December 24, 2008

आखिर कैसी होती है सेक्युलर शादी..??

ऐसी शादियों के मामले में एक धर्म नरम है दूसरा गरम
आज सुबह एक खबर पढ़ी। हालांकि मामला काफी पुराना है लेकिन आज सामने आया तो सोचा कुछ बातें आप लोगों के साथ शेयर करूँ। खबर कलकत्ता की थी।... कि प्रियंका तोड़ी के प्रेमी और बाद में बने पति रिजवान उर रहमान के हत्याकांड के मामले में प्रियंका के पिता अशोक तोड़ी के छोटे भाई की जमानत याचिका खारिज हो गई है। इस केस से मुझे याद आया कि कैसे उस रिजवान उर रहमान ने कलकत्ता के हाई प्रोफाइल बिजनेस मैन अशोक तोड़ी के घर में हाथ मारा था और उनकी बेटी प्रियंका तोड़ी से बहला-फुसला कर शादी कर ली थी। प्रियंका भी आम हिन्दू लड़कियों की तरह रिजवान के बहकावे में गई थी जो उसका कम्प्यूटर शिक्षक था। इस बेमेल शादी के बाद अशोक तोड़ी ने रिजवान की हत्या करवा दी। हालांकि मामला बहुत उछला लेकिन मुझे इसमें कुछ अलग एंगल नजर आते हैं।
रिजवान की प्रियंका से शादी के बाद हत्या कर दी गई। इस मामले पर पूरे पश्चिम बंगाल के मुसलमान एक हो गए और उन्होंने कलकत्ता समेत जगह-जगह पर रैलियाँ निकालकर कहा कि ये एक प्रेम विवाह था। अपना प्रेम चुनने का हक सभी को है। अपने प्रेम से शादी करने का हक भी सभी को है। रिजवान को मारना गलत था। दोषियों (प्रियंका के पिता जिन्होंने अपनी लड़की को पढ़ा-लिखाकर बड़ा किया ताकि वो एक टुच्चे कम्प्यूटर शिक्षक मुस्लिम लड़के के साथ भाग जाए) को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए आदि-आदि। दोस्तों, बंगाल के मुस्लिम समाज ने उस समय प्रेम को लेकर कई बातें कहीं। मामले की सीबीआई जाँच चली, अब मुकदमा कोर्ट में है। लेकिन मैं यहाँ कहना चाहता हूँ कि मैंने अपने ३१ वर्ष के जीवन में आजतक कोई ऐसा प्रेम विवाह नहीं देखा जिसमें लड़का गरीब हिन्दू हो और लड़की करोड़पति मुस्लिम घराने की हो। इतना ही नहीं मैंने आजतक ऐसा प्रेम विवाह भी नहीं देखा जिसमें लड़का अमीर हिन्दू हो और लड़की गरीब मुसलमान। मैंने तो आज तक दोनों गरीब भी नहीं देखे, यानी गरीब हिन्दू लड़का और गरीब मुसलमान लड़की ने शादी की हो। लेकिन इन्हीं तीनों कॉम्बिनेशन्स में मैंने इस जोड़ को उलटा हजारों बार देखा है। मेरे ही कई मुसलमान मित्रों, प्रोफेसरों और अन्य पेशे से सरोकार रखने वालों (मुसलमानों) को भी मैंने हिन्दू लड़कियों से विवाह करते हुए देखा है और जाहिर है कि वे भागकर किए गए प्रेम विवाह होते थे और ऐसा करने वाले ज्यादातर मुसलमान युवक या आदमी जिन्दा बचे हुए थे क्योंकि हरेक हिन्दू लड़की का पिता प्रियंका तोड़ी के पिता की तरह दुस्साहसी नहीं होता।
अब तस्वीर का दूसरा रुख भी देख लीजिए। मेरे सामने कई ऐसे उदाहरण हैं कि कोई हिन्दू लड़का मुस्लिम लड़की को लेकर भागा और बाद में लड़की के घरवालों ने या तो उस लड़के को जान से मार डाला और कई बार साथ में धर्म का नाम खराब करने वाली उस लड़की को भी जान से मार दिया। ऐसे उदाहरण हजारों हैं। कुछ समय पूर्व कुक्षी (धार) में ऐसा ही केस सामने आया था जब एक मुसलमान लड़की से एक हिन्दू लड़के ने शादी कर ली। जब काफी बुलाने के बाद भी वो भूमिगत जोड़ा सामने नहीं आया तो लड़की के घरवालों ने यह कहकर उसे अपने हिन्दू पति के साथ बुलाया कि वो इस शादी को स्वीकार करते हैं और इसके लिए एक समारोह करना चाहते हैं। इन बातों में आकर जब वो भोला युगल लड़की के घरवालों के पास गया तो लड़के और लड़की दोनों को कई टुकड़ों में काट दिया गया। ऐसे मामलों के इतर दूसरे मामले इस तरह से हैं, कि हिन्दू लड़कियाँ मुस्लिम लड़कों के साथ शादी करने के बाद अपना धर्म बदलकर इस्लाम कर लेती हैं...लेकिन अगर कोई हिन्दू लड़का किसी मुस्लिम लड़की के साथ शादी करता है तो या तो वो अपना धर्म बदलकर इस्लाम करता है या फिर मार दिया जाता है।
दोस्तों, मैं मूल रूप से आगरा का रहने वाला हूँ। वो भी ठेठ मुस्लिम इलाके का। मैंने इन सब बातों को बहुत पास से देखा-समझा है। शुरू में तो मैं समझता रहा कि ये (मुस्लिम लड़का-हिन्दू लड़की) सेक्युलर शादी है लेकिन बाद में समझ आया कि इन सेक्युलर शादियों में लड़की हमेशा हिन्दू धर्म की होती है और मुस्लिम लड़की होना यानी लड़की या लड़के में से किसी एक की हत्या होना अवश्यंभावी है। मेरे एक परिचित मुस्लिम ने तो इन बातों पर कहा कि हाँ, ये सही है कि मुस्लिम लड़का किसी हिन्दू या अन्य किसी धर्म की लड़की से शादी कर सकता है लेकिन हम अपनी लड़की किसी को दें, ये असंभव है, ऐसा तो शरीयत में लिखा ही नहीं है।
दोस्तों, हमारे देश के महान (?) धर्मनिरपेक्ष लोग उक्त सेक्युलर शादियों के पक्षधर होते हैं लेकिन वो भी किसी ऐसी शादी का पक्ष लेते हुए मुझे आज तक नहीं दिखे जिसमें लड़का हिन्दू और लड़की मुस्लिम हो। ठीक उसी तरह जैसे मैंने हजारों ऐसे कम्युनिस्ट हिन्दू देखें हैं जो अपने धर्म को गाली देते हैं लेकिन आज तक एक भी ऐसा मुस्लिम कम्युनिस्ट नहीं देखा जो इस्लाम के खिलाफ कुछ बोलता हो। मैंने एक भी ऐसा हिन्दू कम्युनिस्ट भी नहीं देखा जो इस्लाम के खिलाफ बोल पाता हो...क्योंकि वो जानता है कि हमारे धर्म को गाली देने से उसका कुछ नहीं होगा लेकिन इस्लाम के खिलाफ कुछ भी बोला तो वो अपनी गली के नुक्कड़ पर मार दिया जाएगा। ऐसे सेक्लुलर लोगों के लिए हिन्दू धर्म ही ठीक है क्योंकि वे मुसलमान होकर ना तो किसी सेक्युलरिज्म की बात कर पाएँगे और ना ही किसी सेक्युलर शादी को अंजाम दे पाएँगे। लेकिन हम ऐसे सेक्युलरों से कैसे पार पा पाएँगे ये हम नहीं जानते क्योंकि ये दुर्लभ प्रजाति तो पूरे संसार में सिर्फ हमारे देश में ही पाई जाती है, और वो भी बहुतायत में......!!!!!!
आपका ही सचिन....।

