August 14, 2009

क्या मुझे हिन्दू की औलाद समझा है..??


पाकिस्तान की जनता सिर्फ नफरत केन्द्रित है
क्या मुझे हिन्दू की औलाद समझा है जो मैं तुझसे डर जाऊँगा। क्या मैं तुझे डरपोक लगता हूँ, क्या मेरी शक्ल हिन्दू जैसी है जो मुझे धमका रहा है......

दोस्तों, ये दो लाइनें कुछ अचंभित करने वाली हैं। लेकिन ये मैंने कुछ दिन पहले ही सुनीं। यह मुझसे किसी ने नहीं कहा। कहता तो मैं उसे निश्चित ही जूतों से मारता और बस चलता तो गोली भी मार देता। लेकिन जिस व्यक्ति ने यह सब सुना, पूरे 45 बरस तक सुना वो मुझे कुछ दिन पहले मिल गया। असल में एक सज्जन कुछ दिन पहले ही मेरे मित्र बने हैं। मैं उनके नाम का यहाँ उल्लेख नहीं करना चाहता। वो एक डॉक्टर हैं। लेकिन वो हैं पाकिस्तानी, जाहिर है वे हिन्दू हैं। लेकिन उनका जन्म पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हुआ। उनके चार बड़े भाई हैं। वो सभी एक-एक करके भारत सैटेल हो चुके हैं। आठ महीने पहले वो भी भारत में सैटेल हो गए। जब मेरी उनसे मित्रता हुई तो मैंने उनसे पाकिस्तान, वहाँ के समाज, वहाँ की व्यवस्था, अमेरिका का प्रभाव, अमेरिकी सेना का जमावड़ा वगैरह संबंधी विषयों पर घंटो बात की। कई रोचक बातें निकलकर सामने आईं। उनमें से सबसे ज्यादा रोचक यही है कि उन्होंने इतने भयानक वातावरण और समाजिक व्यवस्थाओं में अपने जीवन के 45 साल निकाल दिए। मैंने उनकी दाद दी और कहा कि ठीक ही किया जो वो यहाँ आ गए। लेकिन यह बात सुनकर उनका मन खट्टा हो गया। उन्होंने कहा कि वे तो अपने को डरपोक ही मानते हैं जो वहाँ स्ट्रगल नहीं कर पाए और हिन्दुस्तान आ गए। वहीं जमे रहना था। लेकिन परिवार बहुत डरा हुआ था इसलिए पाकिस्तान छोड़ना पड़ा। सारा सामान समेटा और भारत आ गए। वे इससे पहले भारत सिर्फ कुछ ही बार आए थे। अपने भाईयों के पास, लेकिन यहाँ आकर भी अब वे खुश नहीं हैं। उनके अनुसार पाकिस्तान में सिर्फ 15 लाख हिन्दू हैं, लेकिन वहाँ उनकी भयंकर दुर्गति है। उनको पल-पल घुट-घुट कर जीना पड़ता है। अगर किसी बस में या चौराहे पर, या पान की दुकान पर दो मुस्लिमों की आपस में लड़ाई हो जाए तो वे इन्हीं शब्दों का उपयोग करते हैं.....क्या मुझे हिन्दू की औलाद समझा है जो मैं तुझसे डर जाऊँगा। क्या मैं तुझे डरपोक लगता हूँ, क्या मेरी शक्ल हिन्दू जैसी है जो मुझे धमका रहा है......

