August 28, 2009

वीवीआईपीयों को दिखाया आईना!

सरकार ने सही कहा कि इन बेकार नेताओं को सिक्युरिटी की कोई जरूरत नहीं

दोस्तों, देश की कांग्रेस सरकार कुछ अच्छे काम भी कर रही है। हालांकि इस सरकार के राज में आम आदमी को अपना पेट भरना भी मुश्किल हो रहा है, और संप्रग सरकार के प्रति यही हमेशा मेरी नाराजी का कारण भी रहा है (क्योंकि मैं भी आम आदमी में ही शामिल हूँ), लेकिन इसके बावजूद मैं यह मानता हूँ कि कांग्रेस ने कुछ अच्छे कदम भी उठाए हैं। राहुल गाँधी जहाँ मर चुके कांग्रेस संगठन को मजबूत करने में लगे हैं वहीं उनकी माँ सोनिया गाँधी ने महिलाओं को हर संभव ऊँचे ओहदों पर बैठा दिया है। हर उस जगह पर जहाँ इससे पहले महिलाएँ पहुँची ही नहीं थीं। मसलन राष्ट्रपति और लोकसभा स्पीकर का पद। इसके अलावा महिला आरक्षण विधेयक भी बहुत तेजी से अपनी फाइनल स्टेज पर पहुँचता जा रहा है। शिक्षा के मामले में आईआईटी और आईआईएम की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। केन्द्रीय विश्वविद्यालय भी द्रुत गति से बढ़ रहे हैं। कांग्रेस ने अपने सांसदों पर भी शिकंजा कसा है और वे भी अनुशासन में रहना सीख रहे हैं। नरेगा भी एक बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना है और मैं खुद चाहता हूँ कि हो सके तो यह देश में ठीक ढंग से लागू हो जाए। मैं आज कांग्रेस की तारीफ उस समय कर रहा हूँ जब भाजपा की मटियामेट हो रही है और हर दिन उसका कोई ना कोई किला ढह रहा है या विकेट गिर रहा है।

हालांकि मैं इस बात को खारिज करता हूँ कि मैंने पाला बदल लिया है, मैंने भाजपा के पक्ष में लिखा जरूर है लेकिन ऐसा नहीं है कि उसकी हरेक गलती में मैं उसका साथ दूँ। गलत को गलत कहना और सही को सही कहना मैं बुरा नहीं मानता। तो आज का संदर्भ भी इसी से जोड़कर देखें.....

आज की ताजा खबर यह है कि पाँच वर्षों के असमंजस के बाद गृह मंत्रालय ने 30 वीआईपियों से एक्स श्रेणी की सुरक्षा वापस ले ली है। गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने यह निर्णय किया क्योंकि उनका मानना है कि सुरक्षा सिर्फ उन्हीं लोगों को दी जानी चाहिए जिन्हें वास्तव में खतरा है या जो संवैधानिक पदों पर हैं। खुद गृहमंत्री ने भी कोई सुरक्षा लेने से मना कर दिया है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि इसके साथ ही एक्स श्रेणी की सुरक्षा वाले लोगों की संख्या 20 हो गई है। एक्स श्रेणी सुरक्षा प्राप्त लोगों को एक व्यक्तिगत सुरक्षा अधिकारी आठ घंटे के लिए मिलता है।

उन्होंने कहा कि इसके बाद वाई, जेड और जेड प्लस श्रेणियों के लिए भी ऐसा किया जाएगा। जैसे ही एक्स श्रेणी से लोगों से सुरक्षा वापस लेने की खबर फैली वैसे ही पुलिस सुरक्षा के लिए गृह मंत्रालय में वीआईपी लोगों के आग्रह भरे काफी कॉल आने लगे (जैसा कि आप लोग जानते हैं कि इस देश में सड़क पर मरने का अधिकार सिर्फ आम लोगों को है और काफी सुरक्षा में पहले से ही रहने वाले वीवीआईपियों को हमेशा अपने मरने का डर सताता रहता है) तो, इस बारे में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के वीआईपी और अधिकतर राजनेता गृह मंत्रालय के समक्ष अपनी सुरक्षा की आवश्यकता को सिद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं।

बैठक में महसूस किया गया कि पूर्व मंत्रियों शिवराज पाटिल, रामविलास पासवान और जगमोहन की सुरक्षा को कम किया जाए, जबकि पूर्व विदेश मंत्री नटवरसिंह से सुरक्षा पूरी तरह वापस ले ली जाए। गृह मंत्रालय द्वारा आहूत उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती, पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायमसिंह यादव और भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी सहित कुछ वीआईपी से एनएसजी सुरक्षा वापस लेने की अनुशंसा की गई लेकिन अंतिम निर्णय चिदंबरम को करना है।

बहरहाल राजनीतिक दलों ने इसका जोरदार विरोध किया और सरकार ने लोकसभा में कहा कि वीआईपी लोगों से सुरक्षा वापस लेने के लिए जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं किया जाएगा। बैठक के दौरान केंद्र सरकार से सुरक्षा प्राप्त करीब दो सौ वीआईपी लोगों की सुरक्षा को लेकर समीक्षा की गई। इन वीआईपी की सुरक्षा या तो एनसजी करती है या अन्य अर्धसैनिक बलों के जवान करते हैं। उन्होंने कहा कि वीआईपी सुरक्षा के कारण खर्च वहन करना भी मंत्रालय पर वित्तीय बोझ है............

दोस्तों, यह सही है कि इस देश के मक्कार नेताओं को सुरक्षा की कतई जरूरत नहीं है। अगर उन्हें कोई मारेगा तो देश का भला ही करेगा और आजकल तो वैसे भी नेता तथा अन्य वीआईपी सिर्फ शौक या कहें शो-आफ के लिए सुरक्षा रखते हैं। असलियत में तो उन्हें कोई देखना भी नहीं चाहता, मारना तो दूर की बात है। मैं खुद कई बार असमंजस में पड़ जाता हूँ जब चुनावी सभाओं में आम लोगों की भीड़ देखता हूँ, बाद में समझ आता है कि यह तो चुनावी मैनेजमेंट का हिस्सा भर हैं और इनमें से 90 प्रतिशत को तो रुपए देकर या कहें भाड़े पर लाया जाता है। हाँ, बीच में कुछ नेताओं पर जूते जरूर फैंके गए लेकिन जनता का उन जूतों से नेताओं को जान से मारने का कतई कोई इरादा नहीं था। हाँ, वो नेताओं को उनकी औकात जरूर दिखाना चाहते थी, उनकी बेइज्जती करना चाहती थी और उसके लिए शायद यही सबसे अच्छा तरीका था। मुझे नहीं लगता कि इन जूतों से बचने के लिए किसी नेता को या तथाकथित वीवीआईपी शख्स को किसी वाई या जेड सिक्युरिटी की जरूरत है। मैं केन्द्र सरकार द्वारा इन जूता खाऊ नेताओं की सिक्युरिटी खत्म करने का पुरजोर समर्थन करता हूँ और आशा करता हूँ कि आप लोग भी करेंगे। जय हिन्द..।

आपका ही सचिन...।

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