भारत में हो रहे भूमंडलीकरण के ऊपर जर्मनी के कुछ विद्वानों की कटु बातें आप लोगों ने इस लेख दुनिया के सामने भी खुल रही है भारत के भूमंडलीकरण की पोल- भाग-1 में पढ़ ही ली होंगी, जिसे एक खबर के रूप में प्रस्तुत किया गया था। पेश है इसका दूसरा भाग.....।
तो दोस्तों, बात सिर्फ जर्मनी पर आकर ही खत्म नहीं हो जाती। हम सिर्फ यह कहकर नहीं बच सकते कि कुछ विदेशियों की बातों से हम क्यों विचलित हो जाएँ......जबकि हमें पता है कि अगर कोई विदेशी विद्वान खासतौर से वो अमेरिका या फिर योरप से हो तो, अगर हमारी बढ़ाई या तारीफ कर दे तो हम उन बातों या अध्ययनों को सिर माथे से लगाए रहते हैं और अमूमन अपने सीने पर वो मेडल की तरह लगाकर घूमते हैं। तो भारत ने भूमंडलीकरण के दौर में क्या तरक्की की इसका ताजा उदाहरण चीन ने हाल ही में प्रस्तुत किया है......अरे अचानक ये चीन बीच में क्यों आ गया......?? वो इसलिए दोस्तों कि भारत का दुश्मन देश होने के नाते मैं चीन से नफरत जरूर करता हूँ लेकिन उसकी जीवटता का कायल भी हूँ। चीन ने इस बार के ओलंपिक में दिखा दिया है कि वो किस प्रकार की महाशक्ति है.....वो सिर्फ झूठ-मूठ ही महाशक्ति कहलाने में विश्वास नहीं करता। वो जानता है कि उसे इसे करने के लिए क्या करना है। अगर बात आबादी रोकने की हो तो वो एक बच्चे वाली पॉलिसी सख्ती से लागू करता है, बात बीजिंग ओलंपिक के लिए शहर में प्रदूषण रोकने की और वहाँ के हालात सुधारने की हो तो वो तत्काल ऐसे कदमों को उठाता है जो सब लोग मानने को मजबूर हैं और उसके नतीजे भी दूसरे दिन से ही दिखने लगते हैं। (इन सब विषयों के ऊपर डिस्कवरी चैनल ने तो एक सीरीज की बनाकर प्रसारित कर दी थी जिसका अल्टीमेट ओलंपिक्स दिया गया था, इसमें चीन की जीवटता के सजीव दर्शन होते हैं)इंदौर के मशहूर डेली कॉलेज ( यह एक पब्लिक स्कूल है) की छठवीं कक्षा (क्लास सिक्थ) का एक बैच पिछले दिनों चीन यात्रा पर गया था। इस क्लास में पढ़ने वाले बच्चे लगभग १०-११ साल के होते हैं। उन बच्चों में से एक मेरी भी पहचान का था। मैंने उससे बड़े तरीके से चीन के बारे में, वहाँ की आबो-हवा, जमीन, सड़कें और शहरों के बारे में पूछा। उस साफ और कोमल मन के बच्चे ने मेरी बातों के जो उत्तर दिए मैं उनसे हतप्रभ था। बच्चे के अनुसार हम यानी भारत फिलहाल चीन के आगे कहीं नहीं है। उस बच्चे ने चूँकी योरप भी घूम रखा था तो उसके मुताबिक चीन तो योरपीय शहरों से भी सुविधाओं के मामले में कहीं आगे है। उसके मुताबिक भारत और चीन की तुलना बिल्कुल बेमानी है क्योंकि भारत किसी भी क्षेत्र में चीन को नहीं छूता.....शहरों की बात हो, आर्थिक तरक्की की हो, लोगों के रहन-सहन, पहनावे, सुख-सुविधाओं, यहाँ तक की साफ-सफाई की बात हो, चीन ने हमसे हर तरीके से यानी ज्यादा बेहतर तरीके से ग्लोबलाइजेशन का उपयोग (सदुपयोग) किया है। क्योंकि वहाँ फेडरल सरकार है, (हम उसे तानाशाह कहते हैं और शायद इसलिए ही वो इतने कम समय में इतनी तरक्की कर पाए) इसलिए उनकी नीतियाँ तुरंत बनाई जाती हैं, तुरंत लागू की जाती हैं और उनका प्रभाव भी लोगों और वहाँ के मुख्य समाज, बाजार आदि पर तुरंत ही दिखाई दे जाता है। वहीं दूसरी ओर एक सर्वेक्षण में भारत के ज्यादातर बड़े शहर कचरे के ढेर बने हुए हैं और उनमें आधारभूत सुविधाएँ यानी सड़क, पानी और बिजली तक की समस्याएँ मुंह उठाए खड़ी हैं। जनता स्थानीय प्रशासन के रवैए से त्राहिमाम कर रही है और हम हैं कि अपने को दुनिया के सामने आर्थिक महाशक्ति बताने से बाज ही नहीं आ रहे। फिर भले ही हमारे यहाँ किसान और आम आदमी अपने परिवार का बोझ उठाने में सक्षम नहीं हों और इस वजह से आत्महत्याएँ कर रहे हों। वाह भाई, क्या मॉडल दिया है हमारी सरकार ने भारत के विकास का जहाँ अमीर का घर दिन पर दिन ऊँचा और महंगा होता जा