उनके घर में डकैती पड़ी। हिन्दू वहाँ लूट लिए जाते हैं लेकिन पुलिस उनकी रिपोर्ट तक नहीं लिखती। अल्पसंख्यकों के नाम पर भारत में मुस्लिमों को जितनी सुविधाएँ प्राप्त हैं उसकी एक फीसदी भी हिन्दूओं को पाकिस्तान में प्राप्त नहीं हैं। डॉक्टर साहब जो पाकिस्तान के साथ ही ब्रिटेन से भी पढ़े हैं, बताते हैं कि वहाँ पार्टिशन (बँटवारे) के समय की हिन्दूओं की कोठियाँ, बड़े-बड़े बंगले खाली पड़े हैं। बस्ती वाले उनमें अपने भेड़, बकरियाँ बाँधते हैं या खुद रहते हैं। बड़ी-बड़ी इमारतों का नाम भगवानदास बिल्डिंग, राधे-श्याम कॉम्प्लेक्स लिखा हुआ है। सब धीरे-धीरे खंडहर होती जा रही हैं। मंदिर तो सभी समाप्त होते जा रहे हैं, नया मंदिर बनने नहीं दिया जाता। वहाँ से हमारा इतिहास मिट रहा है। हिन्दू लड़कियाँ जबरन भगा ली जाती हैं, उनसे मुस्लिम युवक जबरदस्ती शादी कर लेते हैं, लेकिन वहाँ का समाज ऐसे युवकों का स्वागत करता है, उनके खुद भी दो बेटियाँ हैं इसलिए उन्होंने भविष्य की सोचकर पाकिस्तान को त्याग दिया। यहाँ आकर उनका कहना है कि ये पूरा हिन्दोस्तान तो नहीं लगता। यहाँ सभी धर्म के लोगों को बहुत छूट है भाई। ऐसा हरेक देश नहीं कर सकता।

दोस्तों, उनसे मेरी काफी बातें हुई थीं, जैसे-जैसे याद आती जाएँगी मैं आप लोगों को बताता रहूँगा लेकिन जो बातें मुझे अमेरिकी केन्द्रित लगीं वो रोचक हैं। वो महादेश दूर बैठे भी गिद्ध की निगाह से अपने दुश्मनों को देख रहा है, समझ रहा है और उन्हें मार रहा है।
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दोस्तों, कल की पोस्ट में मैंने आपको अमेरिका के कदम के बारे में बताया था जो उसने पिछले आठ साल में उठाए। वो मुस्लिम आबादी को कंट्रोल करने की कोशिश में लगा है। उसका शोध जारी है। मजे की बात है कि यह बात कई पाकिस्तानियों को भी पता है और वो उसके शोध में शामिल भी रहते हैं, सिर्फ पैसे की खातिर।
सबसे पहले बात अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की। बराक के पिता कनवरटेड मुस्लिम थे। यह सभी जानते हैं। बराक का पूरा नाम भी बराक हुसैन ओबामा है। लेकिन अमेरिकी जनता और वहाँ के थिंक टैंक को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अमेरिका जनता या अमेरिकी थिंकटैंक को जिस दिन यह लग गया कि ओबामा इस्लाम या अश्वेतों का पक्ष ले रहे हैं तो समझो वो गए, अपने आप किनारे कर दिए जाएँगे। क्योंकि इतिहास गवाह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति तो बदल सकता है लेकिन अमेरिकी नीतियाँ नहीं, इसी रौ में बहते हुए बराक ने ईरान के सामने दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया। मैंने सोचा ये राष्ट्रपति इतना लिबरल कैसे है..?? क्या अमेरिकी प्रशासन यह सब नहीं देख रहा। लेकिन पता चला कि पाकिस्तान में शिया आबादी मात्र 15 फीसदी है। बाकी 85 फीसदी लोग सुन्नी हैं। आपसी झगड़ों में शिया सबसे अधिक मारे जाते हैं।

पाकिस्तान की सीमा अफगानिस्तान और ईरान से लगती हैं। अफगानिस्तान पर अमेरिका का कब्जा है। ईराक पर भी अमेरिकी कब्जा है। दोनों देशों की सीमाएँ ईरान से मिलती हैं। ऐसे में अमेरिका इस बात पर जोर देगा कि मैंने तुम्हें (ईरान) को घेर तो रखा ही है, इसलिए हमारे से झगड़ा छोड़ो और पाकिस्तान को देखो जो तुम्हारे भाईयों को मार रहा है। उल्लेखनीय है कि ईरान दुनिया का एकमात्र शिया देश है। पाकिस्तान सुन्नी देश है। और सिर्फ इसी कारण ईराक और ईरान भी आपस में 8 साल तक लड़ते रहे थे। शिया-सुन्नी आधार पर। अमेरिका ने शियाओं का एक कारण से और दिल जीता है, उसने ईराक की सत्ता ली तो सुन्नियों के हाथों से (सद्दाम हुसैन सुन्नी था) लेकिन थमा दी शियाओं के हाथों में, भले ही ईराक का वर्तमान प्रशासन अमेरिका के हाथों की कठपुतली हो लेकिन वो है तो शिया ही। अगर यह बात अमेरिका ईरान को समझाने में कामयाब रहा तो वो ईरान और पाकिस्तान को आपस में लड़ाने में कामयाब हो सकता है ( विदित हो कि ईरान-ईरान का युद्ध भी अमेरिका ने ही शुरू कराया था और तब उसने सद्दाम का साथ दिया था और बाद में उसे मार भी दिया), इसके ईनाम में वो ईरान को यह आश्वासन दे सकता है कि वो इजराइल की ओर से टेंशन छोड़ दे, उसे वो संभाल लेगा। क्योंकि इजराइल पहले से ही कई मोर्चों पर व्यस्त रहता है।