7 comments:

hem pandey said...

हिन्दुस्तान के सेकुलरिज्म और हिन्दुस्तानी कम्युनिस्टों के बारे में आपने खरी बात की है. वास्तव में इन दोनों (हिन्दुस्तानी सेकुलेरिस्ट और हिन्दुस्तानी कम्युनिस्ट ) ने हिन्दुस्तान का काफी नुक्सान किया है. लेख के लिए साधुवाद.

ss said...

हिंदुस्तान (इंडिया) में सेकुलर शब्द गाली बन चुका है|

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

शादी किसी भी लडके या लडकी की हो पर अंततः उसे मुसलमान बनना पडता है या फिर उसे मार-पीट कर मुसलमान बना दिया जाता है और यह बात एक कहावत की तरह प्रयोग में भी आती है- ‘मार-कूट के मुसलमान बना दिया’

Prakash Badal said...

ये कैसी घृणा की नदी तेरे मेरे बीच।

है एक पुल की कमी तेरे मेरे बीच।


इस मेरे एक शेर के साथ आप का स्वागत है।

Neeraj Rohilla said...

आपके लेख के साथ असहमति है ।

mangilaljain said...

आपकी बात पूरीतरह सत्य है.

Unknown said...

आपने सही विश्लेषण किया है. पर हिंदू औए मुसलमान में शादी हुई, ऐसा कहना ग़लत है. कोई मुसलमान कभी किसी हिंदू से शादी नहीं करेगा. यह उनके मजहब में जायज ही नहीं है. शादी हमेशा मुसलमान और मुसलमान के बीच होती है. जिन शादियों की बात की जा रही है, उनमें पहले हिंदू मुसलमान बनता है तब उसकी किसी मुसलमान से शादी होती है. और जब वह हिंदू हिंदू ही नहीं रहा तो किस बात की शिकायत?

हिंदू माता-पिता ने जन्म दिया, पाल पोस कर बड़ा किया, पर बेटे या बेटी को प्रेम हो गया. इस प्रेम के होते ही उनका माता-पिता से प्रेम का नाता टूट गया. एक प्रेम ने दूसरे प्रेम की हत्या कर दी. हिंदू माता-पिता को इसे पूर्व जन्मों के पाप का फल समझ कर भूल जाना चाहिए. हिंसा करना अगले जन्म में फ़िर से इस सजा की तैयारी कर देना है.