आज अखबार में एक खबर पढ़ी। मन खट्टा हो गया। हालांकि मुझे मालूम है कि भारत का लोकतंत्र कितना भ्रष्ट है लेकिन फिर भी कई बार कलम उठाने को जी चाहता है। सोचते हैं कोसकर कुछ तो मन को राहत मिले, नहीं तो ये नेता लोग तो हाथ ही नहीं धरने दे रहे हैं। खैर, खबर के बारे में बात करना चाहता हूँ। खबर का शीर्षक था मायावती की सुरक्षा में ३५० कमांडो....। यहाँ उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती की बात हो रही है। वही मायावती जो दलितों और बहुजनों की बात करती हैं। समाज के उस पिछड़े वर्ग की बात करती हैं जिसको दो जून की रोटी खाना भी नसीब नहीं है। मैं आपको थोड़ी सी खबर सुना रहा हूँ।
उप्र की मुख्यमंत्री मायावती की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर आजकल तमाम सवाल उठाए जा रहे हैं। फिलहाल उनकी सुरक्षा में ३५० सुरक्षा अफसर और ३४ वाहन लगे हुए हैं। आलम यह है कि जिस सड़क से मायावती गुजर जाती हैं वहाँ से जाम हटाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इस संबंध में मायावती का कहना है कि कुछ लोग मेरी हत्या करना चाहते हैं। मुझे सुरक्षा की बेहद जरूरत है। मैंने अफसरों से कहा है कि वे इसराइली सुरक्षा एजेंसियों से संपर्क कर उनके कामकाज के तरीकों को जानें। पिछले साल देश के सबसे चुस्त-दुरुस्त स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) ने मायावती को सुरक्षा देने से मना कर दिया था। मायावती ने इसे कांग्रेस की चाल कहा था। चुनाव के मद्देनजर आजकल मायावती कई इलाकों में दौरे कर रही हैं। इस दौरान उनकी सुरक्षा अचानक बढ़ा दी गई है। इन दिनों वे बड़ी संख्या में वाहनों के साथ मुख्यमंत्री निवास से एयरपोर्ट के कई चक्कर लगा रही हैं।
फूँका जनता का धन
मायावती पर पहले भी भ्रष्टाचार के कई आरोप लगते रहे हैं। लेकिन इस महान (?) भारतीय लोकतंत्र में ऐसे नेताओं को ना पहले कुछ हुआ था और ना अभी कुछ होना है। पता चला है कि मायावती ने अपने आधिकारिक निवास की साज-सज्जा में कोई कमी नहीं की है। उनके प्रवेश और निकास द्वारों पर आधुनिक इलीवेटर लगे हैं। इसी तरह ग्रेनाइट के पत्थर वाला उनका खास कमरा भी सर्वसुविधायुक्त है। जनता के धन से हुए इस बदलाव के बारे में बताया जाता है कि मायावती का घर किसी सात सितारा होटल से कम नहीं है। इतना ही नहीं जिस सड़क पर मायावती का घर है, उस पर भी काफी बदलाव किए गए हैं। वे यहाँ हेलीपेड भी बनवाना चाहती हैं। उल्लेखनीय है कि मायावती जब भी दिल्ली जाती हैं तो वहाँ के सबसे महंगे होटलों में सबसे अधिक महंगे इंपीरियल सुएट अपने लिए बुक करवाती हैं। इनका एक दिन का किराया एक लाख रुपए तक का होता है। इस बार दिल्ली से जो प्रत्याशी बसपा के लिए विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं वो सब करोड़पति हैं। उन्होंने ५० लाख रुपयों से ज्यादा की रकम देकर अपने लिए टिकिट लिया है। (वाह मायावती जी....बहुजन समाज का बहुत ही अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं आप और आपकी पार्टी...???)
