मित्रों, १९८० के दशक में एक किताब आई थी, उसका टॉपिक वही है जो मैंने इस लेख का रखा है यानी उत्तर आधुनिकतावाद और विखंडन का सिद्धांत...इस किताब में संसार के कई बड़े विचारकों के विचार थे, अलग-अलग देशों के समाज को लेकर...मसलन फ्रांस के देरदा उल्लेखनीय हैं क्योंकि उन्होंने कुछ बेहद ही सटीक बातें कही थीं जो आजकल हूबहू सही उतर रही हैं....
तो भाईयों इस किताब में था कि धीरे-धीरे संसार के सारे समाज ऐसा रूप धारण कर लेंगे कि वे किसी को बड़ा ही नहीं बनने देंगे यानी अब कोई बड़ा आदमी नहीं बन पाएगा...दूसरे शब्दों में आगे कोई भारत का नेता नहीं होगा...मध्यप्रदेश या उत्तरप्रदेश का नेता भी मुश्किल से ही कोई होगा....मतलब ये नेता किसी जाति विशेष का हो सकता है..मसलन यादवों का नेता उभर कर सामने आ सकता है ( आ भी रहा है), दलितों का नेता बन सकता है या किसी अन्य समुदाय या संप्रदाय विशेष का नेता बन सकता है लेकिन देश का नेता होना अब संभव नहीं जान पड़ता क्योंकि सामाजिक ढाँचा टिपिकल होगा और वो किसी को बड़ा बनने में सपोर्ट नहीं करेगा...।
तो दोस्तों उन सभी विचारकों ने १०० और २०० साल पहले ही यह अनुमान लगा लिया था कि दुनिया किस दिशा में जाने वाली है...?? वे जान गए थे कि भविष्य में टांग खिंचाई ज्यादा भयानक रूप धारण कर लेगी और तिकड़मी लोग ही आगे जा पाएँगे...नतीजा बड़े लोगों की सैकेण्ड लाइन तैयार ही नहीं हो पाएगी..आपके सामने कुछ उदाहरण रखना चाहूँगा.....
भारतीय साहित्य की बात करते हैं...पिछले कुछ वर्षों में कई बड़े लोग चले गए..निर्मल वर्मा चले गए...अमृता प्रीतम चली गईं...कमलेश्वर चले गए...त्रिलोचन जी चले गए...सब अपने जीवन के ७०, ८० और ९० के दशक में थे..अब थोड़े से कुछ बचे हैं...राजेन्द्र यादव हैं....नामवर सिंह जी हैं...केदारनाथ सिंह जी, काशीनाथ जी, रविन्द्र कालिया जी, दूधनाथ सिंह जी भी हैं...लेकिन अगले २० साल बाद कौन होगा...या कहें कि अगले दशक में ही कौन होगा..कोई सेकेण्ड लाइन ही नहीं है.....
ठीक ऐसा ही भारतीय राजनीति के साथ भी है...बड़े नेता बुजुर्ग हो चुके हैं और उनके बाद सेकेण्ड लाइन में परिवारवाद के पोषक ही सामने हैं..अपने बूते कोई बड़ा नेता बन जाएगा इसकी गुंजाइश कम ही है...ज्योतिरादित्य सिंधिया माधवराव जी के नाम पर खड़े हैं.....राहुल गाँधी क्या हैं बताने की जरूरत नहीं....मुलायम के बेटे हैं....मुरली देवड़ा के बेटे हैं और कांग्रेस की यंग किचन कैबिनेट में सभी बड़े नेताओं के बेटे-बेटियाँ ही हैं ऐसे में अपने बूते उठकर सामने आने वाला भला कौन नजर आ रहा है....??
कमोबेश ऐसी ही स्थिति लगभग सभी क्षेत्रों में है...तो यही विखंडन है और उत्तर आधुनिकता में यह होना भी सुनिश्चित है...तो जिस प्रकार आप और हम सूचना क्रांति को महसूस करते हैं, कि भई वाह पिछले दस सालों में क्या जबरदस्त क्रांति हुई है...सबकुछ बदल गया है...हवाईजहाज में बैठे हों या माउन्ट एवरेस्ट पर....आप दुनिया के संपर्क में रह सकते हैं और वो भी नितांत आसानी से....सब कुछ आपकी अंगुलियों की टिप्स पर है लेकिन जब बात सामाजिक परिवर्तन की होती है तो यह कई सालों में, दशकों में, बल्कि शताब्दियों में यह धीरे-धीरे होता है इसलिए हमें नजर नहीं आता या कहें कि हम समझ नहीं पाते.....
लेकिन मैं अपने सुधि भाईयों से यह अपेक्षा करता हूँ कि यह विखंडन हम जरूर देख-समझ रहे हैं....दुनिया की जिस टेढ़ी चाल को हम रोज कोसते हैं वही परिवर्तन है और शायद आपको और हमको इसे महसूस करना चाहिए क्योंकि इसका कयास तो काफी पहले ही लग चुका है....कई बार हमें इसे समझना चाहिए और इसके मजे भी लेना चाहिए कि हम इस बड़े वक्त के परिवर्तन के साक्षी बन रहे हैं। हालांकि यह वक्त लोगों के लिए उतना अच्छा नहीं होगा...रुपयों से जुड़ी तरक्की के लेवल पर हो सकता है लेकिन सैद्धांतिक और संस्कारित तौर पर तो नहीं ही होगा लेकिन फिर भी हमें इसमें जीना है....
आपका ही सचिन.....।
4 comments:
सबसे पहले तो नए ब्लॉग की बहुत बहुत बधाई...
आज पहली बार तुम्हारा यह ब्लॉग पढ़ा और इसमें भी उतनी ही आग दिखाई दी जितनी तुम्हारे हर लेख में होती है...
आधुनिकतावाद जब इंसानियत को टाक पर रख कर किया जाए तो निश्चित ही समाज, संसार का विघटन होगा..
तुम्हारे इन विचारों से पूरी तरह सहमत हूँ मैं.. चाहे राजनीती हो, साहित्य हो या कोई अन्य क्षेत्र.. जब तक हम अपने मूल सिद्धांतों को नहीं समझेंगे तब तक आगे नहीं बढ़ पायेंगे...
पर हाँ मूल सिद्धांतों का मतलब कुरीतियों से बिल्कुल नहीं है.. और हम इस बात से भी इनकार नहीं कर सकते कि कुछ क्षेत्रों में हमने वाकई में प्रगति की है...
एक बार फिर बहुत अच्छे ब्लॉग से परिचय कराने के लिए धन्यवाद....
हमेशा इस जज्बे को बनाये रखना...
अच्छा और विचारों से भरा लेख ...काबिले तारीफ ....आपके ब्लॉग का मैं स्वागत करता हूँ
तो क्या तुम मुझे और खुद को हर क्षेत्र की दूसरी पंक्ति में खड़ा नहीं पाते? क्या सचिन... तुम चिंता मत करो, मैं हूं ना!!
THANK YOU, I WILL USE YOUR THIS ARTICLE IN EXAM
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