दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँक कर पीता है
दोस्तों, अमेरिकी हवाईअड्डे पर शाहरुख खान की थोड़ी सी कड़ी जाँच हो गई। वो तमतमा गए। अरे, आखिर वो 'भारत रत्न' जो हैं। उन्हें बुरा लग गया है कि भारत में लोग उनके दर्शन करने के लिए दीवाने रहते हैं। घंटो लाइन में खड़े रहते हैं, उन्हें फिल्मों का भगवान माना जाता है। वो कैसी भी घटिया फिल्म बनाएँ लेकिन वो हिट हो जाती है, भारत में उनके लिए हजारों खून माफ हैं तो फिर ये अमेरिका क्या बला है जो उसने उनके कपड़े उतरवा लिए। आखिर 'खान' सरनेम में ऐसी भी क्या बुराई है कि उन्हें कड़ी जाँच का सामना करना पड़ा.....????
दोस्तों, शाहरुख बहुत नाराज हैं। उनकी पोपुलरटी देखकर भारत सरकार को भी उनके समर्थन में उतरना पड़ा और अमेरिका से पूछना पड़ा कि इतने बड़े स्टार की आखिर उसने बेइज्जती क्यों कर दी? लेकिन हमारे पास उसका जवाब है। मीडिया के पास भी है लेकिन वो भी पोपुलर गेम खेलने की आदी हो गई है इसलिए शाहरुख खान की तरफ से हुई बयानबाजी को तवज्जो दे रही है। असल में शाहरुख अमेरिका की नजर में कुछ नहीं है। अरे शाहरुख की क्यों, कोई भी कुछ नही है जो उस देश के लिए खतरा हो। अमेरिका में हुए 9/11 और ब्रिटेन में भूमिगत ट्रेनों में हुए विस्फोटों के बाद उन दोनों देशों में किले जैसी सुरक्षा बढ़ा दी गई। वहाँ की जाँच प्रक्रिया को इतना कड़ा कर दिया गया कि कोई भी उसे अपना अपमान समझ सकता है। ये जाँच सभी के लिए है। इसमें अमेरिका का कसूर नहीं है। उसने विश्वास किया उन चंद नौजवानों पर। सबको समान रूप से मौके देने वाले देश में कुछ बाहरी देश के मुस्लिम युवकों ने हवाईजहाज उड़ाना सीखा, फिर कुछ बड़े हवाई जहाजों को अगवा किया और उसकी महत्वपूर्ण इमारतों में घुसेड़ दिया। अब बारी उसकी है, अविश्वास करने की, तो लोगों को बुरा लग रहा है। अब उसे मुस्लिम सरनेम के सभी लोग सस्पेक्ट नजर आते हैं लेकिन वो उसकी 'दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँक कर पीता है' वाली नीति के तहत है। दरअसल, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के बाद अमेरिका और ब्रिटेन में मुस्लिमों और अरब देशों से आए लोगों के लिए धर्म-आधारित नियमावली तय की गई है। इसमें ऐसे यात्रियों से उनके वीजा, सामान, नागरिकता और धर्म संबंधी सवाल किए जाते हैं। ऐसे में थोड़ा संदेह होने पर भी यात्री को हिरासत में लिया जा सकता है। जबकि, भारत में ऐसे कोई नियम नहीं है। यहाँ सुरक्षा मानक लोगों के नाम और ओहदे से ज्यादा बड़े नहीं हैं। इसलिए जहाँ अमेरिका में 9/11 हादसे के बाद कोई आतंकी हमला नहीं हुआ वहीं भारत में ऐसे हमले होना रूटीन की बात हो गई है।
अमेरिका में कड़ी पूछताछ के लिए कई पैमाने बनाए गए हैं।
