कभी इससे भी ज्यादा।' अदृश्य पानी सिद्धांत के अनुसार एक कप कॉफी बनाने के पीछे लगभग 140 लीटर पानी लगता है। वहीँ एक किलो चावल के उत्पादन में करीब 3,000 लीटर पानी की खपत होती है। एक लीटर दूध के पीछे लगभग 1,000 लीटर पानी का पदचिह्न होता है।

शाकाहार माँसाहर से कहीं बेहतर : माँसाहारी चीजों की तुलना में शाकाहारी खाद्य पदार्थों के पीछे कम पानी लगता है। प्रो. एलन का कहना है, 'एक माँसाहारी व्यंजन बनाने में शाकाहारी व्यंजन बनाने से कहीं ज्यादा पानी लगता है। आजकल मैं लोगों से एक सवाल करता हूँ, आप ढाई लीटर या फिर पाँच लीटर पानी वाले आदमी हैं? अगर आप पाँच लीटर पानी वाले आदमी हैं तो आप अवश्य ही माँसाहारी हैं। और अगर आप शाकाहारी हैं तो फिर आप दिनभर में केवल ढाई लीटर पानी ही खर्च करते हैं।'

यही वजह है कि एक किलो माँस पैदा करने के पीछे करीब 15,500 लीटर अदृश्य पानी का पदचिह्न होता है, वहीं एक किलो अंडों में करीब 3,300 लीटर पानी लगता है। औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादन में भी वर्चुअल वाटर सिद्धांत लागू किया जा सकता है। एक टन के वजन वाली एक कार के पीछे लगभग चार लाख लीटर पानी लगता है।

धनराशि ही नहीं, जलराशि में भी मूल्यांकन जरूरी : स्टॉकहोम वाटर इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर यान ल्युट भविष्य में होने वाली पानी संबंधी दिक्कतों के बारे में कहते हैं, 'आने वाले सालों में खाद्यान्न की माँग कई गुना बढ़ेगी। इस माँग की पूर्ति के लिए हमारे पास पर्याप्त पानी नहीं होगा। अगर हम इसी गति से आगे बढ़ते रहे तो आने वाले सालों में हमें दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।'

अदृश्य पानी के शोधकर्ताओ ने पाया है कि एशिया में रह रहा हर व्यक्ति एक दिन में औसतन 1,400 लीटर अदृश्य पानी व्यय करता है, वहीं यूरोप और अमेरिका में एक दिन में हर व्यक्ति औसतन 4,000 लीटर अदृश्य पानी खर्च करता है। पिछले कई सालों में अदृश्य पानी का सिद्धांत एक बड़े मुद्दे के रूप में उभरकर आया है, लेकिन अब भी कई देशों की सरकारें इस मुद्दे को गंभीरता से लेने को तैयार नहीं हैं।

सौजन्य से - डॉयचे वेले, जर्मन रेडियो

1 comment:

Meenu Khare said...

बहुत ही अच्छा लेख सचिन जी. रोचक लगा पढना.