December 16, 2008

आतंक के खिलाफ ये कैसी तैयारी!

संघीय जाँच एजेंसी को मंजूरी, लेकिन राज्यों का क्या होगा??

दोस्तों, आप में से किसी को भी लग सकता है कि मैं कांग्रेस या सत्ता में आसीन यूपीए सरकार को आतंकवाद के मुद्दे पर कोसता रहता हूँ। लेकिन सिर्फ ऐसा नहीं है। जो लोग मुझे पहले से पढ़ रहे हैं वे जानते होंगे कि जब भाजपा का शासन काल था और उसमें संसद पर हमला हुआ था तब मैंने भाजपा को खूब कोसा था। कंधार विमान अपहरण मामले में भी एनडीए सरकार के लचर रवैए को कोसा था। लेकिन तब चूँकी ब्लॉग नहीं थे इसलिए मुझे पत्र-पत्रिकाओं का सहारा लेना पड़ता था। अब ये इंटरनेशनल सहारा है। लेकिन कांग्रेस से मेरे चिढ़ने की एक वजह ये है कि ये उन जगहों पर माइल्ड हो जाती है जहाँ इसे बिल्कुल नहीं होना चाहिए।बकौल इंडियाटुडे यूपीए सरकार के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा था कि संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरू को केन्द्र ने फाँसी इसलिए नहीं दी क्योंकि उसे डर था कि इससे एक समुदाय विशेष की भावनाओं को ठेस पहुँचती॥। वाह, बहुत खूब सोच है यूपीए सरकार की। इस सरकार को ये क्यों लगा कि अफजल जैसे आदमी को फाँसी दी गई तो इस देश के मुस्लिम नाराज हो जाएँगे। इतना ही नहीं कांग्रेस को यह भी लगता है कि अगर किसी भाजपा (या एनडीए) शासित राज्य को आतंकरोधी कानून की मंजूरी दे दी गई तो वो राज्य के सारे मुसलमानों को पकड़कर जेल में ठूँस देगी। अरे भाई, ऐसा नहीं होता....क्यों एक समुदाय के लिए पूरे देश की सुरक्षा को तार-तार किया जा रहा है। खबर मिली कि सोमवार रात केन्द्र सरकार की कैबिनेट ने आतंक के खिलाफ संघीय जाँच एजेंसी बनाने के लिए हरी झंडी दे दी है। अब मामला संसद में जाएगा। हम भी तो यही कह रहे थे लेकिन तब मामला समझ नहीं आ रहा था। अब जब घाव लगा है तो आह कर रहे हैं। लेकिन सिर्फ इतने भर से क्या होगा....राज्यों को भी आतंकवाद से लड़ने के लिए नाखून और दाँत देने होंगे। यूपीए सरकार ने राज्यों को किसी प्रकार आंतकवाद के खिलाफ लड़ने से बाँध रखा है जरा इसकी बानगी देखिए....केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों के अपराध निरोधक कानूनों को मंजूरी देने में सुस्त रवैया अपना रखा है। पाइन्टवाइज देखिए..
गुजरात- गुजरात संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक राज्य विधानसभा ने पारित किया था और २००३ में विधेयक के मसौदे को केन्द्र सरकार ने मंजूरी दी थी। यूपीए सरकार के सत्ता में आने के बाद जून, २००४ से यह राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।
राजस्थान- राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक को मंजूरी के लिए जनवरी, २००६ में भेजा गया। केन्द्र की आपत्तियों के बाद विधेयक में संशोधन किए गए। इसमें संदिग्ध को हिरासत में लेने का प्रावधान है। गिरफ्तारी एसपी रैंक के अधिकारी के लिखित आदेश पर।
उत्तरप्रदेश- हाईकोर्ट के निर्देश पर मायावती सरकार ने राज्य में आतंकवाद और माफिया को रोकने के लिए उत्तरप्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक पेश किया। यह विधेयक राष्ट्रपति की राह देख रहा है।
मध्यप्रदेश- आतंकवादी एवं उच्छेदक गतिविधियाँ तथा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक का मसौदा पिछले साल से केन्द्र की मंजूरी की बाट जोह रहा है। किसी राज्य सरकार द्वारा पारित सभी आपराधिक कानूनों के लिए मंजूरी जरूरी है।
आंध्रप्रदेश- चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली सरकार ने २००१ में ही आंध्र प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक का मसौदा राज्य की विधानसभा से पारित करवाया था। लेकिन इस विधेयक को २००६ से ही केन्द्र सरकार की मंजूरी का इंतजार है।
आपने बानगी देखी...आज सुबह जब इस मुद्दे पर टीवी देख रहा था तो देश की एक और गद्दार कम्युनिस्ट मानसिकता वाली अरुंधति राय का बयान चल रहा था। वो दुखी थी कि एक पोटा जैसा कानून फिर से अस्तित्व में आ जाएगा और देश की धर्मनिरपेक्ष छवि खतरे में पड़ जाएगी। तो मैडम राय मैं आपसे ये कहना चाहता हूँ कि संसार का कोई भी देश धर्मनिरपेक्ष नहीं है...और अगर भारत धर्मनिरपेक्ष होकर आतंकवाद के थपेड़े खा रहा है, रोज अपने मासूम नागरिकों को खो रहा है तो हमें नहीं चाहिए यह देश धर्मनिरपेक्ष....सुन रही है आपकी जमात, जिसे इस के नागरिकों से नहीं, बल्कि उन्हें मारने वाले आतंकवादियों से प्यार है...सिर्फ धर्मनिरपेक्षता की खातिर......!!!!!!

3 comments:

abhishek said...

badiya jaankari hai sachin jee,

Nitish Raj said...

सच तो ये है कि अरुंधति का कोई नहीं मरा। लेकिन बावजूद इसके कि लोग विरोध करेंगे तो करने दो लेकिन सुरक्षा से समझौता नहीं। चाहे इसके लिए मानवाधिकार को ही जेल में क्यों ना ठूसना पड़ जाए। जब तक सरकार ऐसे कदम के बारे में नहीं सोचेगी। तब तक कुछ नहीं होने वाला। साथ ही मैं तो ये मानता हूं कि कोई भी सरकार सब को एक साथ खुश नहीं कर सकती लेकिन देश की सुरक्षा बढ़ाकर आतंकवादियों के मुंह पर तमाचा तो मार ही सकती है। पर इसकी उम्मीद कम है। वोटों को भी तो सरकार को देखना होगा।

ss said...

अरुंधती रॉय...ऐसे ही लोगों के लिए नकवी साहब ने "lipstik" वाली टिपण्णी की थी|