January 24, 2009

डेली सोप्स और भारतीय महिलाएँ

एकता कपूर जैसे धारावाहिक निर्माता देश को बर्बाद कर रहे हैं
कुछ दिन पहले अपने एक रिश्तेदार के घर जाना हुआ, दोपहर का समय था इसलिए घर की महिलाएँ टीवी के सामने जमी थीं..थोड़ी देर मैं भी बैठ लिया....चूंकी मैं दोपहर में अमूमन घर के बाहर रहता हूं इसलिए टीवी पर आने वाले भयावह धारावाहिकों (डेली सोप्स) से बचा रहता हूं...लेकिन उस दिन कुछ देर टीवी के सामने बैठना पड़ा....देखता हूं कि धारावाहिक में खूब सजी धजी महिलाएं जहर उगल रही हैं......कुछ ही देर में दो-चार सुंदर चेहरे षडयंत्र रचते हुए दिखे....आदमी परेशान हो रहे हैं इन धारावाहिकों में.....चूंकी टीवी चैनलों को पता है कि दोपहर में महिलाएँ ही घर में रहती हैं इसलिए सारे डेली सोप्स महिला प्रधान होते हैं...वे ही पुरुषों को लीड करती हैं, षडयंत्र रचती हैं, पुरुषों को अपनी अंगुलियों पर नचाती हैं और डरावने रोल भी करती हैं....कुल मिलाकर घर-घर की कहानी के नाम पर एक डरावना खेल खेला जा रहा है जो हर रोज नियमित टीवी पर दिखाया जाता है....
तो बात कहने का प्लेटफार्म तैयार हो गया है....क्या हमारे देश की महिलाओं को अपना ज्ञान बढ़ाने की जरूरत नहीं है....डिस्कवरी की वैबसाइट पर जाइए...उसके कई प्रकार के चैनल्स हैं....मिलट्री, साइंस, हैल्थ, किड्स और ना जाने क्या-क्या...ठीक है आप कहेंगे कि महिलाएँ इन्हें देखकर क्या करेंगी...तो ट्रेवल एंड लिविंग है......लाइफस्टाइल है......उसका जनरल चैनल है......नेशनल ज्योग्राफिक सोसायटी के तमाम चैनल हैं...अच्छी बात है कि ये सब आपको अंटार्कटिका भी घर बैठे दिखा देंगे.....अब कोई ये कह सकता है कि इन सबको देखने से क्या फायदा...खासकर महिलाओं के लिए.....तो साहब जिस पृथ्वी पर हम पैदा हुए उसके बारे में थोड़ा देखने और समझने में बुराई ही क्या है....दुनिया के इतने देश...इतनी सभ्यताएँ....इतनी बोलियाँ...इतनी संस्कृतियाँ...क्या कुछ नहीं है देखने-समझने को......और इन धारावाहिकों में क्या हो रहा है....कई पति..कई-कई प्रमिकाएँ...अवैध संबंध इस कदर, की बूझो तो जानें....जिसे देखो महल जैसे घर में रह रहा है....जो परिवार तंगी वाला दिखाते हैं वो भी आलीशान घर में रह रहा मिलता है जबकि आम भारतीय को दो कमरे नसीब नहीं हो रहे हैं.......और कुछ नहीं तो ये सोप्स भारतीय महिलाओं को अपने पतियों पर शक करना और खुद की फरमाइशों को बढ़ाने के अलावा और कुछ नहीं सिखाते...
कोई कह सकता है कि क्या महिलाएँ इतनी बचकाना होती हैं जो यूं ही भड़क जाएंगी...वे तो मनोरंजन के लिए देख रही हैं....तो साहब जो चीज आपको लगातार कई घंटे कई साल तक रोज दिखाई जाती रहे उसका असर दिमाग पर होना तो अवश्यंभावी है....विज्ञान भी कहता है और मनोविज्ञान भी.....संगति का प्रभाव है.....एकता कपूर अपने सोप्स में कई मिसाल पेश करती मिल जाएँगी लेकिन असल जिंदगी में वो बददिमाग और घमंडी औरत है.....फिल्मों के सितारे फिल्मों में मिसाल पेश करते हैं.....प्यार की, ईमानदारी की और ना जाने किस-किस की.....लेकिन असल जिंदगी में इसे छोड़ा और उसे पकड़ा का खेल चलता रहता है....एक-एक, कई-कई से फ्लर्ट कर रहा है...तमाम शादियां हो रही हैं....ऐसे में इनको देख-सुनकर कोई कैसे अच्छा बना रह सकता है....मनोरंजन का जीवन में महत्वपूर्ण रोल है लेकिन यह तो शो-बिजनिस है...सिर्फ व्यापार...आप पर इसका क्या असर पड़ रहा है इससे किसी को मतलब नहीं...सब सिर्फ रुपया बना रहे हैं...
मुझे ऐसा लगता है कि घर में दोपहर को रुकने वाली महिलाएं माँ हैं जिन्हें अपने बच्चों को बहुत ऊंचाइयों तक ले जाना है....कहते हैं कि मां बच्चे की पहली शिक्षक होती है....अगर वे ज्ञान या कहें सकारात्मक ज्ञान प्राप्त करेंगी और उसे अपने बच्चों को देंगी तो निश्चित ही हमारे देश की आगे आने वाली पौध जोरदार होगी...ज्ञानवान होगी...इसलिए वे सिर्फ ये ना सोंचें कि वे घर में बैठकर और क्या करें... हो सकता है कि उनका बच्चा उनके ज्ञान से पोषित होकर दुनिया जीते.....शिवाजी बने..जैसा कि जीजाबाई ने उन्हें बनाया था..
आपका ही सचिन......।

2 comments:

Sudhanshu said...

एकता कपूर ने देश की महिलाओ को बिगारने का क्या नायाब तरीका निकाला है .. और वो है उनकी धारावाहिकें जिसमे सजी - धजी महिलाएं जहर उगल रही होती है .. घर फोरने के टिप्स देती है और न जाने क्या - क्या.. एक महिला के एक से जयादा पति और भी कैसे - कैसे सम्बन्ध.. और पुरूष परेसान रहते है .. और इन सब का असर आजकल की महिलाओ में देखने को मिलता है .

तरूश्री शर्मा said...

तुम हमेशा मोरल पुलिसिंग करते हो सचिन।