December 02, 2008

आतंकवाद पर लकीर और छाती पीटते नेता

मुंबई आतंकी हमले के बाद हमारे देश के बहादुर (?) नेताओं ने लकीर और छाती पीटना शुरू कर दिया है। हालांकि इस दौरान कुछ समझदारी वाले बयान भी आए हैं लेकिन ये नेताओं के नहीं हैं। नेताओं ने तो ऐसी बातें बोली हैं कि उन्हें सुनकर आपको और हमको अचानक लगने लगता है कि इन नेताओं को पकड़कर जूते मारो। खैर कुछ बयानों की बानगी देखिए.....
दोस्तों, आपको और हमें पता है कि मुंबई में राज ठाकरे नाम का एक पॉमेलियन कुत्ता रहता है। हालांकि उसने अपने आपको एलसेशियन साबित करने की बहुत कोशिश की लेकिन मुंबई में हुए आतंकी हमले में उसकी खाल का असली रंग उतरकर सामने आ गया और वो चार दिन तक अंडरग्राउण्ड रहा। चार दिन बाद वो बाहर निकला वो भी अपनी बीवी के साथ। चूँकी वो महिला है इसलिए उसकी बीवी शर्मिला के लिए मैं किसी अपशब्द का उपयोग नहीं करूँगा सिवाए इसके कि वो एक मूर्ख महिला है जो अमिताभ बच्चन को एसएमएस करके बता रही है कि मुंबई हमले में शहीद होने वाले पुलिस वाले मराठी थे। देख लीजिए....मसलन हेमन्त करकरे, विजय सालस्कर, चित्ते, शिंदे आदि। तो भाईसाहब इस एसएमएस की बात यूपी वाले बच्चन साहब ने अपने ब्लॉग में जाहिर कर दी। और अब देश के लोगों को पता चल गया कि राज ठाकरे ने शादी भी अपनी ही तरह की एक बेवकूफ महिला से की है जो उसे पक्का मरवाएगी। इस संदेश के बाद दोनों पति-पत्नी को गालियाँ पड़ रही हैं और उनकी मुंबई के मराठी मानुस भी उन्हें गालियाँ दे रहे हैं। वैसे मैंने एक वैबसाइट पर इस एसएमएस पर एक कमेन्ट पढ़ा कि....मुंबई के लिए मरने वाले भले ही मराठी थे लेकिन उसे बचाने वाले उत्तर भारतीय थे। खैर, छोड़िए उस गधे राज ठाकरे को...।
आरआर पाटिल, देशमुख, अच्युतदानंदन, नकवी सब अपने बोले पर गाली खा रहे हैं। (पढ़िए मेरी पिछली पोस्ट -मुंबई हमला और राजनीतिक नौटंकी) । कई नेता इस्तीफे दे चुके हैं, लेकिन इतने थोड़े से हमारा क्या होगा..?? तो दोस्तों, ये छाती पीट रहे हैं लेकिन इस दौरान कुछ अन्य महत्वपूर्ण बयान भी सामने आए हैं। मैं उस ओर आपका ध्यान दिलाना चाहता हूँ....तो नजर कीजिए जरा...।
-अपने नष्ट हो चुके होटल को देखकर ताज पैलेस होटल के मालिक रतन टाटा ने कहा कि हमें हमले की जो भी पूर्व सूचना मिली थी उस हिसाब से हमने सुरक्षा इंतजाम किए थे। होटल के गेट पर मेटल डिटेक्टर लगवाया था। पर्किंग पर चैकिंग शुरू करवाई थी, लेकिन क्या करें आतंकी गेट से नहीं किचन से अंदर आए और फिर हमने युद्ध लड़ने की तैयारी नहीं की थी। ये सरकार की नीतियों की कमजोरी है कि वो आम आदमी से भी ये अपेक्षा करती है कि वो अपने बूते पर आतंकियों का सामना कर लेगा। - अपने देश के महत्वपूर्ण नागरिकों (चूँकी यहूदी संख्या में बहुत कम हैं, पूरे विश्व में मात्र १ करोड़ १० लाख) के मारे जाने के बाद बौखलाए इसराइल ने भारत सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने आतंकरोधी कार्रवाई करने के लिए हमें वहाँ नहीं आने दिया। सबकुछ बहुत देरी से शुरू किया गया। हमारे महत्वपूर्ण नागरिक मारे गए। भारत को अपनी नीतियाँ बदलनी चाहिए।
दोस्तों, देखा आपने.....इन आलोचनाओं के बाद खबर लगी कि भारत समुद्र चौकसी बढ़ा रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने कोस्ट गार्ड के लिए ५०० रुपए स्वीकृत किए हैं। इससे समुद्र की तैनाती के लिए आधुनिक स्पीडबोट्स लगाई जाएँगी। वाह, धन्य है हमारी सरकार....। इसमें तो इतने कम अक्ल लोग बैठे हुए हैं कि कोई पाँचवी कक्षा का बच्चा भी इनकी पेंट उतार ले जाए। अरे यार, जब आतंकियों ने संसद पर हमला किया तो वहाँ तैनाती बढ़ा दी जैसे फिर से वो संसद पर हमला कर देंगे। इस बार वो समुद्री रास्ते से आए हैं तो वहाँ भी तैनाती बढ़ा दी जैसे अगली बार फिर वो समुद्र से आएँगे। आतंकी इतने बेवकूफ नहीं......वो बार नई योजना का इस्तेमाल करते हैं। अगर कहीं कोई बम विस्फोट होता है तो देश के सभी शहरों में हाई अलर्ट लगा दिया जाता है जैसे तुरंत ही बाकी शहरों में भी बम विस्फोट हो जाएगा। भारत सरकार को आतंकवाद से निपटने के लिए समग्र योजना बनानी चाहिए....फौरी योजना नहीं। लेकिन दोस्तों, हमारे देश के अंगूठाटेक राजनेताओं में इतनी अक्ल कहाँ...??? वो सिर्फ अगले कुछ दिनों की योजना बनाते हैं, लंबी योजना नहीं। जब हमें पता है कि आतंकियों की मदद कई घर के भेदियों ने भी की, तो क्यों ना सबसे पहले अपने अंदर पक रहे जख्म को ही ठीक किया जाए...।। भारत सरकार को पता होना चाहिए कि सिर्फ लफ्फाजी करने से ना तो ये आतंकवाद रुकने वाला है और ना ही ये आतंकवादी..।
आपका ही सचिन....।

