December 27, 2008

भारत के ५० करोड़ लोग मारना चाहते हैं पाक कट्टरपंथी..!!

पाकिस्तानियों की लफ्फाजी, लेकिन हमें गंभीरता से लेना होगा

दोस्तों, आज पाक की कई वैबसाइट्स (अखबारी) में पाकिस्तान के उत्पादन मंत्री सरदार अब्दुल कयूम जतोई के हवाले से एक खबर छपी है। इसे न्यूज एजेंसी एएनआई ने भी जारी किया है। कयूम कह रहे हैं कि अगर भारत ने पाक के ऊपर आक्रमण किया तो हम उसका जवाब परमाणु बम से देंगे। और भारत को ये याद रखना चाहिए कि हम भारत की ११० करोड़ आबादी में से ५०-६० (पचास-साठ) करोड़ लोग मार देंगे जबकि वो हमारे १२ करोड़ लोग ही मार सकता है। इससे अधिक नुकसान भारत हमारा नहीं कर सकता। भारत को ये नहीं भूलना चाहिए हम उसे ज्यादा नुकसान पहुँचा सकते हैं। 

वाह, बहुत नेक विचार हैं। पाकिस्तान के मुसलमान वैसे भी चाहते हैं कि दुनिया से हिन्दुओं का नामो-निशान मिट जाए। वो ये भी चाहते हैं कि संसार से यहूदियों और ईसाइयों (इसमें अमेरिका भी शामिल है) को भी मिटा दिया जाए। वे प्रयास भी करते हैं जैसे उन्होंने मुंबई में कुछ अमेरिकी और यहूदियों को मारकर किया (जैसे कि मात्र इससे अमेरिकी और यहूदी संसार से खत्म हो जाएँगे) .... जहाँ एक ओर पाक प्रधानमंतत्री गिलानी भारत के सामने गिड़गिड़ा रहे हैं कि वो युद्ध नहीं चाहते वहीं उस देश का छक्का मंत्री अपने बिल में से चिल्ला रहा है कि वो हमारे ५० करोड़ लोग मार देगा। चलो मान लेते हैं कि ऐसा हो जाता है और पाकिस्तान अपने सभी परमाणु बम भारत के ऊपर छोड़ देता है। ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए...??? (हालांकि ये असंभव है फिर भी मैं विश्लेषण करना चाहता हूँ) 

आज यानी शनिवार को नई दुनिया इंदौर के पहले पेज पर एक खबर छपी है। हालांकि ये अतिवादिता पूर्ण खबर है लेकिन मैं उक्त अतिवादी स्टेटमैन्ट के साथ इसका उल्लेख यहाँ करना चाहता हूँ। इस खबर की हैडिंग है हिन्दू परमाणु बम से बदलेंगे भूगोल... इसमें किसी कालकी गौर नामक कट्टरवादी हिन्दू लेखक की एक पुस्तक अमेरिकन न्यूक्लियर वैपन डोक्टराइन का जिक्र है।
 खबर में किताब के अंदर की कुछ बातें मैं यहाँ दे रहा हूँ। 
... भारत संभावित तीसरे विश्वयुद्ध में अमेरिका तथा पश्चिमी देशों का साथ देकर विश्व का भूगोल बदलेगा। विश्व में धर्मों और सभ्यताओं के युद्ध में देशों का विभाजन, विलय तथा कई नए देशों का उदय होगा। भारत कनाडा को परमाणु छतरी दे सकता है। इसी तरह तिब्बत को स्वतंत्र कराने में भी भारत को अहम भूमिका निभानी है। आतंकवादियों के हाथों में परमाणु बम ना पहुँचे इसके लिए भारत को ईरान और कजाकिस्तान के साथ मिलकर चलना होगा। हिन्दू परमाणु बम के बल पर लैटिन अमेरिका, एशिया, अफ्रीकी देशों का भविष्य बनेगा-बिगड़ेगा। ....