दोस्तों, सिर्फ इतनी ही नहीं है अमेरिकी प्लानिंग। अमेरिका जानता है कि पाकिस्तान की अवाम उससे भयंकर नफरत करती है। इसलिए वो अंदर से उसे घुन की तरह खा रहा है। जिस दिन अमेरिका पाकिस्तान के ऊपर से अपना हाथ हटा लेगा उस दिन वहाँ सिविल वार या कहें अराजकता की स्थिति आ जाएगी। फिलहाल अमेरिका ने पाकिस्तान पर इतना प्रेशर बना रखा है कि उसकी सेना अपने भाईयों को ही मार रही है। पाकिस्तानी सेना में ऐसे-ऐसे सैनिक हैं जिनकी सीने तक की दाढ़ी है। वो पाँचों टाइम नमाज पढ़ते हैं और संसार के हर मुसलमान को अपना भाई मानते हैं, बावजूद इसके उन्हें अपने भाईयों को मारना पड़ रहा है। बहुत मजबूरी में है पाकिस्तानी सेना। दूसरी बात, कि अमेरिका की दुनिया भर के मुस्लिम देशों में रिसर्च चल रही है। ये हैल्थ डवलपमेंट या टीकाकरण के नाम पर है। ये शोध वो मुस्लिम देशों की द्रुत गति से बढ़ती हुई जनसंख्या पर कर रहा है। वो लोग चौबीसों घंटे लगे हुए हैं इसका निष्कर्ष निकालने में। मोरक्को से लेकर पाकिस्तान तक में उसका अध्ययन चल रहा है। वो जानना चाहता है उस नफरत को, जो इन देशों के मन और मानस में भरी हुई है। वो इस्लाम धर्म की इंजीनियरिंग भी समझ रहा है जिसमें अन्य किसी को भी मंजूर नहीं किया जाता। आने वाले समय में हमें उसके कदमों से इस शोध के परिणामों को समझने में मदद मिलेगी। हमें उससे सीख लेनी चाहिए क्योंकि वो कई दशकों और शताब्दियों आगे की प्लानिंग करके चल रहा है। हम वर्तमान में जीते हैं और वो भविष्य में, वो यूँ ही संसार की एकमात्र महाशक्ति नहीं है।

आपका ही सचिन......।

6 comments:

ss said...

Raaj kar raha hai america duniya par. Aur kya kaha ja sakta hai.

मुनीश ( munish ) said...

I knew these things,but itz gud to revise them again !

बाल भवन जबलपुर said...

sahee hai शाश्‍वत शेखर ji kaa kathan

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

ये वहीं नहीं हो रहा है, यहाँ भी हो रहा है। धीमे धीमे पॉकेट बनाए जाते हैं, फिर एक दिन काफिरों का पत्ता साफ। भारत का मानचित्र लें और उन स्थानों पर निशान लगाएँ जहाँ हिन्दू आबादी 67% या उससे कम है। फिर उस स्थान की वर्तमान सामाजिक और राजनैतिक अवस्था पर निगाह डालें। बहुत कुछ स्पष्ट हो जाता है।

इस पर मैंने एक पोस्ट भी लिखी थी। चाहें तो देख सकते हैं।

Batangad said...

दुखद औऱ भयावह

तरूश्री शर्मा said...

sahi kah rahe ho sachin.... America ki ye planning ho sakti hai, coz israel to already uske mitra rashtro me ya yu kahe ki uske kahne me hai.... agar pak-iran lad marte hai to badhiya hi hai na... india ko target karna to band karega pak...apni sambhalne me jut jayega.