January 09, 2009

अगर भारत पर अभी हमला हुआ तो..!!

हड़ताल की भी तो हद होनी चाहिए ना..??
दोस्तों, पूरा भारत पेट्रोल की किल्लत से जूझ रहा है। सिर्फ पेट्रोल की नहीं बल्कि डीजल और अन्य पेट्रोलियम पदार्थों की किल्लत से भी। शाम तक थोड़ी सी राहत मिली है कि कुछ पेट्रोल कंपनियों के अधिकारी और कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली है लेकिन अधिसंख्य हालात खराब हैं। पेट्रोल पंप सूखे हुए हैं और हमारे जैसे कई नौकरीपेशा और दफ्तर जाने वाले लोग हैरान-परेशान अपने घरों में बैठे हुए हैं। जैसे-तैसे जुगाड़ करके हम दफ्तर पहुँचते हैं। छात्र कॉलेज नहीं जा पा रहे हैं पूरे देश की मशीनरी जाम है। दोपहर में खबर थी कि सरकार झुकने को तैयार नहीं, हड़तालियों को बर्खास्त किया जाएगा और पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति का काम सेना संभालेगी। दोस्तों, यह गंभीर बात है। हमें समझ नहीं आ रहा है लेकिन आप सोचिए कि कुछ हजार अधिकारियों और कर्मचारियों की जिद की वजह से हम किस कदर फँसे हुए हैं। ये हालत है हमारे देश की सरकार की। आज दिन में सोच रहा था कि ऐसे मौके पर कहीं कोई देश हमपर हमला कर दे तो क्या होगा...??? हम सब कहीं भागकर जान भी नहीं बचा पाएँगे। लड़ने वाले लड़ नहीं पाएँगे। सेना देश में पेट्रोल बाँट रही होगी। सीमाओं पर गाड़ियाँ कैसे पहुँचेगी..?? देश की बड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों के चंद अधिकारियों ने हजारों-हजार करोड़ रुपए का नुकसान कर दिया, हमारे देश को खतरे में डाल दिया और ये हड़ताली कह रहे हैं कि सरकार झुक नहीं रही। इन सब अधिकारियों और कर्मचारियों की पहचान करके उन्हें सख्त से सख्त सजा देनी चाहिए। इन मक्कारों के स्थान पर दूसरे लोगों को नौकरी देना चाहिए क्योंकि इस देश में करोड़ों जरूरतमंद और पढ़ेलिखे युवा बेरोजगार घूम रहे हैं। हमें इन तेल कंपनियों वालों को बताना चाहिए कि उनकी मर्जी से देश नही चलने वाला....इन आए दिन होने वाली हड़तालों से हमारे देश को मुक्ति मिलनी चाहिए नहीं तो किसी दिन इन छोटे कारणों से होने वाली हड़तालों के कारण हम बड़े स्तर पर खामियाजा भुगतने को मजबूर हो जाएँगे...। इस बार का सबक सरकार छाती से लगाए और दोषियों को सख्त से सख्त सजा दे नहीं तो इतिहास बता रहा होगा कि भारत उस लड़ाई में फलाँ देश से इसलिए हार गया क्योंकि वहाँ हड़ताल चल रही थी और सेना देश की सीमाओं पर तैनात रहने की बजाए अंदरुनी स्थिति संभाले हुए थी। आपका ही सचिन...।

1 comment:

sarita argarey said...

हटाए जाने की शुरुआत तो नेताओं से होना चाहिए । हर पांच साल में मौका मिलता है , मगर हम हैं कि सोए रहते हैं । अराजकता की शुरुआत वहीं से होती है । वैसे पेट्रोल मिल भी जाए तो भाग कर जाएंगे कहां ...? श्रीलंका ,पाकिस्तान ,बर्मा ,नेपाल अफ़गानिस्तान ,बांग्लादेश , भूटान,चीन यानी चारों ओर से घेराबंदी ।