सुनकर खड़े हो जाएँगे रोंगटे
दोस्तों, किसी के मन में हमारे लिए क्या है ये बात हमारे मुंह पर कभी नहीं कही जाती। लेकिन पीठ पीछे ऐसी बातें होने से सच्चाई का पता चल जाता है। भारत या कहें हिन्दुस्तान के बारे में इस्लाम और पाकिस्तान की सोच क्या है ये हमें उन्हीं के मुंह से पता चल सकता है और वो भी तब जब वो आपस में हमारे बारे में बातें कर रहे हों। इसी प्रकार का वाक्या कुछ दिन पहले हुआ। यू-ट्यूब पाकिस्तान के कुछ इतिहासकारों और इस्लामिक विद्वानों के भारत के बारे में विचार दिखा रहा था। ये वीडियो एक पाकिस्तानी चैनल पर चल रहे एक प्रोग्राम की रिकार्डिंग थी। ये चर्चा वर्तमान में चल रहे भारत-पाक के बीच तनाव को लेकर थी। पुराने युद्धों को लेकर भी थी जो आजादी के बाद लड़े गए। हालांकि मैं उन पाक इतिहासकारों और इस्लामिक विद्वानों के नाम भूल रहा हूँ लेकिन मैंने जितनी बातें सुनीं वो रोंगटे खड़ी करने वाली थीं। उन लोगों की भयंकर सोच को जाहिर करने वाली थीं। मैं उन्हें हूबहू यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ...उसके बाद आपके सामने अपने मन के कुछ विचार रखूँगा।
चर्चा में भाग ले रहे एक मुस्लिम इतिहासकार का भारत के इतिहास और हिन्दुओं के ऊपर कमेन्ट देखिए.......ये हिन्दू कौम बिल्कुल डरपोक कौम है। मुसलमानों के अधीन रहने वाली कौम है। ना जाने इस समय ये इतनी दम कहाँ से दिखा रहे हैं। हमने भारत और वहाँ रहने वाले हिन्दुओं पर ९०० (नौ सौ) साल राज किया। इन ९०० सालों में ये हिन्दू हमारे अधीन या कहें हमारी गुलामी में रहने के इस कदर आदी हो गए थे कि इन्हें इस्लाम के अलावा और कुछ अच्छा लगता ही नहीं था। इनमें से कई हिन्दुओं ने तो हमारी भाषा अरबी-फारसी और उर्दू भी सीखी। कई हिन्दुओं ने अपने घरों में अपने बच्चों के लिए इन भाषाओं को पढ़ाने का इंतजाम किया था। इसके लिए मौलवी लगवाए जाते थे। कई हिन्दू अपने बच्चों को पढ़ने के लिए मदरसों में भी भेजते थे। हमारा तो ये कहना है कि हिन्दुओं को बिगाड़ा तो सिर्फ अंग्रेजों ने....उन्होंने इनकी आदत बिगाड़ कर रख दी। १८५७ के गदर में भी अंग्रेजों के खिलाफ जब हिन्दुओं ने खड़े होने की सोचा तो उन्हें एक मुसलमान राजा की जरूरत महसूस हुई। उसके बिना उनका काम चल ही नहीं सकता था। तो उन्होंने उस बहादुर शाह जफर को अपना राजा बनाया जो ठीक से खड़ा भी नहीं हो पाता था। जफर के राजा बनते ही हिन्दुओं में जान आ गई। उन्हें एक मुसलमान राजा की जरूरत थी जो उनपर राज कर सके। इससे उन्हें शक्ति मिलती थी। हालांकि उस गदर में हिन्दुओं के कुछ राजा जैसे तात्या टोपे और एक रानी (लक्ष्मीबाई) भी शामिल थीं लेकिन फिर भी उन्हें एक मुसलमान राजा की जरूरत थी फिर भले ही वो चल ही क्यों ना पाता हो।लेकिन इन हिन्दुओं में कोई एक आचार्य चिनक्य (चाणक्य की एक बड़ी सी तस्वीर सामने आती है) भी हुआ था। ये बड़ा ही बदमाश आदमी था। इसने हिन्दुओं को पीठ के पीछे से वार करना सिखाया था। इसके समय जो भी हिन्दू राजा लड़ाइयाँ जीतने में कामयाब हुए वो सभी पीछे से वार करने से ही जीत पाए। हालांकि यह सब इस्लाम आने के बहुत पहले की बात है। बाद में तो पीछे से वार करने की स्ट्रेटेजी भी नहीं चली हिन्दुओं की। तो हमारे ९०० साल राज करने के दौरान ही ये अंग्रेज हिन्दुस्तान में आ गए। ये जानते थे कि उन्हें इन दब्बू हिन्दुओं से तो कोई डर है नहीं, उन्हें जब भी खतरा होगा तो मुसलमानों से ही होगा क्योंकि सिर्फ मुसलमान ही इन्हें मारकर भगा सकते थे इसलिए इन्होंने मुसलमानों को पीछे करने के लिए इन हिन्दुओं को बढ़ावा देना शुरू किया। हिन्दुओं ने इस मौके को लपक लिया क्योंकि ये वफादारी नहीं जानते। अंग्रेजों ने इन्हें सरकारी नौकरियों और अन्य सभी महत्वपूर्ण जगहों पर स्थापित किया और अंत में जाते-जाते ये हिन्दुस्तान भी इन्हें दे गए जबकि इन्होंने ये मुल्क लिया हमसे था। हमारी इसी बात की लड़ाई है कि जिस सरजमीं पर हमने ९०० साल राज किया उसे इन हिन्दुओं को क्यों सौंपा, और हमें पाकिस्तान जैसा एक टुकड़ा देकर अंग्रेजों ने सोचा कि हम संतुष्ट बैठ जाएँ। ये कैसे संभव है...??
