August 11, 2009

इमरान हाशमी और कसाब की वाजिब माँगें!


वक्त पड़ने पर इन्हें याद आ जाता है कि ये मुसलमान हैं
दोस्तों, पिछले कुछ समय से आप लोगों से दूरी बनी हुई है इसके लिए माफी। कई मुद्दे दिमाग में उमड़-घुमड़ रहे हैं लेकिन व्यस्तता की वजह से बाहर नहीं आ पाए...परंतु ये मुद्दा थोड़ा सा लेटेस्ट है। इसलिए 'मत चूके चौहान' की तर्ज पर सोचा कि फटाफट कुछ लिख डालूँ।

दोस्तों, कल ही एक खबर पढ़ी कि बालीवुड के छिछोरे हीरो इमरान हाशमी ने कहा है कि मुंबई की निब्बाना सोसायटी से उसका कोई विवाद नहीं है। उसने अपने लगाए आरोप वापस ले लिए हैं। आरोप के अनुसार इमरान हाशमी ने झोंक में कह दिया था कि सोसायटी मुंबई में उसे इसलिए एक फ्लैट देना नहीं चाह रही है क्योंकि वह एक मुसलमान है। ह..ममम..मम...कुछ-कुछ समझ आया था मुझे...

सच बताऊं तो यह तो मुझे उस दिन ही पता चला था कि इमरान हाशमी एक मुसलमान है। इस मुसलमान लड़के को मैं पिछले 5 साल से देख रहा हूँ, तब से जब से इसकी मर्डर फिल्म रीलीज हुई थी। इसके बाद यह लगभग सभी फिल्मों में लुच्चा बना, क्योंकि इसे एक्टिंग आती नहीं है। इसने बहुत सी हिरोइनों की चूमा-चाटी की (अपने मामा महेश भट्ट की शह पर और उसी की फिल्मों में), वो सभी लड़कियाँ हिन्दू थीं (उसी की भाषा में) और उनमें से कई विश्व सौंदर्य प्रतियोगिताओं की विनर भी थीं। उन लड़कियों ने भी कभी नहीं सोचा होगा कि वो किसिंग सीन एक मुसलमान के साथ कर रही हैं। इमरान नाम थोड़ा कंफ्यूजिंग इसलिए लगा क्योंकि शाहिद कपूर का नाम भी मुस्लिम है लेकिन वो हैं हिन्दू...और दूसरा वो गंजा फिल्म निर्देशक महेश भट्ट इस इमरान हाशमी को अपना भांजा बताता रहता है इसलिए भी हमें लगता था कि वो हिन्दू हो। लेकिन अचानक एक दिन हाशमी ने बच्चों की तरह चिल्ला कर कह दिया कि अरे वो तो मुसलमान है इसलिए उसके साथ भेदभाव किया जा रहा है।

मैं अमूमन ऐसे मौकों पर अचंभित रह जाता हूँ। मैं तब भी अंचभित रह गया था जब अमूमन नंगे बदन रहने वाला और अंडरवियर पहनी लड़कियों के साथ डांस करते रहने वाला सलमान खान भी काले हिरण के शिकार के समय जेल जाने के बाद अचानक मुसलमान हो गया था। (????) सलमान तब जेल में मुस्लिम गोल टोपी पहनने लगा था और बोलने लगा था कि वो अल्पसंख्यक वर्ग से है इसलिए उसके साथ ये भेदभाव हो रहा है। गजब है भाई, उस पर से तुर्रा ये कि इन दोनों मुस्लिम हीरो की माताएँ हिन्दू हैं और आज तक इनके साथ कभी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया गया। जब सलमान जेल के बाहर आया तो उसने वो मुस्लिम टोपी अपने सिर पर से निकाल फैंकी, और अब वो पक्के तौर से अपने धर्म का पालन कर रहा है। अब सलमान अपने टीवी शो 'दस के दम' में मल्लिका शेरावत से पूछता है कि कितने प्रतिशत भारतीय स्वीमिंग पूल में तैरते समय सू..सू कर लेते हैं। वो मल्लिका से भी यह पूछ लेता है कि क्या कभी उसने स्वीमिंग पूल में तैरते समय सू..सू की है। (वाह जैसे इन दस के दम वालों ने 110 करोड़ भारतीयों से पूछ ही लिया हो कि वो क्या वाकई में स्वीमिंग पूल में सू..सू कर लेते हैं...फर्जी सीरियल है)