2 comments:

ab inconvenienti said...

इंदौर में ही पूर्व डीएम् विवेक अग्रवाल ने महत्वाकांक्षी योजना शुरू करवाई थी, जब तक वह रहा जोर शोर से चलती रही. आज सिटी बसों की हालत क्या है और वर्तमान डीएम् सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारी इस दीर्घकालीन जनयातायात योजना में कितना समय दे रहे हैं? सिटी बसों की आज हालत और रखरखाव कैसा है, उसके वित्तीय हालात क्या हैं? लॉन्ग टर्म योजनाओं का यही हाल होता है, अगर वह योजना को आगे बढाता भी है तो भी श्रेय तो योजना शुरू करवाने वाले को ही जाएगा. यह श्रेय और स्वार्थ की राजनीति.................

और यह अधिकारी अंगूठा टेक नहीं हैं, उच्च शिक्षित हैं और आइएएस निकाल कर यहाँ तक पहुंचे हैं. दिग्गी राजा राजपरिवार के सुपुत्र, डेली कॉलेज से पढ़े, sgsits और st. stephens से पासआउट किस स्तर की राजनीति करते हैं और मध्य प्रदेश को दस सालों के राज में किस हाल में पहुँचा दिया, यह आप भी जानते हैं.

यह देश के लोगों का अंगूठा टेक होने का दोष नहीं है, बल्कि उनका मूल चरित्र है. हम आज़ादी के बाद लगातार पढ़े लिखों के राज में भी रहे होते तब भी यही हाल होता. वैसे भी आज तक जितने केंद्रीय मंत्रिमंडल आए हैं सभी में पढ़े लिखे को ही ज्यादातर महत्वपूर्ण मंत्रालय सौंपे गए हैं.

याद रखिये हिदुस्तानी अलग ही किस्म के जीव हैं, अरबों की तरह, पश्चिम यूरोपियन व्यवस्था न यहाँ चल पा रही है न वहां चल पाएगी. आप एक अतिविकसित क्षेत्र की सभ्यता, संस्कृति और व्यवस्था अंडमान के आदिम बनवासियों पर जबरजस्ती थोप देंगे तो क्या उनका भला होगा?

Sachin said...

हूँ, अच्छे विचार हैं आपके। वैसे मैने अधिकारियों को नहीं नेताओं को अंगूठाटेक कहा, और वो भी सभी नेताओं को नहीं, लेकिन अधिसंख्य ऐसे ही हैं। वैसे आपकी बातें आकर्षित करती हैं। - सचिन