रहा है जबकि गरीब का दम फूला जा रहा है और वो जमीन में घुसा जा रहा है। चूँकी मैं उक्त कुछ मुद्दों पर अपने पूर्व के लेखों में काफी कुछ लिख चुका हूँ इसलिए इस बार कुछ नई और हल्की-फुल्की बात लिखूँगा। आप लोगों ने बीजिंग ओलंपिक के संदर्भ में पढ़ा होगा कि चीन इस बार संसार की एकध्रुवीय महाशक्ति अमेरिका पर वार करने की सोच रहा है। इसका मतलब पिछले तीन ओलंपिक से अमेरिका जो स्वर्णपदक तालिका में पहले स्थान पर बना हुआ है, उससे चीन वो स्थान छीनना या कहें हड़पना चाहता है। और इस लड़ाई में संसार की एक अन्य (तथाकथित) महाशक्ति भारत कहाँ है???? .........वो आशा लगा रहा है कि उसके ५६ लोग २-४ पदक (स्वर्ण नहीं) जीतकर लाएँगे और उन आशाओं में से भी कुछ आशाएँ शनिवार को यानी आज मिट्टी में मिल गईं जब उसके निशानेबाजों ने बीजिंग में धूल चाट ली। हम बचपन से सुनते आए हैं कि कोई देश समर यानी युद्ध के मैदान के बाद सिर्फ खेल के मैदान में मिली जीत से ही वो जश्न मना पाता है जो जोश का चरम दे पाती है लेकिन हम ओलंपिक के पिछले सौ सालों से ज्यादा के इतिहास को देखें तो भारत इसमें हमेशा फिसड्डी ही रहा है। आजादी के पहले तो ये देश फिर भी हॉकी में कमाल कर आता था लेकिन इस बार तो वो हॉकी भी नदारद है। यानी हम कहीं नहीं हैं। तो भूमंडलीकरण के दौर में हमारे देश की मिट्टी सबदूर कुट रही है। तो दोस्तों जब हम आजाद हुए थे तब चीन की स्थिति भी वही थी। बल्कि वो तो तब तक भंगेड़ी और नशेड़ी ही बना हुआ था। अचानक उस ड्रेगन ने करवट बदली और दुनिया को बता दिया कि उसने पिछले पाँच हजार सालों में सिर्फ घास नहीं खोदी है। दोस्तों, ग्लोबलाइजेशन यानी भूमंडलीकरण के मुद्दे पर उत्तरी अमेरिका (महाद्वीप) और योरपीय महाद्वीप की हमें बातें नहीं करना चाहिए। हमें जापान और आस्ट्रेलिया की भी बातें नहीं करनी चाहिए क्योंकि हम यह जानते हैं कि ग्लोबलाइजेशन का उपयोग इन महादेशों ने बहुत पहले कर लिया था और इस वजह से ये लंबे समय से विकसित देश भी बने हुए हैं। लेकिन हमें चीन और मलेशिया को तो देखना ही होगा ना। सिंगापुर, हांगकांग छोटे हैं, मलेशिया भी हमसे अपेक्षाकृत छोटा है लेकिन चीन ने अपने जनसंख्या विस्तार के बावजूद इस सब बातों पर काबू पाया और सारे देशों को पीछे छोड़ते हुए ठीक अमेरिका के पीछे जाकर खड़ा हो गया जहाँ से अब वो अमेरिका को भी लात मारने की तैयारी में लगा है। ब्रिटन से तो उसने हांगकांग ११ साल पहले ही छीनकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर दिया था। तो क्या हम भी उसी स्तर की नीतियाँ बनाकर दुनिया को पटखनी नहीं मार सकते। जरूर मार सकते हैं लेकिन इसके लिए पहले हमें अपने गिरेबान में झाँकना होगा। हमें बहुत सारे संशोधन करने होंगे। तो दोस्तों, इन मुद्दों पर आगे की बात इस लेख की अगली किश्त में, यानी भाग तीन में होगी, तब तक के लिए विदा...।
आपका ही सचिन.....।
3 comments:
"……हम उसे तानाशाह कहते हैं और शायद इसलिए ही वो इतने कम समय में इतनी तरक्की कर पाए) इसलिए उनकी नीतियाँ तुरंत बनाई जाती हैं, तुरंत लागू की जाती हैं और उनका प्रभाव भी लोगों और वहाँ के मुख्य समाज, बाजार आदि पर तुरंत ही दिखाई दे जाता है……" जवाब तो आपने ही दे दिया है जी, कि क्यों भारत पीछे है… सुन्दर विष्लेषण के लिये धन्यवाद, एक अर्ज है कि "वर्ड वेरिफ़िकेशन" हटा दें, यह व्यवधान पैदा करता है…
achha likha hai bhai.
kya aap vahi sachin hain jinkaa lekh samayantar me aaya hai?
krupya hamara blog dekhen
naidakhal.blogspot.com
सुरेश जी आपका काम मैंने कर दिया, ब्लॉग पर से वर्ड वेरीफिकेश हटा दिया है। अब शायद कोई परेशानी ना आए। मैं आपके पास आता रहूँगा, आपके ब्लॉग पर उपस्थिति दर्ज कराने....।
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