तो कुल मिलाकल मैं बता रहा था कि अब सलमान भूल चुका है कि वो अल्पसंख्यक वर्ग से है, ये बात अब उसे तभी याद आएगी जब वो फिर से जेल जाएगा या किसी मुसीबत में फँसेगा। संजय दत्त का उदाहरण भी मुझे याद आता है। वो टाडा में जब जेल में बंद था तो अचानक ही उसे अपनी माँ का धर्म (इस्लाम) याद आ गया था। वो वहाँ वही गोल मुस्लिम टोपी पहनकर रहता था, पाँचों समय की नमाज पढ़ता था और हमें यह बताने की कोशिश करता था कि उसकी माँ मुसलमान थी इसलिए उसे जेल में बंद कर दिया गया..।

मुझे अमूमन इस टुच्ची सोच पर गुस्सा आता था लेकिन अब हँसी आती है। देश के मुसलमानों की सोच मैं जानता हूँ और यह भी कि वो किसी को अपनी टोपी पहने देखकर ही उसे अपने जैसा मान लेते हैं , फिर भले ही भेड़ की खाल में भेड़िया ही क्यों ना हो। उनकी इस एकतरफा सोच का ही लाभ लेने के लिए ये फिल्मी सितारे या अन्य तथाकथित ओकेजनल मुसलमान ऐसी बात कर जाते हैं।

अंत में यह दोस्तों, कि कसाब को पालते हुए हमें जल्दी ही एक साल हो जाएगा। वह जेल में सभी सुविधाएँ माँग रहा है, वह राखी भी बँधवाना चाहता था, अब रोजा रखना चाहता है, अदालत उसे जल्दी ही यह सुविधा प्रदान करेगी। कसाब ने कहा है कि उसे रोजे का कार्यक्रम मुहैया कराया जाए। अगर अदालत ने यह नहीं किया तो कसाब कह देगा कि वो अल्पसंख्यक वर्ग से है इसलिए उसके साथ ज्यादती की जा रही है। उसके इस आरोप से देश भर के मुस्लिम भाई खफा हो जाएँगे, इसलिए वो यह ब्रह्मास्त्र चलाए इसे पहले ही हमें उसकी सारी बातें मान लेनी चाहिए...जय हिंद।

आपका ही सचिन...।

5 comments:

Unknown said...

सचिन भाई, कसाब को इत्र-फ़ुलेल-अखबार-चिकन तो पहले ही दिया जा चुका है, अब वह मुजरा देखने की मांग करने वाला है…। अचानक याद आया, क्या आपने इन्कम टैक्स भर दिया है? नहीं भरा हो तो जल्दी से भर दीजिये, अफ़्ज़ल गुरु को चिकन भी उसी टैक्स के पैसे से मिलेगा…

निशाचर said...

इसमें अजहरुद्दीन का जिक्र भी मौंजू है. जब वह मैच फिक्सिंग के केस में फंसा था तो वह भी अल्पसंख्यक होने का राग अलापने लगा था जबकि वह भूल गया था कि उसे हैदराबाद की झोपड़पट्टी से उठाकर इसी हिन्दुस्तान ने भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बनाया था. उस पर कार्यवाही होने पर हिजबुल मुजाहिदीन ने धमकी दी थी कि वे देश भर में आतंकवादी कार्यवाहियां कर इसका बदला लेंगे. हिन्दुस्तान के अधिकांश मुसलामानों को दोनों हाथों से लड्डू खाने कि लत लग चुकी है.

संजय बेंगाणी said...

अन्याय का राग अलापने वाले बताए इस देश को किसने तोड़ा था?

मुनीश ( munish ) said...

lets not forget shabana azmi here. what award she was not given? what reaspect she was not shown ? twice Rajya sabha memship and sarkari bangla too !! still she also made this accusation long back.!

Sachin said...

आप सभी मित्रों के तर्क वाजिब हैं। अगर ऐसे आपरचुनिस्ट लोगों की सूची बनाने बैंठें तो यह शायद लाखों में बैंठेंगे क्योंकि गाँधी जी के समय से ही ये अपने काम से चालू हैं। मुझे लगता है कि यह हमारे लोकतंत्र, साथ ही वोटतंत्र की कमजोरी है। राजनीति की कमजोरी है, साथ ही समाज की भी कमजोरी है जिसका ऐसे लोग आएदिन लाभ उठाते रहते हैं। हमने चूँकी ऐसे लोगों का कभी सार्वजनिक अभिनंदन नहीं किया है इसलिए ऐसे लोगों की हिम्मत भी बढ़ती जाती है। धर्म या संख्या के आधार पर इस देश में रियायतें मिलना बंद हो जानी चाहिए तभी इस समस्या का कुछ निराकरण हो सकता है। - सचिन