शारीरिक बनावट ः यदि आप मुस्लिम देशों और अरब देशों के नागरिकों की तरह दिखते हैं तो आपसे कड़ी पूछताछ निश्चित है। संदेह में सिख धर्मावलंबी दूसरे नंबर पर हैं।
नाम ः यदि आपका नाम मुस्लिम शब्दावली के अनुसार है तो सख्त पूछताछ हो सकती है। आपके टिकट पर लाल निशान लगाकर आपको अलग लाइन में खड़ा किया जाएगा जहाँ आपसे गंभीर सवाल पूछे जाएँगे।
हवाई यात्रा के दौरान होने वाली जाँच इस प्रकार रहती है ः
- हर नए नागरिक पर जीपीएस से नजर रखी जाती है।
- मुसलमान है तो जाँच सख्त करते हुए संदेह दूर करने के लिए सवाल किए जाएँगे।
- विमान में तरल पदार्थ ले जाना सख्त मना है, फिर भले ही वो दूध ही क्यों ना हो।
- दोहरे रूप में काम आ सकने वाली चीजें जैसे लाइटर, लिपिस्टक आदि प्रतिबंधित हैं।
एक्स-रे मशीन पर जूते उतारकर जाँच करवाना जरूरी है।
- करीब दो घंटे तक चलती है औसत जाँच (इतनी ही शाहरुख खान की चली थी।)
- विमान बदलते वक्त दोबारा जाँच होगी।
- लैपटॉप, कैमरे के अतिरिक्त रूमाल और पर्स की भी एक्स-रे जाँच होगी।
कौन-कौन नामचीन उलझ चुके हैं जाँच में..
जार्ज फर्नाडीज - राजग सरकार में रक्षामंत्री रहते हुए जार्ज फर्नांडीज भी जाँच झेल चुके हैं। अमेरिका के डल्स हवाईअड्डे पर उनके कपड़े भी उतरवा लिए गए थे।
एपीजे अब्दुल कलाम - कुछ माह पहले पूर्व भारतीय राष्ट्रपति श्री कलाम की अमेरिकी एयरलाइंस द्वारा ली गई तलाशी ने हाल ही में तूल पकड़ा और संसद तक में यह मामला उठा।
आमिर खान - सिर्फ मुस्लिम नाम के कारण 2002 में शिकागो हवाईअड्डे पर आमिर से करीब डेढ़ घंटे तक पूछताछ की गई। वे यहाँ अपनी फिल्म 'लगान' के प्रमोशन पर आए थे।
अजीम प्रेमजी - उद्योगपति प्रेमजी ने भी अमेरिका जाने पर हर बार सख्त जाँच किए जाने की शिकायत की है। 2002 में चार बार विमान बदलने पर उन्हें आठ घंटे जाँच में रहना पड़ा।
दक्षिण भारतीय अभिनेता ममूटी - ममूटी को अपने वास्तविक नाम मुहम्मद कुट्टी इस्माइल के कारण अमेरिकियों के सख्त सवालों का जवाब देना पड़ा था।
कमल हासन - 2002 में टोरंटो एयरपोर्ट पर सिर्फ अपने उपनाम 'हासन' के कारण उनसे पूछताछ की गई। तब अमेरिकी उच्चायोग के हस्तक्षेप पर इन्हें जाने दिया गया।
हालांकि इस मामले में भारतीय अभिनेता सलमान खान का कल दिया बयान गौरतलब है। उनका कहना है कि अमेरिका के कड़े प्रावधान ही हैं कि वहाँ 9/11 के बाद अब तक कोई आतंकवादी हमला नहीं हो पाया है। शाहरुख के मसले को हमें ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए....लेकिन उनकी तरह से हरेक मुसलमान इसे नहीं सोचेगा और ऐसी जाँचों को अपना अपमान ही मानेगा। दूसरी ओर शाहरुख को भी यह समझ जाना चाहिए कि जब भारतीय रक्षामंत्री को अमेरिकी जाँच अधिकारियों ने नहीं छोड़ा तो वो किस चिड़िया का नाम हैं।
अब लिजलिजे देश भारत के हाल देखिए...तमाम आतंकी हमलों के बाद हम हैं कि सुधरते ही नहीं हैं, हमारे यहाँ सुरक्षा के यह हाल हैं..