दोस्तों, ये सारी बातें उन पाकिस्तानी इतिहासकारों ने कहीं। इन बातों से हमें ये पता चलता है कि कोई मुसलमान या पाकिस्तानी हमारे और हमारे धर्म के लिए क्या सोचता है...क्योंकि ये सारे लोग विद्वान (?) थे। इस बीच हालांकि वे एक भी बार नहीं कबूले कि अंग्रेजों ने उन्हें कैसे धुन कर रख दिया लेकिन हम ये समझ लें कि भारत में हमें जो ये पढ़ाया जाता है कि अंग्रेजों ने हमें गुलाम बनाकर २०० साल तक रखा तो हमें ये भी पढ़ाया जाना चाहिए कि मुसलमानों ने हमें ९०० सालों तक गुलाम बनाकर रखा, क्योंकि वो लोग ऐसा ही मानते हैं। अगर अंग्रेज आंक्राता थे तो मुगल भी आक्रांता थे। हमें ये भी पढ़ाना चाहिए कि हम मुसलमानों की गुलामी से निकलकर अंग्रेजों की गुलामी में गए और ये भी कि दोनों ही गुलामी थीं लेकिन अंग्रेजों का शुक्रिया कि उन्होंने हमें सत्ता सौंपी नहीं तो सत्ता लेने के मूड में तो यही लोग दिख रहे थे। और आखिर में ये कि अगर हम अपने घटिया नेताओं के चलते इस बार अगर अपनी आजादी खोते हैं तो फिर से बात १००० सालों के लिए जाएगी.....हमारी कई पीढ़ियाँ गुलाम बनकर जिएँगी...क्या आपको ये मंजूर है...??
आपका ही सचिन.....।
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7 comments:
दोस्त मुझे ख़ुशी है की आप इन विचारो का प्रतिकार खुले मंच से करने की हिम्मत रखते हो और ये हिम्मत तमाम हिन्दू राजनीतिक दिखाते तो आज हिंदुस्तान हिन्दुश्थान होता या हिन्दू राष्ट्र होता.
एक ऐसे ही कार्यक्रम का वीडियो आप यहाँ देख सकते हैं.
हमने हजार साल गुलामी भोगी है, और पाकिस्तान के इतिहासकार ने कितना गलत कहा है? क्या हमने मुसलमानों की गुलामी नहीं की? उन्हे अपनी बहू-बेटियाँ नहीं दी? हमने अंग्रेजो के तलवे नहीं चाटे? अगर अंग्रेज नहीं आते तो मुस्लिम शासक ही नहीं होते?
आप पाकिस्तान के इतिहासकारों की बात करते है, भारतीय इतिहासकार क्या कम हैं? उन्होंने डो. रामविलास शर्मा जैसे विद्वान को अपने खेमे से निकाल बाहर किया जब वे यह स्थापित कर रहे थे कि आर्य ही भारत की संतान है न कि कहीं अन्य प्रदेश से आए। त्रिलोचन जैसे विद्वान जनकवि को पद से हटा दिया जब वे इन इतिहासकारो और साहित्यकारो के विचार से सहत नहीं हुए।.... क्या क्या उदाहरण है हमारे इतिहासकारो और गुटबाज़ साहित्यकारों के! तो फिर, अन्य देश के लोगों को क्यों इल्ज़ाम दें जिनका पेशा ही हमारी संस्कृति को बट्टा लगाना है।
आप सब लोगों की उत्साहवर्धक बातों के लिए शुक्रिया..। मैं अपने रोजाना के कामों में बहुत तरह की बातें महसूस करता हूँ..उनको आप लोगों के साथ शेयर भी कर लेता हूँ। आज फिर से एक रोचक वाक्या हुआ। इस बार मेरे सामने जो सज्जन थे वो गाँधीवादी थे। उनके सामने भी इत्तेफाक से एक मुस्लिम बैठा था। मैं भी सामने था। उनकी बीच चली रोचक बातें भी आप पढ़ें। मुझे तो सुनकर लग रहा था कि साक्षात गाँधी ही मेरे सामने बैठे हैं। आप निर्णय करिएगा।
janaab unhone bhadkaane aur bahkaane ke liye bola...hum lage bahakne aur bhadakne
mujhe to nahi lagta ki hain bhi ye hindu muslim soch rakhne ki ab zaroorat hai...achha khaasa civilised secular state hai..jaise kisi islamic vidvaan ne kaha hai kai hindu vidvaan bhi aisa kuch kuch kehte honge(youtube pe to mahaaraaj shayad hi kuch ho jiska vdo na mil jaaye)...
to bas pyaar rehne dijiye do kaum ke beech...is behtar bhavishy ke liye bhoot ki kuchh baato ko nazar andaaz karna ho to ye bhi koi kamzori nahi :)
http://pyasasajal.blogspot.com/2008/12/blog-post_23.html
meri is baare mein jo soch hai wo kuch kuch in panktiyo mein zaahir hogi...gaur farmaaiye :)
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