दोस्तों, आपके सामने आज फिर अपने कुछ विचार लेकर हाजिर हूँ। हमेशा की तरह ही ये विचार कईयों को समाजवादी लग सकते हैं, लेकिन क्या करूँ, मैं इन्हें समाजवादी नहीं मानता...ये तो मेरे दिल की भावनाएँ हैं। आप लोगों से बाँटने के लिए......
दोस्तों, आज सुबह टीवी पर खबरिया चैनलों को देख रहा था। चूँकी कई चैनलों पर सर्फिंग चल रही थी इसलिए कई अलग-अलग प्रकार की खबरें देखने में आ रही थीं। इनमें से कुछ खबरों ने दिमाग पर चोट की। थोड़ा बहुत सोचने पर लगा कि इन्हें आपके साथ बाँटा जा सकता है। तो मैं शुरू करता हूँ।
- एक टीवी चैनल सुबह-सुबह बता रहा था कि माही (महेन्द्र सिंह धोनी) ने कमाई के मामले में सबको पीछे छोड़ दिया है। वो हर साल ४०-५० करोड़ रुपए कमा रहे हैं और सचिन तेंदुलकर और अमिताभ बच्च्न से भी ज्यादा बड़े ब्रांड एम्बेसडर साबित हो रहे हैं। उनके पास विज्ञापनों की भीड़ है। उनके चाहने वाले देखना चाहते हैं कि इस बार की सीरीज में वो कौन सी नई हेयरस्टाइल रखेंगे....आदि-आदि...।
- दूसरा चैनल दिखा रहा था कि ३१ दिसंबर पास ही आ रहा है और उस दिन रात में होने वाली फाइव स्टार पार्टियों में हिरोइनें कितने रुपए लेकर अपने कूल्हे और कमर को मटकाने वाली हैं। चैनल ने रेट लिस्ट भी दिखाई। सबसे महंगी बिल्लो रानी यानी बिपाशा बसु हैं। वो मुंबई के एक पाँच सितारा होटल में उस दिन (३१ दिसंबर को) डेढ़ करोड़ रुपए लेने के बाद नाचेंगी। दूसरे नंबर पर हिन्दी फिल्मों की मशहूर और लकी कैटरीना कैफ हैं (अरे भई वही कैटरीना कैफ जिन्हें बिल्कुल भी हिन्दी नहीं आती और फिल्मों में जैसे-तैसे डबिंग के जरिए काम चलाया जाता है)। कैटरीना भी मुंबई के एक पाँच सितारा होटल में नाचेंगी, उन्हें एक करोड़ रुपए मिलेंगे। आइटम गर्ल मलाइका अरोड़ा खान सिंगापुर में नाचने जा रही हैं। वे ४० लाख की हैं। राखी सावंत बैंकाक में एक क्रूज लाइनर (सेवन स्टार शिप) पर नाचेंगी। वे भी ४० लाख लेंगी। नेहा धूपिया सरीखी कुछ नई आइटम गर्ल भी हैं जो उस रात दिल्ली के होटलों से २५ लाख रुपए कूटेंगी।
- तीसरा चैनल दिखा रहा था कि भारत के वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने भारतीय उद्योग जगत से कहा है कि वह अपने उत्पादों की कीमतों में कमी करे। घरों, गाड़ियों और अन्य उत्पादों की कीमतें घटाई जाएँ। कंपनियाँ अपना मुनाफा भले ही थोड़ा कम कर लें। इससे मंदी के दौर से निकला जा सकेगा। मुनाफा भले ही कम होगा लेकिन कंपनियाँ डूबेंगी नहीं। वित्तमंत्री ने यह बात काफी गंभीर लहजे में कही। हालांकि उस बैठक के बाद (इसमें तमाम उद्योगपति मौजूद थे) उद्योगपतियों ने तुरंत ही वित्तमंत्री की बात खारिज कर दी। राहुल बजाज ने कहा कि कीमतें कम करना कोई हल नहीं है। मुंबई के एक बिल्डर ने कहा कि सरकार पेट्रोल की कीमतें, स्टील और सीमेंट की कीमतें घटा नहीं रही है तो हम घरों की कीमतें कहाँ से कम कर लें।