- किसी यात्री से धर्म या नस्लीयता के नाम पर कोई सवाल नहीं किया जाता।
- किस आकार के बैग ले जाएँ, यह मानक अभी तय नहीं है।
- जाँच में सिर्फ तीस मिनट लगते हैं।
- नवीनतम एक्स-रे मशीन उपलब्ध नहीं है।
- विदेशी यात्रियों पर लगातार नजर बनाए रखने की कोई नई प्रणाली अब तक विकसित नहीं की गई है।
- 'विशेष' व्यक्तियों को सुरक्षा जाँच में छूट मिलती है।
(नोटः उक्त सभी आँकड़े अखबारों से जुटाए गए हैं)
दोस्तों, अमेरिका जानता है कि उसके पास कोई चारा नहीं है। तालीबान, अल कायदा सरीखे सैंकड़ों कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन उसके पीछे लगे हैं। ये संगठन किसी को भी धार्मिक रूप से बरगलाकर कुछ भी करवा सकते हैं। ऐसे में अगर वो अविश्वास नहीं करेगा तो उसकी पीठ में सैंकड़ों खंजर घोंपे जाएँगे। यह बात उसे बर्दाश्त नहीं। वो भारत नहीं है कि बार-बार पिट-पिट कर भी यही कहता रहे कि देख लेंगे, छोड़ेंगे नहीं, अबकी बार सहन नहीं करेंगे। अरे भाई, करके दिखाना पड़ता है। शब्दों के वीरों ने कभी इतिहास नहीं बनाया, कर्मवीर और तलवारों के वीरों ने बनाया है। उसके लिए शाहरुख खान की कोई औकात नहीं है। वहाँ की सरकार को अपना देश प्यारा है क्योंकि वो जानती है कि सतर्कता और अपराधियों के खिलाफ क्रूरता ही उनका एकमात्र इलाज है। हमें अभी यह सब सीखना है।
आपका ही सचिन....।
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6 comments:
एक-एक शब्द तर्क की कसौटी पर खरा लगेगा। भारत को इस वाकये से सीखना चाहिये। हमारे यहां तथाकथित 'वीआईपी' को उनके घर के अन्दर 'वीआईपी' रहने दिया जाय। सारवजनिक स्थानों पर उनके साथ 'आम' व्यवहार किया जाय। भारत को भी सुरक्षा के कड़े प्रावधान करने चाहिये। न केवल विदेशियों के लिये, वरन अपने देश के नागरिकों के लिये भी।
सही मुद्दा
आपके विचारो से सहमत हूँ ....धन्यवाद.
सचिन भाई, सटीक शब्दों में धुंआधार धुलाई की है आपने… :)
ये शाहरुख ख़ान अपने आपको किंग कियू समजता है पता नही. ये कोई शिवाजी है या फिर महाराणा प्रताप ये इंडिया का कलाकार है जो उसे इंडिया के पब्लिक ने बनाया है. अमेरिका पब्लिक ने नही मूज़े नही लगता के अमरीका मे इंडियन पब्लिक के सिवा उसे कोई ठीक से कोई जानता होगा. अगर कोई अमरीका का सूपर स्टार इंडिया मे आए तो हमरे पोलीस क्या उन इंपोर्टेड कलाकारोको पहचान पाएगी. ये ख़ान ने अभी अपना घमेंड कम करना चाहिए.
तो अमेरिका के लिए पता लगाना बहुत बड़ी बात नही है.बदकिस्मती से मुस्लिम ही आतंकवादी है तो इस मे अमेरिका भारत या किसी भी देश का क्या कसूर.जब किसी भी देश को किसी से ख़तरा महसूस होता है तो वो उसको चेक कर सकता है. ठीक है आप नेक दिल इंसान है. पर हर कोई तो है नही ना. आपको इतना तो पता है ना गेहू के साथ घुन भी पीसती है. अगर आप जैसे नेक दिल इंसान कोशिश कर सकते है उन मुस्लिमो को सही राह पे लाने की और देश की प्रगती मे अपना योगदान देने की,जो अच्छी बात है.वरना आतंकवाद का अंत कैसा होता वो किसी से नही च्छूपा.
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मुझे समझ आ रहा है कि अमेरिकी जाँच अधिकारियों को सभी कथित भारतीय नेताऒं की जाँच का ठेका दे दिया जाना चाहिए...
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