November 26, 2008

अपयश से बेहतर तो मृत्यु है

सनातन धर्म और साधु-संतों को बदनाम कर रही है कांग्रेस सरकार-

मित्रों, आज आपके लिए दो खबरें लेकर हाजिर हुआ हूँ। पहले इन्हें सुनाऊँगा, फिर अपनी बात आपके सामने रखूँगा। तो कृपया मेरे साथ बने रहिए....।
पहली ख़बर
नई दिल्ली। अपयश की तुलना में मृत्यु को बेहतर बताने संबंधी गीता के श्लोक का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति को पर्याप्त कारण के बिना पुलिस गिरफ्तार या हिरासत में नहीं ले सकती। ऐसा करने पर गिरफ्तार हुए व्यक्ति की प्रतिष्ठा को गहरा नुकसान पहुँचता है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिसद्वय न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर और न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू की पीठ ने कहा कि गिरफ्तार करने के अधिकार की मौजूदगी एक चीज है और इसके क्रियान्वयन की न्यायोचितता काफी अलग है। पुलिस अधिकारी जब किसी को गिरफ्तार करे तो यह भी सुनिश्चित करे कि अदालत में वह उसकी गिरफ्तारी को सही साबित भी कर सकेगा। पुलिस कार्रवाई से किसी भी व्यक्ति के आत्मसम्मान को गंभीर क्षति हो सकती है।
दूसरी ख़बर
नई दिल्ली। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि कांग्रेस सरकार द्वारा भारत में साधु-संतों को बदनाम करने का जो अभियान चलाया जा रहा है उसपर वे चुप नहीं बैठेंगे। राजनाथ का कहना है कि जिनके दिशा-निर्देशों पर यह सब हो रहा है उनसे वे पूछना चाहते हैं कि आतंकवाद के नाम पर हिन्दुओं के आस्था के केन्द्रों को चोट पहुँचाने की जैसी कोशिश हो रही है ऐसा किसी दूसरे धर्म के धर्मगुरुओं के साथ करने की कोई जुर्रत कर सकता है॥?? इसके साथ ही राजनाथ ने भारतीय सेना को शामिल करते हुए कहा कि धर्म के साथ-साथ सेना के अधिकारियों को भी बदनाम किया जा रहा है। राजनाथ ने इतना सब कहने के बाद कड़े लेकिन भावुक अंदाज में कहा कि मेरा स्पष्ट मत है कि यदि कोई आतंकवादी घटना में शामिल है और उससे पूछताछ करनी है तो करो लेकिन बदनाम मत करो। राजनाथ ने भावुक अंदाज में कहा कि आतंकी वारदातों के लिए साधु-संतों पर शक किया जा रहा है। बहुत हो चुका, कब तक चुप्पी साधे रहें। उन्होंने केन्द्र सरकार को ललकारते हुए कहा कि यदि साधु-संतों को आतंकवादी कहना बंद नहीं किया तो हम भी अब चुप बैठने वाले नहीं हैं।
दोस्तों, अब मैं आपसे अपने मन की बातें कहना चाहता हूँ। हालांकि आप लोग समझ गए होंगे कि मैं कहना क्या चाहता हूँ लेकिन पिछले कुछ दिनों में हुए घटनाक्रम के चलते हमारे देश की जनता ने जिस तरह से चुप्पी साध रही है उसे मैं धिक्कारता हूँ। दूर देश डेनमार्क में किसी ने मुस्लिम पैगम्बर मौहम्मद के आपत्तिजनक कार्टून बना दिए और पूरा विश्व जल उठा। भारत में भी तमाम सरकारी-गैरसरकारी संपत्ति की क्षति की गई। मुस्लिम धर्मावलंबियों में इतना आक्रोश उभरा कि पूरा संसार हिल उठा। एक हम हैं। एक ही देश में बचे हैं लेकिन भाजपा हिन्दू है और कांग्रेस धर्मनिरपेक्ष। वाह, राजनीति। इसके चलते हमारे इकलौते देश में भी हमारा धर्म नहीं बचेगा। दूर किसी देश में किसी मंदिर या किसी हिन्दू देवी-देवता का अपमान कर दिया जाता है तो वहाँ के मुट्ठी भर हिन्दू उस अपमान के लिए लड़-मरते हैं लेकिन हमारे देश में हमारी छाती के ही ऊपर बैठकर ये कांग्रेस सरकार मूँग दल रही है, हमारे साधु-संतों का अपमान कर रही है और हम चुप हैं। और ये सब किस नाम पर हो रहा है....आतंकवाद के नाम पर। उसी आतंकवाद के नाम पर जिसके सबसे ज्यादा भुगतभोगी हम हिन्दू ही हैं। अपने साधु-संतों को यूँ गिरफ्तार होते, जलील होते देखकर भी हम चुप हैं। सिर्फ एक धर्मनिरपेक्षता के नाम पर। शर्म है हमपर। ऊपर की दोनों खबरों को आपने पढ़ा। गीता के श्लोक वाली बात भी पढ़ी। तो जिन साधु-संतों को बिना सुबूत के गिरफ्तार किया गया है (कांग्रेस हाईकमान और सोनिया गाँधी को खुश करने के लिए) उनकी समझ लीजिए मृत्यु हो गई। हमारी देखा-देखी, आँखों के सामने.....और उन्हें मारने वाले शुद्ध राजनीतिज्ञ हैं, बहुसंख्य हमारे धर्म के और एक अन्य धर्म का है। लेकिन वो सशक्त है। हम कमजोर हैं। कांग्रेस में भी कई हिन्दू हैं लेकिन या तो वे अंधे हैं या फिर उनकी आत्मा बिकी हुई है जो सोनिया गाँधी का उसके दुष्कर्मों में साथ दे रहे हैं। हम आज अपने आस्था के केन्द्रों को मरते हुए देख रहे हैं। राजनाथ सिंह ने जो कहा उस पर भी राजनीति होना संभव है लेकिन हमें तो अपनी आँखें खुली रखनी चाहिए। हम क्यों दूसरों की सरपरस्ती में इतने रम गए हैं कि हमें भी वही दिख रहा है जो हमें दिखाया जा रहा है। याद रखिए जिसका धर्म सुरक्षित नहीं, उसका देश सुरक्षित नहीं, उसका घर सुरक्षित नहीं। और इस एक वाक्य में हम सब आते हैं।
आपका ही सचिन.....।

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