दोस्तों, आप लोगों ने उक्त खबरें काफी धैर्य से पढ़ीं लेकिन सोच रहे होंगे कि उक्त तीनों खबरों का आपस में क्या संबंध हो सकता है। तो हमारी भी सुनिए....है, बिल्कुल है। हाल ही में इंदौर में भारत-इंग्लैण्ड सीरीज का दूसरा वनडे हुआ। इसमें भी भारत जीता। युवराज सिंह ने इसमें भी बेहतरीन प्रदर्शन किया। दोनों वनडे में उन्होंने सैकड़ा जमाया। दोनों ही वनडे में वो मैन आफ द मैच भी चुने गए। दोनों वनडे में ही उन्हें एक-एक लाख रुपया और हीरो-होंडा की सीबीजेड मोटरसाइकिल भी मिली। इसी प्रकार धोनी के ऊपर भी धन बरसता रहता है। यानी धोनी बहुत धनी है। इन स्टारों के क्रिकेट का बल्ला करोड़ों रुपए उगल रहा है। इसी तरह हिरोइनों के ठुमके भी करोड़ों बरसा रहे हैं।
दोस्तों, सब लोग अपनी किस्मत का खाते हैं, मुझे भी इन लोगों से कोई गिला नहीं है....लेकिन आपत्ति जरूर है। इन पर नहीं हम पर, अपने आप पर, हमारे रवैए पर.....इस देश में जहाँ करोड़ों लोग कठिन परिस्थियों में जीवन का संघर्ष कर रहे हैं वहाँ ये अय्याशी आपत्ति वाली बात ही है। धोनी और युवराज सिंह को अभी तक कई मोटरसाइकिलें मैन आफ द मैच के रूप में मिल चुकी हैं। कई बार कार भी, लेकिन क्या वो इन ५० हजार रुपए वाली मोटरसाइकिलों और ५ लाख रुपए वाली कारों को चलाते होंगे????ना.....मुझे नहीं लगता। जो लोग १० लाख की मोटरसाइकिल और ५० लाख की कारें चला रहे हैं उनको क्या जरूरत सस्ती चीजों की......तो क्यों ये रुपया उनपर जब-तब लुटाया जाता है। इस देश में नौकरीपेशा लोगों का घर नहीं चल रहा है, कई घंटे खपने के बाद भी....दूसरी ओर एक छक्के-चौके का हजारों-लाखों रुपया मिल रहा है। इसी तरह हिरोइनों का मामला है, वो क्या कर रही हैं॥?? माना कि एक्टिंग एक कला होती है लेकिन भारत में तो ये सिवाए नौटंकी के और कुछ नहीं रह गई है। उद्योग-धंघे भारत में मंदे भले ही पड़ रहे हों लेकिन उद्योगपति कीमतें कम नहीं करना चाहते। वो जमकर मुनाफा कमा रहे हैं लेकिन उसे किसी से बाँटना नहीं चाह रहे। टाटा जैसे एकाध उद्योगपति को छोड़ दिया जाए तो भारत में कोई भी उद्योगपति चैरिटी पसंद नहीं करता। हाँ, वो टीवी पर जोरदारी से विज्ञापन करने-करवाने में विश्वास रखता है, अपने घरों की (निजी) पार्टियों में हिरोइनों से डांस कराने में भी वो विश्वास रखता है, अय्याशी और दिखावे के लिए रुपए को पानी की बहाने में विश्वास करता है लेकिन उसे देश के दूसरे नागरिकों से कोई मतलब नहीं है। उसे तो सिर्फ अपने कस्टमर्स (ग्राहकों) से मतलब है। देश के उद्योग जगत का अय्याश चेहरा हमारे सामने विजय माल्या और सुब्रत राय सहारा के रूप में मौजूद है। हमारे देश का मीडिया तो अपनी उपयोगिता पहले ही सिद्ध कर चुका है। वो किसी को भी हीरो-बनाने से नहीं चूकता। हाल-फिलहाल क्रिकेट स्टार और फिल्मी हीरो-हिरोइन हमारे देश के हीरों हैं (असली हीरो गए तेल लेने) । इन्हें इतना बूम मिला है कि देश की नई पौध इन्हीं जैसा बनना चाहती है। तो क्या दोष कि हमारे-आपके घरों में पैदा होने वाले लड़के कुछ साल बाद बल्ला घुमाने लगते हैं और लड़कियाँ नाचना शुरू कर देती हैं। शायद बच्चों को समझ में आ गया है कि सिर्फ बल्ला घुमाने और कमर मटकाने से ही जब करोड़ों रुपया कमाया जा सकता है तो फिर ज्यादा मेहनत करने का क्या फायदा....???? क्या हम अपने देश की नई पौध की मानसिकता बदल पाएँगे....???
आपका ही सचिन.....।
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