जनता की जान पर बनी
अपने मुख्यमंत्री निवास से मायावती जब एयरपोर्ट के लिए निकलती हैं तो उनका काफिला इस बीच १४ किलोमीटर का रास्ता तय करता है। बस दौरान उस दायरे में रहने वाले लोगों की वाट लग जाती है। इतने बड़े सुरक्षा दस्ते से वहाँ रहने वाले लोग हैरान-परेशान हैं। कई कहते हैं कि इतनी सुरक्षा तो प्रधानमंत्री भी नहीं रखते होंगे। मायावती के डर से घबराए लोग अपना नाम तक मीडिया में नहीं बताते, बस इतना बताते हैं कि उस दौरान क्षेत्र में अघोषित कर्फ्यू लग जाता है। दुकानदारों से जबरन दुकानें बंद करा दी जाती हैं। घंटों ट्रेफिक भी जाम रहता है। पुलिस वालों का व्यवहार भी इस दौरान ठीक नहीं रहता और वो खुली हुई दुकानों में बैठे ग्राहकों पर डंडे बरसाने लग जाते हैं। इस डर से दुकानदार अपनी दुकानें बंद रखने में ही भलाई समझते हैं।
दोस्तों, मायावती की असलियत तो हम बरसों से जानते हैं लेकिन उत्तरप्रदेश की जनता पर तरस भी आता है। मायावती को उन्होंने ही डंडे खाने के लिए चुना है। पिछले २० सालों में उप्र की जनता ने कांग्रेस और भाजपा को धीरे-धीरे अपने प्रदेश से उखाड़ दिया। उसके बाद आए मुलायमसिंह और बहन (?) मायावती॥। आज हालात यह हैं कि जनता जिसे चुने वो गुंडागिर्दी करता है। दोनों ही नेताओं की पार्टी में भयानक गुंडे लोग विधायक, मंत्री और सांसद हैं। डीपी यादव, राजा भैया, अमरमणि त्रिपाठी की बानगी हम देख चुके हैं। लिस्ट इतनी लंबी है कि लिखने लगा तो पोस्ट इसी में पूरी हो जाएगी। लेकिन मुझे याद है कि जब मायावती ने राजनीति में प्रवेश किया था। कांशीराम भी मुझे याद हैं। यह भी याद है कि इन दोनों ने तब ब्राह्मणों, राजपूतों और वैश्यों को जूते मारने की बात कही थी। ये लोग तब सिर्फ पिछड़े, दलित और बहुजन समाज की बात करते थे। निचली और पिछड़ी जातियों का इन्हें समर्थन मिला, सत्ता मिली लेकिन स्थाई नहीं। मायावती को भी देवेगौड़ा की तरह पीठ में छुरा भौंकने की आदत है। इसके चलते इन्होंने कई बार सत्ता की कुर्सी हथियाई, कई बार छोड़ी। इनपर मात्र १९ करोड़ (वैसे हजारों करोड़) के ताज घोटाले का आरोप लगा। भारतीय लोकतंत्र है, कुछ नहीं हुआ। फिर इन्हें सोशल इंजीनियरिंग की दीक्षा मिली, ना जाने कहाँ से॥?? ये ब्राह्रणों, ठाकुरों और बनियों को साथ लेकर चलने लगीं। इन्हें कामयाबी भी मिली लेकिन क्या करें आदत नहीं गई॥। कहते हैं ना कि अगर किसी को उसकी औकात से ज्यादा मिल जाए तो वो पगला जाता है, बहन मायावती के साथ भी यही हुआ। शायद कभी नहीं सोचा था कि इतनी ऊँचाई मिलेगी। वो भी गालियाँ बक-बक कर। तो वो पगला गई हैं। वो काम कर रही हैं जो अमेरिका का राष्ट्रपति भी ना करे। अपने जन्मदिन पर केक काट रही हैं, गले में करोड़ों रुपयों का हार पहने...। विधायक, पार्टी कार्यकर्ताओं से गिफ्ट ले रही हैं, वो भी लाखों की। खुले आम सब कर रही हैं लेकिन भारत की जागरुक जनता की आँखों में तो रतोंधी है ना॥
विकसित देश कनाडा में ब्यूरोक्रेट बसों में सफर करते हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति की कार लाल बत्ती पर रुकती है लेकिन ये बहनजी हैं कि पूरी दुनिया को अपने पैरों तले रौंदना चाहती हैं। इन्हें किसी सुरक्षा की जरूरत नहीं है, और ना ही इनकी ऐसी शक्ल है कि कोई इन्हें मारने के लिए घूमे, लेकिन ये सबकुछ करना चाहती हैं। बिना बात के ही इसराइली एजेंसियों की मदद लेने की बात करती हैं। जानती नहीं कि वहाँ इतनी सुरक्षा में नेता क्यों रहते हैं। हत्या का नाम ले-लेकर अपना रुतबा झाड़ रही हैं। उप्र के बाद अब हमारे मध्यप्रदेश पर भी इनकी नजर है। ये भारत की प्रधानमंत्री भी बनना चाहती हैं। अगर बन गईं तब तो मैं इस देश को ही छोड़ दूँगा.......अरे भाई आखिर कब तक झेलेंगे ऐसे शर्मविहीन नेताओं को.....?? क्या तब हमें खुद अपने आप पर शर्म नहीं आने लगेगी...??
आपका ही सचिन....।
4 comments:
सत्ता मिलते ही सभी का यही हाल हुआ है।कोई विरला ही नेता होगा जो सच में देश की सेवा की चाह में राजनिति में आया होगा।कुर्सी पर बैठते ही सामनें वाले कीड़े मकोड़े नजर आने लगते हैं।
आपने बहुत अच्छा लिखा है। मै तो इस प्रदेश का रहने वाला हूं।
इस कल्पना मात्र से दिल बेचैन हो जाता है कि
जिस महिला को संसदीय भाषा तक का ज्ञान नही है|
हम उसेआपनी ओछी राजनीतिक हित साधने के लिए
प्रधान मंत्री पद देने मे भी गुरेज़ नई कर रहे है |
जिसे अपने हित के अलावा कुछ नही दिखाई देता,
अगर वो हमारे देश कि प्रतिनिधि बने |
ये हर भारतवशी के लिए शर्म कि बात है |
बहुत सही लिखा है आपने,
लिखते रहिए |||||||||
ha bhai app log to likhege hi kyoki wah ek nich biradri se hai na to wah to kisi yogy nahi hai jab pm banne ki baat aayi to mirchi to lagni hi thi jara aap log hi kisi pm pad ke umidwar ka naam bataye fhir mai batata hoon ki kaun kitan yogy hai
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