दोस्तों, उक्त खबर और उसमें किताबों के उल्लेखित अंशों की भाषा उग्र व वैमन्यपूर्ण लग सकती है लेकिन अगर पाकिस्तान में उग्र सोचने वाले लोग हैं तो भारत में भी हो सकते हैं जो पूरे विश्व का नक्शा बदलने की सोच रहे हैं। दूसरे ये कि भारत को अगर ये बात कंफर्म हो जाती है कि उसकी ५० करोड़ आबादी मारी जाने वाली है तो वाकई इस सोच में फिर कोई बुराई नहीं है कि उसके बाद भारत को अधिक बड़ी जिम्मेदारी के लिए तैयार होना चाहिए। अगर पाकिस्तान को लगता है कि वो अपनी से तीन गुणा ज्यादा आबादी को यहाँ मार देगा तो हमें उस देश से आगे की सोचनी ही होगी। ठीक उसी तरह जैसे एक अकेला इसराइल अपने आस-पास २२ अरब देशों से लड़ रहा है। कह सकते हैं कि अपना अस्तित्व और धर्म बचाने की खातिर। हम पर फिलहाल वैसा खतरा नहीं है लेकिन अगर हुआ तो हमें इसराइल से १५० गुणा अधिक तेजी से सोचना और करना होगा क्योंकि उसकी आबादी ७५ लाख है जबकि हमारी ११० करोड़। हम शक्ति में भी पीछे नहीं, हाँ इच्छाशक्ति में जरूर पीछे हैं। हालांकि कहा जा सकता है कि ऊपर कही गई ज्यादातर बातें लफ्फाजी हैं और इनके पीछे कोई तर्क नहीं...तो मैं यहाँ उदाहरण देना चाहता हूँ कि किसने सोचा था कि प्रथम विश्वयुद्ध में एक करोड़ लोग मारे जाएँगे, या द्वितीय विश्वयुद्ध में पाँच करोड़ लोग मारे जाएँगे, कि जापान के दो शहरों में परमाणु बम फैंककर लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया जाएगा, कि प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्धों ने वाकई संसार का नक्शा बदल दिया था, कि जब से मानव सभ्यता अस्तित्व में आई है तब से अभी तक साठ हजार बड़ी लड़ाईयाँ लड़ी जा चुकी हैं, कि अभी तक लड़ाईयों ने ही महामानवों और महादेशों-महाशक्तियों को जन्म दिया है। अस्तित्व लड़ाईयों से ही बचता और बिगाड़ा जाता है। याद रहे कि हमारे देश में महाभारत हुआ था। राम और कृष्ण दोनों ने ही युद्ध लड़े हैं। जबकि युद्ध तो वे दोनों भी नहीं चाहते थे। अहिंसा की बात करने वाले बुद्ध को देखिए...उनके अनुयायी ही संसार की सबसे बर्बर कौम हैं....जापान, चीन, कोरिया और वियतनाम इसके उदाहरण हैं। ये कौम सबकुछ खाने वाली और बर्बरता से लड़ने वाली हैं। गोरखा और मंगोल भी इसके उदाहरण हैं। अगर मरना ही है तो डरना कैसा...युद्ध को अंतिम समय तक हम टालेंगे लेकिन जब शुरू होगा तो इतिहास बनाने की सोचना ही होगा.......और हाँ, बात अभी खत्म नहीं हुई है...।

आपका ही सचिन....। 

3 comments:

sarita argarey said...

बहुत खूब । लेकिन ज़रा तस्वीर का दूसरा रुख भी देखिए । युद्ध हुआ ,तो सेना पर दोहरा दबाव होगा । सीमा पर पाक सेना और देश के भीतर के जयचंद और छोटे - छोटे पाकिस्तान । द्ब्बू हिंदू इन दोहरे खतरों से कैसे निपट्सकेगा ? खासतौर से परमाणु हमले की बात सुनने के बाद ज़्यादातर तो देश छोडकर भाग खडे होंगे या दहशत ज़दा होकर दम तोड देंगे ।

Unknown said...

परमाणु युध्द विनाश तो ला सकता है किंतु विश्व स्तर पर भारत एक नई ऊंचाई पर भी पहुँच जाएगा |

संजय बेंगाणी said...

एक बात गाँठ बाँध लो, एक इजराइली हम 100 करोड़ से बेहतर है.

इजराइल की भाषा हिब्रू तो एक मृत भाषा थी, उसे ही जीवित कर काम के लायक बना दिया, इसे कहते है स्वाभिमान. इसी के बल पर इजराइल का अस्तित्व बना हुआ है, वरना धर्म जनूनी व दुसरे के अस्तित्व का अस्वीकार करने वाले लोगों के बीच अपने आप को बचाना सम्भव नहीं होता. हम भारतीयों में वह गुण है ही नहीं.
हिन्दी हमारे न्यायालयों, सहित कहीं की भाषा नहीं है. आज़ादी को 60 साल हो गए है.