December 06, 2008

पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें घटाने के पीछे भी चतुरपन



इस फैसले के पीछे भी राजनीति


देश के पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव हाल ही में खत्म हुए हैं। जम्मू-कश्मीर में चुनावों के दो चरण अभी बाकी हैं। ऐसे मौके पर केन्द्र सरकार ने शुक्रवार को पेट्रोलियम उत्पादों में कीमत कम कर महंगाई से जूझ रही जनता को राहत प्रदान की है। हालांकि इस घोषणा की अपेक्षा काफी पहले से थी परंतु केन्द्र ने शुक्रवार को पेट्रोल की कीमत में ५ रुपए और डीजल की कीमत में २ रुपए कमी करने की घोषणा की। लेकिन इस घोषणा के बाद भी जनता के चेहरे पर उतनी खुशी नहीं आएगी। गुरुवार को ही सरकारी सूत्रों ने संभावना जताई थी कि केन्द्र पेट्रोल पर १० रुपए, डीजल पर ३ रुपए और रसोई गैस (एलपीजी) सिलेंडर पर २० रुपए घटाने की सोच रहा है। फिर एक दिन बाद ही अचानक ऐसा क्या हो गया कि केन्द्र ने यू कंजूसी बरती। पेट्रोल पर १० की जगह ५ रुपए और डीजल पर ३ की जगह २ रुपए ही घटाए गए। भारतीय गृहणियों की रसोई को इस राहत से दूर रखा गया और रसोई गैस तथा कैरोसीन की कीमत में कोई कटौती नहीं की गई। जबकि जनता इसकी पूरी आशा कर रही थी।केन्द्र सरकार ने इस वर्ष जून में जब पेट्रोल उत्पादों में मूल्य वृद्धि की थी जब कच्चे तेल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में १४७ डॉलर प्रति बैरल थे और उनके बढ़ने की संभावना जताई जा रही थी लेकिन पिछले पाँच माह से ये निरंतर गिर रहे हैं। शुक्रवार को ये अपने निम्नतम स्तर यानी ४२ डॉलर प्रति बैरल पर पहुँच गई। मतलब जून से अभी तक कच्चे तेल के दामों में १०५ डॉलर प्रति बैरल की गिरावट दर्ज की गई है। ये गिरावट ७० प्रतिशत से भी ज्यादा है। इस गिरावट से देश की पेट्रोलियम कंपनियाँ नवंबर से ही मुनाफा कमा रही हैं। विश्लेषक मान रहे हैं कि कच्चा तेल अभी और गिरेगा और ४० डॉलर प्रति बैरल तक पहुँचेगा। लेकिन केन्द्र ने ७० प्रतिशत से अधिक की गिरावट के बाद भी आम जनता को मात्र ५-१० प्रतिशत की राहत दी। उस पर भी आम लोगों के तेल कैरोसीन और भारतीय गृहणियों की रसोई गैस को राहत से बाहर रखा। किचन के बजट में रसोई गैस का योगदान महत्वपूर्ण होता है। पिछली बार जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत बढ़नी शुरू हुई थी उससे पहले वह ६० से ६५ डॉलर प्रति बैरल के बीच झूल रहा था लेकिन वर्तमान आँकड़ा उससे भी कम है। हालांकि केन्द्र ने जनता को आश्वासन दिया है कि अगर कच्चे तेल की कीमतें इसी स्तर पर स्थिर रहती हैं तो उसे अधिक राहत प्रदान की जाएगी। लेकिन कई तरह के हमलों से घिरी केन्द्र सरकार की यह सोच भी राजनीतिक है। एक समय महंगाई दर जहाँ उछलकर १३ फीसदी के आस-पास पहुँच गई थी वहीं अब यह ८ फीसदी के आसपास आ गई है। केन्द्र सरकार की योजना है कि मार्च २००९ तक महंगाई दर ४ फीसदी के आसपास पहुँचाई जाए क्योंकि मई में लोकसभा चुनाव होंगे। सरकार जानती है कि इस समय महंगाई बहुत बड़ा मुद्दा है और देश की जनता सरकार के फैसलों को जल्दी भूलती है। इसलिए उसने रसोई गैस और कैरोसीन को राहत से बाहर रखा। पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में अधिक कटौती के लिए केन्द्र राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों पर गौर करेगा और उसके बाद फरवरी में उस पर निर्णय लेगा। तब तक लोगों को अपने घर में अपेक्षा से अधिक महंगी रोटी खानी होगी और सड़क पर महंगे पेट्रोल से ही गाड़ियाँ चलानी होंगी।
आपका ही सचिन....।

1 comment:

तरूश्री शर्मा said...

महंगी रोटी खानी पड़ेगी, गाड़ी चलानी महंगी पड़ेगी।
सही कह रहे हो सचिन,
ये राजनीति का खामियाजा है...जनता ही तो भुगतेगी। महंगी रोटियां तो यूं भी खानी पड़ रही हैं....आंकड़े बता रहे हैं लगातार तीसरे हफ्ते महंगाई घट रही है, लेकिन कहां...आम आदमी को क्यों पता नहीं चल पा रहा है।