December 01, 2008

राजनेता नहीं जानते कि करना क्या है..??




मुंबई आतंकी हमलों के बाद जैसे पूरे देश की जनता के दिलों में आग लगी हुई है। जो इन आतंकी हमलों को लेकर जरा भी नरमी दिखा रहा है वही जनता की गाली खा रहा है। फिर भले ही वो हमारे लिजलिजे पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटील (आज सुबह उनकी छुट्टी हो गई) हों, या महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देखमुख हों या वहाँ के पूर्व गृहमंत्री आर.आर पाटील (इनकी भी आज छुट्टी हो गई) हों। इतना ही नहीं भाजपा के मूर्ख नेता मुख्तार अब्बार नकवी ने भी मुंबई की जनता को अलगाववादी सरीखा कहकर आग में घी डाल दिया। अब उन्हें भी पूरे ब्लॉग जगत में गालियाँ पड़ रही हैं। इस दौरान मुल्ला मुलायम कहे जाने वाले समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव और वो बेवकूफ अमर सिंह भी गालियाँ खा रहे हैं जो हमेशा मुसलमानों या आतंकवादियों के मुद्दे पर एकपक्षीय बातें करने के लिए बदनाम हैं। लेकिन दोस्तों मेरा यहाँ ये कहना है कि सिर्फ कोसने भर से इस देश की जनता आखिर क्या कर सकती है...??? शायद जिस प्रकार हमारे देश के राजनेताओं और सरकार को यह नहीं पता कि आतंकवाद से निपटने के लिए करना क्या है, ठीस उसी प्रकार हम जनता को भी नहीं पता कि आखिर इन नेताओं से निपटने के लिए हमें भी आखिर करना क्या है...??? मैं अपनी बात को आपके सामने नीचे स्पष्ट कर रहा हूँ..।।
दोस्तों, हमारे देश पर हमला हुआ....हमारी जान जल गई, खून खौल उठा, लेकिन इस देश के मुख्य फैसले इस वक्त जिस महिला के हाथों में हैं उसके साथ बिल्कुल ऐसा नहीं हो सकता। वो एक इटालियन महिला है, यानी विदेशी महिला है और उसे कतई ये महसूस नहीं हो सकता कि हमारे दिल पर इस समय क्या बीत रही है। मैं बात को इस तरह से जस्टिफाई कर सकता हूँ कि भारत से अमेरिका गए कुछ परिवारों को मैं जानता हूँ जिन्हें वहाँ बसे हुए तीन दशक हो चुके हैं लेकिन अभी भी वे अपने को भारतीय ही मानते हैं। इसी प्रकार सोनिया अभी तक भारत की कितनी हो पाई हैं इसका मैं पूरी तरह दावा नहीं कर सकता। दूसरे, आज ही दोपहर को मैं नेशनल जियोग्राफिक चैनल पर अमेरिका पर ९ सितंबर २००१ को हुए हमले पर एक विस्तृत डोक्यूमेन्ट्री देख रहा था। इसमें उन्होंने उस हमले के प्रमुख आरोपियों की पूरी खोज रिपोर्ट दिखाई और बाद में अमेरिका द्वारा की गई कार्रवाई का भी विस्तृत ब्यौरा दिया। उसे देखकर मुझे लगा कि भारत वैसा कुछ भी करने में सक्षम नहीं है। जहाँ अमेरिका ने उस हमले के दो सप्ताह के भीतर अफगानिस्तान पर हमला बोल दिया था वहीं हम अपने देश के ठीक बगल से चल रहे आतंकी शिविरों का भी कुछ नहीं उखाड़ पा रहे जो पाक अधिकृत कश्मीर में हैं कोई बहुत दूर नहीं। जबकि यहाँ से पिछले दो दशकों में भारत में सैकड़ों आतंकी वारदातें हुई हैं जिनमें हमारे देश के एक लाख से भी ज्यादा निर्दोष नागरिक तथा ३० हजार से भी ज्यादा सेना के जवान मारे गए हैं। जबकि आमने सामने की लड़ाई में हमें इतना नुकसान कभी नहीं उठाना पड़ता। उल्लेखनीय है कि मुंबई में कहर बरपाने वाले आतंकियों ने भी पाक अधिकृत कश्मीर में लश्कर-ए-तोइबा के कैम्पों में ही प्रशिक्षण लिया था और यहाँ आने से पहले वहाँ युद्धाभ्यास भी किया था।
तो भारत ऐसा कर पाएगा, इसमें मुझे शक है क्योंकि इस देश की सरकार का रिमोट जिसके हाथ में है वो महिला बेहद लिजलिजे लोगों को पसंद करती है। उसने प्रतिभा ताई पाटील को इस देश का राष्ट्रपति बनवाया जिनकी योग्यता सिर्फ इतनी सी है कि इमरजेंसी के टाइम पर ताई ने सोनिया को खाना बनाना सिखाया था और इंदिरा गाँधी के घर की किचन संभाली थी। आतंकी हमलों के समय हमारी राष्ट्रपति सरकारी दौरे पर विदेश घूम रही थीं जबकि उन्हें किसी भी देश में जाने या ना जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता। भारत का राष्ट्रपति सिर्फ सैर-सपाटा ही कर सकता है और निर्णय नहीं। सोनिया ने प्रधानमंत्री एक ऐसे आदमी को बनाया जो अर्थशास्त्री है लेकिन प्रधानमंत्री होने लायक नहीं, क्योंकि वो सबके आगे गिड़गिड़ाता रहता है। और देश की दूसरे नंबर की पोजीशन यानी गृहमंत्री एक ऐसे आदमी को बनाया जो कपड़े बदलने में ज्यादा रुचि रखता था, और बकौल संप्रग के ही एक सहयोगी मंत्री के, वो देश के गृहमंत्री कम और पशुपालन मंत्री ज्यादा लगते थे जिनको सुनकर ही पता चल जाता था कि इस व्यक्ति से कुछ नहीं हो सकता। हमने उस लिजलिजे और कोमल व्यक्ति को पूरे साढ़े चार साल झेला और मात्र ६ महीने पहले और तमाम घाव सीने पर देने के बाद कांग्रेस को नैतिकता याद आई और वो इस्तीफे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है। धिक्कार है ऐसी सरकार और ऐसे राजनेताओं के ऊपर जो ना हमें आतंकियों से बचा सकते हैं और ना ही नैतिकता का पाठ सिखा सकते हैं। बात अभी खत्म नहीं हुई है दोस्तों......जल्द ही इसकी अगली कड़ी..।।
आपका ही सचिन....।

2 comments:

तरूश्री शर्मा said...

तुम गजब फ्रीक्वेंटली लिखते हो.... मेरे लिए तो पढ़ना मुश्किल हो जाता है। सोचती हूं तुम्हारे लिए लिखना इतना आसान कैसे है और वो भी इतनी लम्बी लम्बी पोस्टें। काम को बीच में से समय निकालकर तुम्हारे लिखने के जज्बे को सलाम है बॉस।

तरूश्री शर्मा said...

शर्म इन्हें फिर भी मगर नहीं आती। इतनी मोटी चमड़ी के हो गए हैं कि जनआक्रोश के छींटे झेल रहे हैं और इस्तीफों से धोने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन एक बात तो तय है सचिन...ये सुधरेंगे नहीं।