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मुंबई में जो कुछ आपने और हमने देखा उसे दोहराने की जरूरत नहीं है। इससे पहले दिल्ली में धमाके हो चुके हैं। उससे पहले वैसे ही धमाके जयपुर, बंगलोर, अहमदाबाद में हो चुके हैं तो यह उन धमाकों और हमलों की छठवीं कड़ी मानी जानी चाहिए। इन धमाकों पर मन बहुत उद्वेलित हुआ है। पहले के धमाकों पर भी हुआ था और मैंने जमकर देश की नीतियों को कोसा था लेकिन इस बार बात इन नेताओं की करेंगे।
कुछ महीने पहले दूरदर्शन चैनल देख रहा था, उस पर गुजरात दंगों पर एक कार्यक्रम आ रहा था, ये प्रोग्राम केन्द्र सरकार यानी कांग्रेस सरकार ने तैयार करवाया था जिसमें दंगों से पीड़ित मुस्लिम परिवारों को दिखाया गया था और बताया गया था कि हिन्दुओं और उनके वहशी नेता नरेन्द्र मोदी ने कैसे उन बेचारे मुसलमानों पर गुजरात में कहर बरपाया। सीधे-सीधे भाजपा पर तमाम आरोप लगाए जा रहे थे और बताया जा रहा था कि कांग्रेस जैसी धर्मनिरपेक्ष पार्टी दूसरी कोई और नहीं है। यह प्रोग्राम काफी लंबा था। तो साहब जैसा कि कांग्रेस पर अपना वोट बैंक बनाने-बचाने और मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगते रहते हैं ठीक उसी तर्ज पर मेरा यह भी कहना है कि हर कुछ महीने बाद जो भारत के सीधे लोगों पर आतंकवादियों द्वारा बम ठोंक दिए जाते हैं उनमें मरने वालों और पीड़ित परिवारों पर ये कांग्रेस सरकार कोई कार्यक्रम क्यों नहीं बनवाती। क्योंकि उस कार्यक्रम में मुस्लिम घेरे में आएंगे और कांग्रेस अपना वोट बैंक खोना नहीं चाहती। तो क्या कांग्रेस मानती है कि मुस्लिम आतंकवाद के साथ हैं और आतंकवाद पर वार करना यानी मुसलमानों की नाराजी मोल लेना है..............क्या कांग्रेस यह नहीं देख रही कि भारत का हर पाँचवा आदमी मुसलमान है और अहमदाबाद तथा दिल्ली के धमाकों में मुसलमान भी मारे गए हैं। और यह भी कि जिन दो कचरा बीनने वाले लड़कों ने दिल्ली में कचरों की पेटियों में बम होने की बात सार्वजनिक की और दूसरे कई लोगों की जानें बचाई वो दोनों लड़के भी मुसलमान हैं। तो क्या कांग्रेस पगला गई है जो इस तरह की बेहूदी बातें सोचते और करते हुए हमारे देश का बंटाधार करने पर तुली है।
आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता। वे मुसलमान तो कतई नहीं हैं, वो सिर्फ हरामी है। वो पाकिस्तान में बम विस्फोट कर रहे हैं जिनमें सिर्फ मुसलमान ही मारे जा रहे हैं। इराक में भी धमाके हो रहे हैं जिनमें अमेरिकियों के अलावा इराकी लोग (मुख्यतः इराकी सेना में शामिल मुसलमान) और शिया मुसलमान मर रहे हैं। तालीबानी पाकिस्तान के अलावा अफगानिस्तान में भी धमाके कर रहे हैं जिनमें सैंकड़ों-हजारों मुसलमान हलाक हो रहे हैं (ये अलग बात है कि उन्हें अमेरिका परस्त माना जा रहा है और इसलिए वे जिहादियों के निशाने पर हैं)।..... और अगर आतंकवादियों में दम है तो अमेरिका और ब्रिटेन में एक-एक आतंकी हमले करके वो क्यों चुप बैठ गए। क्या उनमें दम खत्म हो गई। नहीं ऐसा नहीं है, वो जानते हैं कि अमेरिका पर एक बड़ा हमला उन्होंने किया और उनके दो गढ़ (अफगानिस्तान और इराक) उनके हाथ से निकल गए। ब्रिटेन में किया तो कईयों को पकड़कर मार दिया गया। इसराइल में जो हो रहा है वो जगजाहिर है लेकिन हमरी तो वैसी स्थिति नहीं है ना। हम इसराइल की तरह मुसलमानों पर ना तो अत्याचार कर रहे हैं और ना ही उनकी जमीन हड़पे बैठे हैं तो फिर हम यानी भारत क्यों निशाने पर है। तो मतलब आतंकी मुसलमान नहीं है। वो सिर्फ आतंकी हैं। ये आतंकी जानते हैं कि इंडिया एक सॉफ्ट और माइल्ड स्टेट हैं यहाँ ११० करोड़ लोग रहते हैं और १००-५० के मरने का यहाँ कोई असर नहीं होता (होता भी हो तो शायद हमारी मोटी चमड़ी की सरकार पर तो बिल्कुल ही नहीं होता), इन विस्फोटों को करने से आतंकियों की बात भी बन जाती है और सरकार तो हमारी है ही ऐसी जो बयान देने के अलावा कोई और काम नहीं कर पाती। क्या हम इतने कमजोर हैं या फिर भावशून्य और संवेदनहीन बन गए हैं.....??????
संसद में हमले के आरोपी हमारे देश की रोटियाँ तोड़ रहे हैं। आखिर कब तक चलेगा ऐसा? क्या हम इन भ्रष्ट नेताओं के रहते कभी कोई काम नहीं कर पाएँगे। एक अदद आतंक विरोधी कानून नहीं ला पाएँगे, क्या किसी को फाँसी पर नहीं लटका पाएँगे, क्या किसी आतंकी का खुलेआम एनकाउंटर नहीं कर पाएँगे, क्या सिर्फ ऐसे ही अपने परिवारजनों और प्रियजनों को विस्फोटों में खोते रहेंगे, क्या हम कुछ नहीं कर पाएँगे.........हाय.... हमारे इस महान, सभ्य, सौम्य और शौय से भरपूर देश को यह क्या हो गया है कि हम कुछ अदने से लोगों से पिट रहे हैं, कुछ कर नहीं पा रहे हैं, क्या देश के नेता ऐसे होते हैं.......हम क्या करें क्योंकि ये सारे दोगले नेता हमारे ही तो चुने हुए हैं.........!!!!!!!!!भगवान अब तो सिर्फ आपका ही आसरा है।
आपका ही सचिन......।
2 comments:
इस देश में धर्मनिरपेक्षता का मतलब हिंदू धर्म का विरोध करना है | किसी धर्म का पक्ष लेते समय ये तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल यह नही सोच पाते कि एसा कर वे ख़ुद कितने सांप्रदायिक हो गए है |आतंकवाद कि जाँच भी ये नेता साम्प्रदायिक सोच रख कर करा रहें है और ऐसे हालत रहे तो इस देश को भगवान भी शायद ही सहारा दें
मान लिया है सचिन ने,आतंक का नहीं धर्म.
भारत रहता भरम में, ना समझा यह मर्म.
ना समझ्हा यह मर्म,ना जाना है कुरान को.
कुरान क्या इन्डिया भुला बैठा पुराण को.
कह साधक कवि, सबने ऐसा मान लिया है.
सारे धरम समान, भरम से मान लिया है.
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